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Rajasthan: कई दशकों से चला आ रहा राजस्थान-गुजरात में सीमा विवाद

सीमा विवाद के झगड़े दो देशों के बीच ही नहीं बल्कि राज्यों के बीच दशकों से चले आ रहे हैं। राजस्थान भी इससे अछूता नहीं है

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 17 Jan 2020 08:51 AM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 08:51 AM (IST)
Rajasthan: कई दशकों से चला आ रहा राजस्थान-गुजरात में सीमा विवाद
Rajasthan: कई दशकों से चला आ रहा राजस्थान-गुजरात में सीमा विवाद

उदयपुर, सुभाष शर्मा। सीमा विवाद के झगड़े दो देशों के बीच ही नहीं, बल्कि राज्यों के बीच दशकों से चले आ रहे हैं। राजस्थान भी इससे अछूता नहीं है, जिसका सीमा विवाद कई दशकों से गुजरात से चला आ रहा है। इस बीच दोनों राज्यों में एक ही दलों की सरकारें भी रहीं, लेकिन विवाद जारी रहा।

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सात दशक बाद अब दोनों राज्यों के बीच सीमा विवाद खत्म होने के आसार बने हैं। बताया गया कि सीमा विवाद के जो प्रकरण विचाराधीन हैं, उनमें अंतिम सर्वे कार्रवाई की प्रक्रिया जारी है। इनमें से ज्यादातर विवाद उदयपुर जिले की सीमा से जुड़े हैं।

दोनों राज्यों के बीच चले आ रहे सीमा विवाद को लेकर पिछले महीने 27 दिसम्बर को गुजरात और राजस्थान के उपखंड अधिकारियों की अध्यक्षता में खेड़ब्रह्मा में बैठक हुई, जिसमें कई दशकों से लंबित कालीकांकरण-आंजनी-झांझर गांव का सीमा विवाद सुलझा लिया गया। जिसमें कालीकांकर और आंजनी गांव गुजरात सीमा में तथा झांझर गांव राजस्थान सीमा में माना गया। गुजरात के गंथासरा और राजस्थान के गांव महाड़ी की भूमि को लेकर दोनों राज्यों के अधिकारियों ने खातेदार और किसानों से परामर्श कर नए सिरे से सीमा चिन्ह निर्धारित करने का निर्णय लिया है। जबकि गुजरात के साबरकांठा क्षेत्र के खारीबेड़ी गांव और राजस्थान के झेर गांव में दोनों राज्यों ने सीमा पर संयुक्त मापन और मीनारबंदी करने का निर्णय हुआ है। 

गुजरात के पोशीना तहसील के डेडका गांव तथा उदयपुर जिले की कोटड़ा तहसील के गांव मंडवाल में भी जल्द दोनों राज्यों के अधिकारियों की मौजूदगी में संयुक्त रूप से मापन कराया जाना है। इसके विपरीत गुजरात के सेमलिया और राजस्थान के गांधीसरण-नयावास गांव की भूमि को लेकर दोनों राज्यों में सहमति बनने पर सर्वे कार्य पूरा हो चुका है।

दोनों राज्यों के बीच लगभग साढ़े छह वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को लेकर चले आ रहे विवाद राजस्थान के सातसागड़ा, गतराली, चौकी एवं काटवी गांव तथा गुजरात के नेलवा, डगल, कन्धारिया और केलवा गांवों की भूमि को लेकर है।

सर्वे ऑफ इंडिया 1882 के अनुसार यह क्षेत्र राजस्थान सीमा में आता था जबकि साल 1970 में कराए गए सर्वे ऑफ इंडिया ने इसे गुजरात क्षेत्र में दर्शाया है। जबकि झाड़ोल तहसील के गरणवास और गुजरात के खोखरा गांव की भूमि को लेकर चला आ रहा सीमा विवाद को लेकर फाइनल सर्वे जारी है। खोखराबोर्डर पर बना बस स्टैण्ड और पुलिस गुजरात में बताया गया है जबकि गरणवास झाड़ोल तहसील के नक्शे में शामिल है।

सौ से अधिक सीमा विवाद निपटाए

इस मामले में कोटड़ा उपखंड अधिकारी आईएएस टी. शुभमंगला का कहना है कि उनके पद भार ग्रहण करने से पहले ही राजस्थान और गुजरात के बीच ज्यादातर सीमा विवाद सुलझा लिए गए। दोनों राज्यों के बीच सौ से अधिक सीमा विवाद चल रहे थे। अब विचाराधीन चल रहे छह सीमा विवादों के निपटारेे को लेकर सक्रियता जारी है। इधर, वन अधिकार समिति के लक्ष्मीलाल नंदवाना का कहना है कि जब तक दोनों सरकारें सीमा विवाद को लेकर नोटिफिकेशन नहीं करती, तब तक असमंजस्यता जारी रहेगी। 


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