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राजस्थान विधानसभा चुनाव में हार के बाद, लोकसभा चुनाव में गलतियां सुधारने में जुटी भाजपा

राजस्थान में विधानसभा चुनाव में हार के बाद अब लोकसभा चुनाव में भाजपा उन कमियों और गलतियों को दूर करने पर फोकस कर रही है जो पार्टी की हार का कारण बनी।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 25 Apr 2019 11:11 AM (IST)Updated: Fri, 26 Apr 2019 10:18 AM (IST)
राजस्थान विधानसभा चुनाव में हार के बाद, लोकसभा चुनाव में गलतियां सुधारने में जुटी भाजपा
राजस्थान विधानसभा चुनाव में हार के बाद, लोकसभा चुनाव में गलतियां सुधारने में जुटी भाजपा

जयपुर,मनीष गोधा। राजस्थान में विधानसभा चुनाव में हार के बाद अब लोकसभा चुनाव में भाजपा उन कमियों और गलतियों को दूर करने पर फोकस कर रही है, जो पार्टी की हार का कारण बनी। इनमें एससी-एसटी एक्ट में संशोधन के बारे में अनुसूचित जाति वर्ग की गलतफहमी, बूथ स्तर पर सही मॉनीर्टंरग और विभिन्न समाजों की नाराजगी को दूर करने के प्रयास शामिल हैं। इसके लिए पार्टी राजस्थान में अलग-अलग स्तर पर काम कर रही है।

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पार्टी सूत्रों की मानें तो विधानसभा में हार के पीछे कुछ विशेष कारणों ने अहम भूमिका अदा की थी। इनमें सबसे महत्वपूर्ण था एससीएसटी एक्ट के बारे में सुप्रीम कोर्ट का आदेश और इसके बाद आरक्षित वर्ग में यह धारणा बन जाना कि भाजपा आरक्षण समाप्त करना चाहती है।

हालांकि बाद में केंद्र सरकार ने इस एक्ट के बारे में पहले जैसी स्थिति बहाल कर दी, लेकिन उस समय तक राजस्थान में चुनाव बिल्कुल नजदीक आ चुके थे और पार्टी को इसका नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसी स्थिति इस

बार न बने, इसके लिए इस बार पार्टी ने विशेष रणनीति पर काम किया है। पार्टी ने मंडल स्तर पर दो-दो नमो प्रवासी कार्यकर्ता चिन्हित किए हैं। इन कार्यकर्ताओं को यह जिम्मेदारी दी गई है कि अपने आसपास क्षेत्र में अनुसूचित जाति के 30-40 लोगों की बैठकें कराएं और इन बैठकों में इस एक्ट के बारे में लोगों के बीच फैल रही

गलतफहमी को दूर करें। ऐसी बैठकें पूरे राज्य में हो रही हैं और उन सीटों पर विशेष फोकस किया गया है जहां अनुसूचित जाति के मतदाता अधिक है। इन बैठकों में पार्टी यह बता रही है कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश क्या था और इसके बाद सरकार ने इसके लिए क्या कदम उठाए।

इसी तरह विधानसभा चुनाव में बूथ स्तर पर पार्टी जैसा मजबूत काम चाहती थी, वैसा नहीं हो पाया। पूरे प्रदेश में कई बूथों पर समितियां बनीं तो सही, लेकिन सक्रिय नजर नहीं आईं। स्थिति यहां तक भी दिखी कि मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में कई बूथों पर पार्टी को दस वोट भी नहीं मिले, जबकि 21 लोगों की समिति बनाई गई थी। इस कमी को दूर करने पर इस बार विशेष जोर दिया जा रहा है।  


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