Rajasthan Abused: सगे भाई व फुफेरे भाई ने नाबालिग बहन से किया दुष्कर्म, बहन भाईयों के बच्चे की बनी मां
Rajasthan Abused एक नाबालिग ने बच्चेे को जन्म दिया फुफेरा भाई बच्चे का पिता है। जांच में यह भी सामने आया कि फुफेरा भाई के साथ ही सगे भाई ने भी बहन के साथ दुष्कर्म किया था।
जयपुर, जेएनएन । राजस्थान के टोंक जिले में बेहद शर्मसार करने वाला मामला सामने आया है। यहां एक नाबालिग ने बच्चेे को जन्म दिया और जब उसका डीएनए मैच कराया तो सामने आया कि नाबालिग का फुफेरा भाई बच्चे का पिता है। जांच में यह भी सामने आया कि फुफेरा भाई के साथ ही सगे भाई ने भी बहन के साथ दुष्कर्म किया था।
यह घटना टोंक जिले के देवली में सामने आई है। पुलिस के अनुसार पीड़िता ने गर्भवती होने पर अपने माता पिता को बताया कि सगे भाई व फुफेरे भाई ने एक दिन उसे अकेला पाकर उससे दुष्कर्म किया था, लेकिन डर और शर्म के कारण उसने किसी को बताया नहीं। बाद में दुष्कर्म पीड़िता ने एक बच्चे को जन्म दिया, हालांकि बच्चा कुछ समय बाद मर गया।
पीड़िता के पिता ने इस मामले में पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। मामले की पेचीदगी को देखते हुए इस मामले में पुलिस ने पीड़िता, उसके शिशु और आरोपी दोनों भाइयों का डीएनए टेस्ट कराया गया। जांच रिपोर्ट में सामने आया है कि पीड़िता का फुफेरा भाई ही उसके बच्चे का पिता है।
पुलिस के अनुसार पोक्सो एक्ट के तहत दर्ज कराए गए प्रकरण में नाबालिग फुफेरे भाई को किशोर न्यायालय के समक्ष पेश किया जाएगा। गौरतलब है कि राजस्थान में पिछले दिनों ऐसे कई मामले सामने आए है, जिनमें नजदीकी रिश्तेदारों ने ही बच्चियों को दुष्कर्म का शिकार बनाया है। लेकिन ये अपनी तरह का पहला ही मामला बताया जा रहा है।
राजस्थान पुलिस के सर्वे में सामने आया चौंकाने वाला तथ्य
राजस्थान में नाबालिग बच्चियों के साथ दुष्कर्म और छेड़छाड़ की घटनाओं को देखते हुए पुलिस द्वारा कराए गए सर्वे में चौंकाने वाला खुलासा हुआ है। सर्वे में सामने आया कि पिछले एक साल में नाबालिग बच्चियों से हुए दुष्कर्म, छेड़छाड़ और हत्या के मामले में 89 फीसदी आरोपित या तो रिश्तेदार या फिर परिचित निकले हैं। इनमें से भी 9 फीसदी मामलों में सौतेले पिता अथवा भाई को दोषी माना गया है। प्रदेश में सिर्फ 11 प्रतिशत पीड़ित बच्चियां ही ऐसी हैं जो अनजान लोगों की गंदी नजर से गुजरी है। राजस्थान के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (क्राइम) का कहना है कि अधिकांश मामलों में बेहद नजदीकी रिश्तेदार ही आरोपित निकले हैं। सर्वे रिपोर्ट को गंभीरता से देखें तो 18 वर्ष से कम उम्र की बच्चियों पर बुरी नजर के हालात काफी चिंताजनक है।