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कोरोना की भेंट चढ़ा राजस्थान का विश्व विख्यात पुष्कर मेला, इस बार नहीं होगा कोई आयोजन

विश्व विख्यात पुष्कर मेला 22 नवम्बर से 30 नवम्बर तक होना है लेकिन अभी तक कोई प्रशासनिक हलचल दिखाई नहीं देने से माना जाने लगा था कि मेला कोविड 19 की भेंट चढ़ गया। पुष्कर के जनप्रतिनिधियों व्यापारियों और पुरोहितों ने सरकार की तीखे शब्दों मे निंदा की है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Wed, 11 Nov 2020 12:06 PM (IST)Updated: Wed, 11 Nov 2020 12:06 PM (IST)
कोरोना की भेंट चढ़ा राजस्थान का विश्व विख्यात पुष्कर मेला, इस बार नहीं होगा कोई आयोजन
अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विश्व विख्यात पुष्कर मेला

अजमेर, जागरण संवाददाता। अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विश्व विख्यात पुष्कर मेला आयोजन पर इस बार नहीं होगा। कोरोना के बढ़ते संक्रमण के दृष्टिगत राज्य सरकार की गाइडलाइंस के चलते पुष्कर मेला आयोजित नहीं करने के आदेश जारी कर दिए गए हैं। पशुपालन विभाग के संयुक्त शासन सचिव डॉ विरेन्द्र सिंह ने जिला कलक्टर अजमेर की अनुशंसा पर मेले पर रोक के आदेश जारी किए हैं।

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गौरतलब है कि पूर्व में जिला कलेक्टर प्रकाश राजपुरोहित ने कहा था कि सरकार की कोविड 19 के तहत अनलॉक डाउन की नई गाइड लाइन का अभी इंतजार किया जाना चाहिए। लिहाजा पूर्व में मेले के आयोजन पर संशय था। लगता था कि मेला पुरोहितों के दवाब और मंदिरों में दर्शन के लिए पट खुलने के बाद संभव है सरकार कुछ गाइडलाइन और एडवाइजरी जारी कर मेला आयोजित कराने के आदेश देगी। सरकार के निर्णय से सभी की उम्मीदों पर पानी फिर गया। तीर्थराज पुष्करवासियों को मेले से ही वर्षपर्यन्त का जीवन यापन का आर्थिक आधार बनता था।

उल्लेखनीय है कि विश्व विख्यात पुष्कर मेला 22 नवम्बर से 30 नवम्बर तक होना है लेकिन अभी तक कोई प्रशासनिक हलचल दिखाई नहीं देने से माना जाने लगा था कि मेला कोविड 19 की भेंट चढ़ गया।

दूसरी तरफ पुष्कर के जनप्रतिनिधियों व्यापारियों और पुरोहितों ने राज्य सरकार के इस निर्णय को गलत बताते हुए इसकी तीखे शब्दों मे निंदा की है। क्योंकि अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर मेले से करोड़ों लोगों की धार्मिक आस्था जुड़ी है तो लाखों लोगों की आजीविका भी इसी मेले पर आधारित है। कोरोना महामारी के कारण गत 8 माह से स्थानीय दुकानदारों ओर पुरोहितों की आजीविका संकट में है। एकमात्र उम्मीदें सभी को पुष्कर मेले से थी लेकिन राज्य सरकार के निर्णय से सभी की उम्मीदें खत्म हो गई और सभी के सामने रोजी रोटी का बड़ा संकट खड़ा हो गया।

स्थानीय पुरोहितों, व्यापारियों और जनप्रतिनिधियों ने राज्य सरकार के इस निर्णय को गलत बताते हुए कहा कि एक तरफ तो सरकारें नगर निगम चुनाव, पंचायत राज चुनाव, विधानसभा चुनाव कराने की तैयारियों में जुटी है। नित नए ऐलान हो रहे हैं वही लोगों की धार्मिक और आध्यात्मिक आस्था पर पाबंदी लगाई जा रही है।

पुरोहितो ने अभी भी कोरोना गाइडलाइन की पालना के साथ धार्मिक मेले का आयोजन करवाने की मांग की है। पुरोहितों का कहना है कि पवित्र सरोवर के पंचतीर्थ स्नान के लिए हजारों लोग आते हैं और आस्था की डुबकी लगाकर जगतपिता ब्रह्मा मंदिर के दर्शन करते हैं इसलिए राज्य सरकार को सोच समझकर निर्णय करके गाइडलाइन के साथ कार्तिक एकादशी से कार्तिक पूर्णिमा तक जो कि एक धार्मिक आस्था का होता है मेला सम्पन्न कराना चाहिए। 


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