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CAB: राजस्थान में पाक विस्थापितों ने मनाया जश्न, जानें-इनकी कहानी, इन्हीं की जुबानी

Pakistan displaced in Rajasthan. पाक विस्थापितों का कहना है कि अब उन्हें आसानी से भारतीय नागरिकता मिल जाएगी और वे गर्व से कह सकेंगे कि हम भारतीय नागरिक हैं।

By Sachin MishraEdited By: Published: Tue, 10 Dec 2019 02:33 PM (IST)Updated: Tue, 10 Dec 2019 02:33 PM (IST)
CAB: राजस्थान में पाक विस्थापितों ने मनाया जश्न, जानें-इनकी कहानी, इन्हीं की जुबानी
CAB: राजस्थान में पाक विस्थापितों ने मनाया जश्न, जानें-इनकी कहानी, इन्हीं की जुबानी

जयपुर, जागरण संवाददाता। Pakistan displaced in Rajasthan. नागरिकता (संशोधन) विधेयक लोकसभा में पारित होने के साथ ही राजस्थान में रह रहे 25 हजार पाकिस्तानी विस्थापितों में भारतीय नागरिक बनने की उम्मीद जगी है। पाकिस्तान में होने वाले अत्याचारों से परेशान होकर धार्मिक वीजा या लॉंग टर्म वीजा पर भारत आकर यहीं बसने वाले विस्थापितों की आंखों में केंद्र सरकार के निर्णय के बाद चमक नजर आ रही है।

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पाक विस्थापितों का कहना है कि अब उन्हें आसानी से भारतीय नागरिकता मिल जाएगी और वे गर्व से कह सकेंगे कि हम भारतीय नागरिक हैं। अब तक पैन कार्ड, बैंक खाता, आधार कार्ड, राशन कार्ड, बच्चों के स्कूल में प्रवेश, स्थाई आवास, पेंशन सहित अन्य सरकारी सुविधाओं से महरूम पाक विस्थापितों को उम्मीद है कि अब उन्हें वे सब सुविधाएं मिल सकेंगी, जो एक भारतीय नागरिक को मिलती हैं। मंगलवार को जोधपुर में पाक विस्थापितों ने जश्न मनाया। जोधपुर में रह रहे करीब 15 हजार पाक विस्थापित मंगलवार को अलग-अलग समूह में एकत्रित हुए। उन्होंने एक-दूसरे को गुड़ खिलाकर मुंह मीठा कराया। शहर के गंगाणा झंवर रोड़ पर स्थित पाक विस्थापित भीलों की बस्ती में महिलाओं ने लोकगीत गाकर खुशी मनाई।

वहीं, बाड़मेर जिला मुख्यालय की शरणार्थी बस्ती के लोगों ने मनोकामना पूर्ण होने पर रामदेवरा मंदिर की यात्रा करने का संकल्प लिया। बाड़मेर में रह रहे पाक विस्थापितों ने कहा कि पाकिस्तान में हमारी बहन-बेटियों की सरेआम लज्जा भंग की जाती थी। धार्मिक आधार पर उत्पीड़न किया जाता था। पाकिस्तान से अपने रिश्तेदारों से मिलने या धार्मिक यात्रा के लिए यहां और इसी आस में बस गए कि कभी तो हम भी भारतीय कहलाएंगे। यहां भी काफी मुसीबतें झेली, सरकारी दस्तावेज नहीं होने पर बच्चों का स्कूल में प्रवेश नहीं हो पाता था, बार-बार सुरक्षा एजेंसियां पाकिस्तान भेजने के लिए तलाशती थी, हम छिपते फिरते थे, लेकिन अब हम सुरक्षित और राहत महसूस कर रहे हैं।

विस्थापितों की कहानी, उन्ही की जुबानी

पाक के सिंध प्रांत के मीरपुर खास से जोधपुर आकर बसे अमरो कोली का कहना है कि वहां खुलेआम हिंदुओं की बहन-बेटियों के साथ अत्याचार होता था, धार्मिक आधार पर प्रताड़ना दी जाती थी। दस साल पहले जोधपुर आकर बसे, यहां झुग्गी-झोपड़ियों में अपने छह बच्चों के साथ रहने लगे, मजदूरी करके पेट पाला। लेकिन सरकारी दस्तावेज नहीं होने के कारण काफी परेशानी हुई, अब सभी मुश्किल खत्म हो जाएगी। उसी के भाई की बेटी देवी कुमारी ने राजस्थान स्टेट ओपन स्कूल में प्रवेश लिया, लेकिन अर्जी इस कारण ठंडे बस्ते में डाल दी गई कि वे पाक नागरिक है।

करीब छह साल पहले वह अपने परिजनों के साथ पलायन कर जोधपुर में आकर बसी थी। साल 2004 में डॉ. नूरजी भील माता-पिता और पत्नी के साथ भारत आए और जोधपुर के डाली बाई मंदिर क्षेत्र में रहन लगे। बंटवारे से पहले उनका परिवार जैसलमेर में रहता था,लेकिन बाद में सिंध में जाकर बस गया। वहां विपरित परिस्थितियों में पढ़ाई कर डॉक्टर बने, फिर अपने वतन आए। यहां एक प्रावइेट अस्पताल में प्रैक्टिस करने पर एफआइआर दर्ज हो गई। डॉ.नूरजी के माता-पिता और पत्नी को नागारिकता मिल चुकी, लेकिन उन्हें और दो बच्चों को नहीं मिली थी, अब नागरिकता संशोधन बिल पास होने के बाद भारतीय होने की उम्मीद जगी है।

अक्टूबर में जयपुर में भारतीय नागरिकता पाने वाले 14 नागरिकों में शामिल कलावती और खातून का कहना है कि पाक में अल्पसंख्यकों पर जुल्म होता है, यहां आकर बसे तो सुविधाएं नहीं मिले, अब उम्मीद बंधी है।

पाक में हुए अत्याचारों पर छोड़ना पड़ा घर, मोदी को धन्यवाद

पाक विस्थापितों के लिए पिछले 30 साल से काम कर रहे सीमांत लोक संगठन के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा का कहना है कि पाक में होने वाले अत्याचारों के कारण उनका परिवार 1971 में जोधपुर आकर बसा था। उन्होंने बताया कि पश्चिमी सीमा से सटे पाकिस्तान के सिंध इलाके में रहने वाले अधिकांश हिंदू परिवार जोधपुर, बाड़मेर और जैसलमेर से जुड़े हुए हैं। पाक में होने वाले अत्याचारों से परेशान होकर यहां आकर बस गए।

उन्होंने बताया कि पीएम नरेंद्र मोदी और तत्कालीन गृह मंत्री राजनाथ सिंह की पहल पर पाक विस्थापितों को नागरिकता देने की प्रक्रिया शुरू की गई थी। जिला कलेक्टरों को अधिकार दिए गए थे, लेकिन प्रक्रिया काफी लंबी थी। पहले उन्हें ही भारतीय नागरिकता मिल सकती थी, जो 12 साल से यहां रह रहे हो, लेकिन अब यह समय छह साल किया तो इसका काफी लोगों को फायदा मिलेगा, इसके लिए मोदी सरकार धन्यवाद की पात्र है। 

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