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Rajasthan: एमबीबीएस के पेपर आउट करने पर नोडल अधिकारी गिरफ्तार, रीट पेपर लीक में पूछताछ

Rajasthan उदयपुर में एमबीबीएस प्रथम और द्वितीय वर्ष के पेपर भी आउट हुए हैं। पैसा लेकर पेपर बेचने के मामले में पुलिस ने एक निजी कालेज के नोडल अधिकारी और उसके मित्र को गिरफ्तार किया है। वहीं रीट मामले में भी पूछताछ का जा रही है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 27 Jan 2022 10:39 PM (IST)Updated: Thu, 27 Jan 2022 10:39 PM (IST)
Rajasthan: एमबीबीएस के पेपर आउट करने पर नोडल अधिकारी गिरफ्तार, रीट पेपर लीक में पूछताछ
एमबीबीएस के पेपर आउट करने पर नोडल अधिकारी गिरफ्तार, रीट पेपर लीक में पूछताछ। फाइल फोटो

उदयपुर, संवाद सूत्र। रीट परीक्षा के पेपर आउट के चर्चित मामले के बीच पता चला है कि उदयपुर में एमबीबीएस प्रथम और द्वितीय वर्ष के पेपर भी आउट हुए हैं। पैसा लेकर पेपर बेचने के मामले में पुलिस ने एक निजी कालेज के नोडल अधिकारी और उसके मित्र को गिरफ्तार किया है। पेपर आउट करने में उदयपुर के उमरड़ा स्थित मां गायत्री कालेज आफ नर्सिंग में एमबीबीएस परीक्षा के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी करण सिंह की अहम भूमिका है। जो परीक्षा से एक-दो दिन पहले ही पेपर खोलकर मोबाइल के जरिए उनकी फोटो खींच लेता तथा वाट्सएप के जरिए उसे अपने मित्र अजय सिंह को भेज देता। अजय सिंह एमबीबीएस छात्रों से पेपर के लिए सौदा करता और उनसे पैसा लेकर पेपर दे देता था। पेपर आउट किए जाने को लेकर इसी कालेज के प्राचार्य बांसवाड़ा निवासी गौरव पाठक को संदेह हुआ।

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इस तरह हुआ खुलासा

उन्होंने जिला पुलिस अधीक्षक मनोज कुमार को दी शिकायत में बताया कि उनके कालेज में दस जनवरी से लेकर 27 जनवरी तक एमबीबीएस प्रथम और द्वितीय वर्ष की परीक्षा हुई। उन्हें शंका है कि उनके कालेज में परीक्षा के लिए नियुक्त नोडल अधिकारी करण सिंह पेपर आउट कर सौदेबाजी में लगा हुआ है। इस मामले को पुलिस अधीक्षक ने गंभीरता से लिया तथा अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक शहर अनंत कुमार, उदयपुर ईस्ट के उप अधीक्षक जनरैल सिंह तथा हिरणमगरी थानाधिकारी रामसुमेर मीणा को जांच करने को कहा। जांच में शिकायत के पुष्टि होने पर पुलिस ने आरोपित करण सिंह तथा उसके मित्र अजय सिंह को हिरासत में लेकर पूछताछ की। जिसमें उन्होंने स्वीकार किया कि वह पेपर आउट करने के बाद बेचते थे। इसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया। इनके खिलाफ आईपीसी की धारा 409, 420, 120 बी तथा आईटी एक्ट की धारा 66 के तहत मामला किया गया है।

एसओजी की अजमेर के रीट कार्यालय में दस्तक, बोर्ड अध्यक्ष डा डीपी जारोली से पूछताछ

अजमेर, संवाद सूत्र। राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर के समन्वय में आयोजित राजस्थान अध्यापक पात्रता परीक्षा (रीट) पेपर लीक प्रकरण में गिरफ्तार आरोपितों से जो जानकारी मिली है, उसके अनुरूप ही 27 जनवरी को एसओजी की टीम रीट के अजमेर स्थित कार्यालय में पहुंच गई है। रीट का कार्यालय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के परिसर में ही है। एसओजी की टीम के रीट दफ्तर में पहुंचने के साथ ही शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारोली से पूछताछ शुरू कर दी है। जानकार सूत्रों के अनुसार एसओजी के अधिकारी बोर्ड अध्यक्ष जारोली और सचिव अरविंद कुमार सेंगवा से भी पूछताछ कर रहे हैं। बोर्ड अध्यक्ष ने अभी मीडिया से दूरी बना रखी है।

राजस्थान एसओजी के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक अशोक राठौड़ ने साफ कर दिया है कि प्रदेश भर में गत 26 सितंबर को हुई राज्य स्तरीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (रीट) का प्रश्न पत्र परीक्षा से एक दिन पहले ही आउट हो गया। गिरोह के सदस्यों ने पेपर को जमकर बेचा। अब तक एक करोड़ 22 लाख रुपये की वसूली का पता चल चुका है। पेपर बेचने और खरीदने वाले 32 व्यक्ति एसओजी की गिरफ्त में है। जांच अभी जारी है। जिन परीक्षार्थियों ने प्रश्न पत्र खरीदा उनकी सूची रीट परीक्षा लेने वाले राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड को भेजी जा रही है, ताकि ऐसे परीक्षार्थियों को डिबार किया जा सके। राठौड़ ने बताया कि अब यह साफ हो गया है कि रीट का पेपर परीक्षा से पहले ही आउट हो गया। एसओजी ने गत दिनों गिरोह के प्रमुख सदस्य भजनलाल विश्नोई को गिरफ्तार किया। भजनलाल ने बताया कि प्रश्न पत्र उसे उदाराम बिश्नोई ने दिया। जालौर निवासी उदाराम विश्नोई ने बताया कि एक प्रश्न पत्र से उसे 25 सितंबर की रात को रीट परीक्षा के जयपुर स्थित कोआर्डिनेटर रामकृपाल मीणा ने दिया था। मीणा जयुपर में ही गोपालपुरा त्रिवेणी नगर में संचालित एसएम कालेज का मालिक है। इस प्राइवेट शिक्षण संस्था में भी रीट का परीक्षा केंद्र बनाया गया। मीणा की पत्नी ने भी रीट की परीक्षा दी। रामकृपाल मीणा के पास ही जयपुर जिले के परीक्षा केंद्रों पर प्रश्न पत्र भिजवाने की जिम्मेदारी दी। प्रश्न पत्रों के बंडल परीक्षा केंद्रों पर भिजवाने के समय ही मीणा ने एक बंडल से एक पेपर निकाल लिया और उसे ही रात भर में उन लोगों को भेजा, जिनसे राशि ली गई थी।

जारौली भी जांच के दायरे में  

एडीजी राठौड़ के खुलासे के बाद रीट परीक्षा करवाने वाले राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अध्यक्ष डीपी जारौली भी जांच के दायरे में आ गए हैं, क्योंकि प्रदीप पाराशर और रामकृपाल मीणा को जयपुर जिले की जिम्मेदारी जारौली ने ही दी। सवाल उठता है कि जब प्रदेश के अन्य जिलों में सरकारी अधिकारियों को परीक्षा का कोआर्डिनेटर बनाया गया, तब अकेले जयपुर में गैर सरकारी व्यक्तियों को परीक्षा की जिम्मेदारी क्यों दी गई? जबकि जयपुर में सबसे अधिक परीक्षा केंद्र थे। अन्य जिलों में प्रश्न पत्र सरकारी ट्रेजरी या पुलिस स्टेशनों पर रखवाए गए, जबकि जयपुर में जारौली के निर्देश पर शिक्षा संकुल स्थित शिक्षा बोर्ड के कार्यालय में रखवाए गए। इतना ही नहीं 24 सितंबर की रात को खुद जारौली ने जयपुर में शिक्षा संकुल के उस स्थान का जायजा लिया, जहां प्रश्न पत्रों के बंडल रखे हुए थे। एसओजी की अब तक की जांच से पता चलता है कि शिक्षा बोर्ड रीट परीक्षा को लेकर बेहद लापरवाही बरती। लापरवाही बरतने में बोर्ड के पदाधिकारियों के स्वार्थ की जांच भी होनी जरूरी है। बता दे कि रीट की परीक्षा के समय प्रदेश के स्कूली शिक्षा मंत्री गोविंद सिंह डोटासरा थे। डोटासरा मौजूदा समय में प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष हैं। एसओजी के खुलासे के बाद अब विपक्ष भी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत पर हमलावर हो गया है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया, प्रतिपक्ष के नेता राजेंद्र सिंह राठौड़, पूर्व शिक्षा मंत्री वासुदेव देवनानी, पूर्व मंत्री मदन दिलावर आदि ने रीट परीक्षा प्रश्न पत्र आउट होने की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है। गहलोत पर अब डीपी जारोली को अध्यक्ष पद से हटाने का दबाव भी बढ़ गया है। 

जल्दबाजी में परिणाम 

इसे शिक्षा बोर्ड का डर ही कहा जाएगा कि परीक्षा के मात्र 35 दिनों बाद ही रीट का परिणाम घोषित कर दिया गया। जबकि प्रदेश के 16 लाख युवाओं ने रीट की परीक्षा दी थी। जल्दबाजी की वजह से परिणाम में अनेक गड़बड़ी से भी हुई। जोधपुर और जयपुर हाईकोर्ट में सैकड़ों याचिकाएं लंबित पड़ी है। शिकायतें मिलने के बाद बोर्ड ने अब तक 31 हजार अभ्यर्थियों को बाहर कर दिया है। एसओजी के खुलासे के बाद ही संपूर्ण रीट परीक्षा पर सवालिया निशान लग गया है। जो अभ्यर्थियों पात्र घोषित नहीं हुए हैं, वे स्वयं को ठगा सा महसूस कर रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि जिन अभ्यर्थियों ने प्रश्न पत्र खरीद लिया, सिर्फ वे ही परीक्षा में उत्तीर्ण हुए हैं। रीट परीक्षा परिणाम की मेरिट के अनुसार युवाओं को शिक्षक की नौकरी मिलेगी।

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अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद आज रीट पेपर लीक कांड की कर्ता-धर्ता गहलोत सरकार के खिलाफ युवाओं की आवाज बनकर प्रदर्शन कर रही थी। लेकिन कांग्रेसी परंपरा के अनुरूप मुख्यमंत्री ने छात्रों पर एक बार फिर लाठियां चलवाई। दमन की मंशा से छात्र नेता श्री रविंद्र सिंह भाटी और कर्मचारी नेता श्री मोहन सिंह भाटी को गिरफ्तार कराया गया। #Rajasthan - Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) 27 Jan 2022

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रीट पेपर लीक मामले में जैसे-जैसे नए खुलासे हो रहे हैं, कांग्रेस सरकार की संलिप्तता उजागर हो रही है। परीक्षा से काली कमाई की योजना इस तरह तैयार की गई कि यदि पर्दाफाश हो तो प्यादे ही फंसें, वजीर पर आंच न आए। परीक्षा रद्द होती है तो सरकार को उनको हिसाब देना होगा जिनसे पर्चे का सौदा हुआ था। #Rajasthan - Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) 27 Jan 2022

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रीट परीक्षा पेपर लीक कांड में गहलोत सरकार एक तरफ पेपर आउट करने वाले गिरोह का पर्दाफाश करने का दावा कराती है और दूसरी तरफ पुनः परीक्षा की मांग से इनकार करती है। ये क्या बात हुई? क्या पर्चा आउट होने के बाद परीक्षा का कोई महत्व रह जाता है? देखा जाए तो पर्दाफाश गहलोत सरकार का हुआ है लेकिन उसकी गलती की सजा मेधावी अभ्यर्थी भुगत रहे हैं। #Rajasthan - Gajendra Singh Shekhawat (@gssjodhpur) 26 Jan 2022


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