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Rajasthan: जोधपुर के अस्पतालों में नो बेड, मरीजों के परिजनों में रोष; कोविड अस्पतालों में पुलिस तैनात

Rajasthan जोधपुर के अस्पतालों में अब एक-एक बेड के लिए लोग मारे-मारे फिर रहे है । जिला प्रशासन और चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के कोरोना मरीजों और उनके परिजनों के आगे सांसे फूलने लगी हैं। मरीजों के परिजनों में रोष है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 28 Apr 2021 10:46 PM (IST)Updated: Wed, 28 Apr 2021 10:46 PM (IST)
Rajasthan: जोधपुर के अस्पतालों में नो बेड, मरीजों के परिजनों में रोष; कोविड अस्पतालों में पुलिस तैनात
जोधपुर के अस्पतालों में नो बेड, मरीजों के परिजनों में रोष; कोविड अस्पतालों में पुलिस तैनात। फाइल फोटो

जोधपुर, संवाद सूत्र। Rajasthan: राजस्थान में जोधपुर के अस्पतालों में अब एक एक बेड के लिए लोग मारे-मारे फिर रहे है । जिला प्रशासन और चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के कोरोना मरीजों और उनके परिजनों के आगे सांसे फूलने लगी हैं। जोधपुर के तीनों सरकारी अस्पतालों के साथ एम्स और दो दर्जन प्राइवेट अस्पतालों में मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है । इससे विकट समस्या पैदा हो गई है। अपनों की उखड़ती सांसों को संभालने के लिए परिजन अपना आक्रोश निकालने लगे है। बेड के अभाव में लोग अस्पतालों के फर्श पर ही लेट अपने ठीक होने की आस में उपचार की उम्मीद लगाए बैठे है, जबकि हालात प्रतिदिन विकट होते जा रहे हैं। सरकारी हेल्पलाइन को खुद की मदद की दरकार है। अस्पतालों में आक्रोशित लोगों को कट्रोल के लिए पुलिस बल लगाया गया है

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शहर के तीनों प्रमुख अस्पताल एमडीएम, महात्मा गांधी व एम्स में नए मरीजों को एडजस्ट करने में बहुत अधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। शहर में कोरोना संक्रमितों की संख्या रफ्तार से अब अस्पतालों में एक बेड का जुगाड़ करना भी अग्निपरीक्षा साबित हो रहा है। भर्ती होने के लिए पहुंचे मरीज जगह-जगह लेटे हुए हैं। ऐसे में मरीजो के परिजनों का सब्र भी अब जवाब दे रहा है। कंट्रोल रूम में बैठे अधिकारी अधिकारी कॉल करने वालों के आगे असहायक साबित हो रहे है। केवल इसका कारण है कि अस्पतालों में नो बेड कि स्थिति लगातार बनी हुई है। निजी अस्पतालों में ऑक्सीजन की आपूर्ति बढ़ाई जा रही है, लेकिन घर में बीमार संक्रमितों को ना तो अस्पताल में भर्ती किया जा रहा है और इधर बाहर ऑक्सीजन नहीं मिल रही है। ऐसे में उनके सामने जीवन और मौत के बीच संघर्ष बढ़ने लगा है। इन हालातों में न तो प्रशासन और न ही चिकित्सा विभाग के अधिकारी व्यवस्थाएं बनाने में सक्षम साबित हो रहे हैं। हर कोई व्यवस्थाओं को लेकर लाचारी जता रहा है ऐसे में सवाल उठने लगा है कि आखिर बीमार संक्रमित जाए तो जाए कहां? एमडीएम अस्पताल के कोविड सेंटर के हालात देख सहज अंदाजा हो जाता है कि संकट किस कदर बढ़ चुका है ।

पहले ऑक्सीजन के लिए अब बेड के लिए मारामारी

बीते एक सप्ताह में पूर्णा संक्रमित मरीजों में आई बेतहाशा वृद्धि से जहां पूर्व में ऑक्सीजन की भारी किल्लत का सामना जोधपुर को करना पड़ा तो वहीं अब अस्पतालों में एडमिट होने के लिए शहर बेड की कमी से जूझ रहा है।अस्पताल की तरफ से वहां पहुंचे मरीजों को ऑक्सीजन उपलब्ध करवा राहत देने का प्रयास अवश्य किया जा रहा है , लेकिन यह नाकाफी साबित हो रहा है। जिला प्रशासन और चिकित्सा विभाग को कोरोना संक्रमितों को बेड और ऑक्सीजन सहित चिकित्सा सुविधाएं मुहैया कराने में न केवल पसीने छूट गए है , बल्कि मरीजों और मौतों की निरंतर बढ़ती संख्या के सामने हाथ पांव फूल गए है ।

कांग्रेस नेताओं के साथ हुए विवाद के बाद अस्पताल में तैनात हुआ पुलिस बल

मथुरादास माथुर अस्पताल में मंगलवार देर रात नर्सेज और कांग्रेस नेताओं के बीच मरीज के उपचार को लेकर हुए विवाद के बाद पुलिस बल तैनात कर दिया गया है। अब यहां बेवजह किसी को भी भीतर प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। दरअसल मथुरादास माथुर अस्पताल में मंगलवार रात करीब 11.30 बजे कांग्रेस के एक - दो नेता पहुंचे थे, जिनका किसी मरीज को भर्ती करने की बात को लेकर नर्सिंगकर्मी से विवाद हो गया, मौके पर खड़े रेजिडेंट डॉक्टर से भी धक्कामुक्की हुई। इस पर जनाना विंग की कोविड के मरीजों को संभाल रहे डॉक्टर और नर्सिंगकर्मी बाहर आ गए और काम बंद कर दिया। यहां पर भी इन्होंने खुद को नेता बताते हुए नर्सिंगकर्मियों व डॉक्टरों को धमकी दे डाली। हंगामा बढ़ा तो शास्त्रीनगर थानाधिकारी पंकज माथुर एमडीएमएच पहुंचे। वहां उन्होंने समझाइश की लेकिन नहीं मानने पर पुनीत जांगू , रामनिवास व ओमप्रकाश को शास्त्रीनगर थाने ले गए। मामला बढ़ा तो मेडिकल कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. एसएस राठौड़ व एमडीएम अस्पताल अधीक्षक डॉ. एमके आसेरी भी अस्पताल पहुंचे। इधर,  सुबह यहां पुलिस बल तैनात कर दिया ताकि यहां अनावश्यक विवाद नहीं हो।


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