Mob Lynching In Alwar: गोतस्करों से मारपीट, चार गोवंश मुक्त कराए
Mob Lynching In Alwar. अलवर जिला पुलिस अधीक्षक देशमुख परिस अनिल ने बताया कि गोतस्करी और मॉब लिंचिंग का मामला दर्ज हुआ है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। Mob Lynching In Alwar. उन्मादी हिंसा (मॉब लिंचिंग) और गो तस्करी के मामले में पूरे देश में बदनाम अलवर में एक बार फिर इसी तरह का मामला सामने आया है। इसका एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। वीडियो में भीड़ एक गोतस्कर को पकड़ कर मारपीट कर रही है, उसके सिर के बालों को खींचते हुए उससे पूछताछ की जा रही है। भीड़ ने गोतस्कर के कब्जे से चार गोवंश छुड़ाकर पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने गोतस्कर को गिरफ्तार कर गोवंश को स्थानीय गोशाला में भेजा। पुलिस ने गोतस्कर के बयान के आधार पर भीड़ के खिलाफ मारपीट का मामला भी दर्ज किया है।
अलवर जिला पुलिस अधीक्षक देशमुख परिस अनिल ने बताया कि गोतस्करी और मॉब लिंचिंग का मामला दर्ज हुआ है। पुलिस मामले दर्ज कर अनुसंधान कर रही है, जो भी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
जानकारी के अनुसार, अलवर जिले बड़ौदा मेव पुलिस थाना क्षेत्र के बावडि़का गांव को जाने वाले रास्ते पर गत चार दिसंबर की रात को तीन-चार गोतस्कर चार गायों को लेकर जा रहे थे। ग्रामीणों ने उन्हें मौके पर पकड़ लिया। इस दौरान दो गोतस्करों रुजदार और सबुद्दीन के साथ जमकर पिटाई की, बाकी गोतस्कर फरार हो गए। भीड़ ने रुजदार के बाल पकड़ कर पूछताछ की। इसी दिन सूचना पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर मामला दर्ज कर लिया था। आरोपितों को गिरफ्तार भी कर लिया गया था। लेकिन मामला सार्वजनिक नहीं हुआ था। पुलिस ने भी मीडिया को इस बारे में नहीं बताया था। बुधवार को इस प्रकरण का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ तो खुलासा हुआ।
जानें, क्या है पहलू खान मामला
एक अप्रैल, 2017 को पहलू खान को अलवर में गोतस्करी के आरोप में भीड़ ने पीट-पीटकर घायल कर दिया था। अस्पताल में चार अप्रैल 2017 को उनकी मौत हो गई थी। अलवर पुलिस ने 24 मई, 2017 को राजस्थान गोवंश पशु अधिनियम-1995 के तहत इरशाद, आरिफ और खान मोहम्मद के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। पहलू खान की मौत हो चुकी थी, इसलिए उनका नाम शामिल नहीं किया गया। हालांकि, उनका नाम चार्जशीट की समरी में था।
पुलिस अपने रख पर कायम थी कि जांच में पहलू खान, उसके बेटों और खान मोहम्मद के खिलाफ मामला साबित हुआ है। इस मामले में दूसरा केस उन्मादी हिंसा के तहत दर्ज किया गया था, जिसके सभी छह आरोपितों को पिछले दिनों बरी कर दिया गया है। निचली अदालत के इस निर्णय को भी हाई कोर्ट में चुनौती दी गई।
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