राजस्थान में दिव्यांगों को मिलेगा 150 दिन काम, मनरेगा योजना में अब तक 54 लाख को मिला काम
आंध्रप्रदेश की तर्ज पर राजस्थान में दिव्यांगों को 150 दिन काम मिलेगा मनरेगा योजना में अब तक 54 लाख को मिला काम
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार मनरेगा में आंध्रप्रदेश मॉडल अपनाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत राजस्थान में भी आंध्रप्रदेश की तर्ज पर दिव्यांगों को 150 दिनों का काम मिलेगा। वर्तमान में प्रदेश में सभी तरह के लोगों को अधिकतम 100 दिन का काम देने का प्रावधान है। लेकिन अब दिव्यांगों को 150 दिन तक काम दिए जाने की तैयारी की जा रही है।
राज्य के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने बताया कि प्रदेश में अब तक 54 लाख से अधिक लोगों को मनरेगा में रोजगार उपलब्ध कराया जा चुका है। यह संख्या देश में सबसे अधिक है। मनरेगा में लोगों को मांगते ही काम देने के निर्देश अधिकारियों को दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि मनरेगा श्रमिकों को कार्यस्थल पर ठंडी छांया व पानी उपलब्ध कराने के भी निर्देश दिए गए हैं। मनरेगा आयुक्त पी.सी.किशन ने बताया कि राज्य में दिव्यांगों के लिए मेट का काम रिजर्वेशन में रखा जाता है। उनके लिए काम को क्लासिफाइड किया गया है। दिव्यांगों के लिए अब सेपरेट जॉब कार्ड बनेगा। दिव्यांगों को सेपरेट फैमिली माना जाएगा।
यह प्रस्ताव स्टेट एंप्लायमेंट गारंटी काउंसिल की आगामी बैठक में पारित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि इस साल जनवरी से अब तक करीब 13 हजार लोगों को दिव्यांगों को मनरेगा में काम दिया गया है। जबकि पिछले पूरे साल में करीब 16 हजार दिव्यांगों को मनरेगा में काम दिया गया था। कोरोना संक्रमण के कारण बेरोजगार हुए प्रवासी मजदूरों को भी मनरेगा में काम दिया गया है। इनके अलग से जॉब कार्ड बनाए गए हैं ।
सरकार ने नए जॉब कार्ड बनाने के साथ ही प्रवासी मजदूरों को भी मनरेगा के काम से जोडा है। राजस्थान में मनरेगा के नियमों में थोड़ा बदलाव किया गया है। अब मजदूर खेत पर काम कर सकते हैं । खेत पर किए जाने वाले काम को अब मनरेगा में जोड़ा जाएगा और मजदूरी दी जाएगी। गांव का कोई भी काम कराया जा सकेगा,उसे भी मनरेगा में गिना जाएगा ।