जानिए, मनीषा कोइराला ने किस तरह लड़ी कैंसर से जंग
manisha koirala. मनीषा कोइराला ने कहा कि कैंसर मौत की घोषणा नहीं है, हिम्मत रखिए और अपनी तरफ से हर संभव कोशिश जरूर कीजिए।
जयपुर, जेएनएन। आखिरी स्टेज के ओवेरियन कैंसर को हरा कर लौटीं फिल्म अभिनेत्री मनीषा कोइराला की कहानी ने जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में उन्हें सुन रहे हर आदमी की आखें तो नम कर दी, लेकिन ऐसी किसी भी चुनौती से लड़ने की हिम्मत भी दी। मनीषा ने कहा कि मौत एक सच्चाई है और समय आता है तो सबको जाना ही पड़ता है, लेकिन कैंसर मौत की घोषणा नहीं है, हिम्मत रखिए और अपनी तरफ से हर संभव कोशिश जरूर कीजिए।
कैंसर के साथ अपनी लड़ाई और जीत पर मनीषा ने एक किताब लिखी है जिसका नाम है “हील्ड”। रविवार को जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल में मनीषा ने फेस्टिवल डॉयरेक्टर संजोय के राॅय के साथ इस किताब के जरिए वे अनुभव लोगों के साथ बांटे, जिनसे इस बीमारी और उपचार के दौरान वे गुजरी। मनीषा ने कहा कि इस बीमारी ने मुझे यह बहुत बेहतर ढंग से समझा दिया कि इस धरती पर हम बहुत कम समय के लिए आए हैं और इस समय में हम अपने और दूसरों के लिए जो भी अच्छा कर सकते हैं, वह जरूर करना चाहिए। मनीषा ने बताया कि मेरी बीमारी के दौरान मेरे अनुभव बहुत अलग रहे। जिनसे उम्मीद थी कि साथ देंगे, वे साथ नहीं आए। मेरे भाई को मैं बहुत गैर जिम्मेदार मानती थी, लेकिन उसने इस पूरे दौर में मुझे बहुत बेहतर ढंग से संभाला। न्यूयॉर्क में एक डाॅक्टर दंपति हर रविवार मेरे पास आता था। मैंने एक दिन उनसे पूछा कि आप इतने व्यस्त रहते है, लेकिन फिर भी आप मेरे पास आ कर समय बिताते है, ऐसा आप क्यों करते हैं तो उनका कहना था कि हम सिर्फ इस उम्मीद में आते है कि आप भी किसी जरूरतमंद के साथ ऐसा ही कुछ करेंगी। उसी समय मैंने तय कर लिया था कि यदि मुझे दूसरी जिंदगी मिली तो लोगों के लिए जो बेहतर हो सकेगा, वह करने की कोशिश करूंगी। इसके साथ ही यह भी तय किया था कि अच्छी हो गई तो अपनी कहानी लोगों तक जरूर पहुंचाऊंगी, ताकि लोगों को लगे कि कैंसर होना मौत की घोषणा नहीं है।
वो रात सबसे लंबी और अकेली रात थी
मनीषा ने बताया कि कैंसर के बारे में मुझे जब सबसे पहले बताया गया तो वह रात मेरी सबसे लंबी और अकेली रात थी। समय कट ही नहीं रहा था। फिर जब मैं मुंबई में आई दोबारा जांच कराने के लिए तो कहीं दिल में एक उम्मीद थी कि मेरी पहली जांच गलत निकलेगी। काठमांडू से मुंबई तक का दो घंटे का सफर भी पूरी जिंदगी का सफर लग रहा था। डाॅक्टर ने जब दोबारा जांच कराने के लिए कहा तो फिर एक उम्मीद जागी, लेकिन वो नहीं हुआ जो सोचा था। मनीषा ने बताया कि इस बीमारी के दौरान में लोगों को चेहरे पढ़ना बहुत अच्छी तरह जान गई थी, पता लग जाता था कि क्या हो रहा है।
अपनी बीमारी के बारे में जानिए और खुद उसे कंट्रोल कीजिए
मनीषा ने कहा कि कैंसर जैसी कोई भी बीमारी हो तो यह जरूरी है कि आप इसके बारे में खुद सब कुछ जानिए। मैंने ऐसा किया। मुझे आखिरी स्टेज का कैंसर था। मुझे पता था कि आॉपरेशन के दौरान मेरी मौत भी हो सकती है, लेकिन मैंने सोचा कि मरना तो है ही, लेकिन कोशिश करने में क्या हर्ज है। अच्छे डाॅक्टर की खोज की। इस बीमारी के बारे में बहुत पढा और जाना। इससे आप अपने इलाज के बारे में बेहतर ढंग से समझ पाते है और खुद पर आपका नियंत्रण बना रहता है।
मनीषा ने कहा कि जब डाॅक्टर अपना काम कर चुके होते हैं तो फिर खुद आपको अपने लिए काम करना पड़ता है। इस दौरान दिमागी संतुलन बनाए रखिए और खुद की सेहता सुधारने के लिए जो भी प्रयास कर सकते हैं, वह करिए। सबसे बडी बात है खुद में हौंसला बनाए रखिए और डाॅक्टर की हर बात मानिए। यह मान कर चलिए कि शायद आपके जीवन में कुछ असंतुलन था, जिसे ठीक करने के लिए यह बीमारी आई है। अपनी गलतियों को ठीक कीजिए।
हिमालय चढ़ने की कोशिश करूंगी
मनीषा ने बताया कि फिल्में मेरा पहला प्यार है। ये करती रहंगी, इसके साथ ही हिमालय बेस कैंप भी जा रही हूं। सही ट्रेनिंग मिल गई तो हिमालय चढ़ने की कोशिश करूंगी।