28 बार चुनाव हारने के बाद भी 72 वर्षीय तीतर का मनोबल बरकरार, मैदान में फिर एक बार
Lok Sabha Election 2019 लगातार 28 चुनाव हार चुके राजस्थान में श्रीगंगानगर निवासी तीतर सिंह एक बार फिर चुनाव में अपनी तकदीर अजमा रहे है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। लगातार 28 चुनाव हार चुके राजस्थान में श्रीगंगानगर निवासी तीतर सिंह एक बार फिर चुनाव में अपनी तकदीर अजमा रहे है। तीतर सिंह 3 बार वार्ड पंच, सरपंच, पंचायत समिति सदस्य, 10 बार विधानसभा चुनाव और 8 बार लोकसभा चुनाव हार चुके है इस बार लोकसभा का 9वीं बार चुनाव लड़ रहे है। तीतर सिंह अपनी एक पुरानी जीप में चार-पांच साथियों के साथ गांवों में जाकर लोगों से मिल रहे है। लोगों के समक्ष अपनी बात रखने के साथ ही वोट मांग रहे है। उनकी पत्नी और अन्य परिजन भी ट्रेक्टर में सवार होकर गांवों में प्रचार कर रहे है।
तीतर सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि अगर वे चुनाव जीतते है तो वे न्यूनतम आय बढ़ाने को लेकर संसद में अपनी बात रखेंगे। हर गरीब व्यक्ति को घर और पांच बीघा कृषि भूमि सरकारी की तरह से उपलब्ध कराने के लिए प्रयास करने के साथ ही श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ जिलों में छोटे-छोटे काम-धंधे स्थापित कराने को लेकर कोशिश करेंगे। खुद साक्षर तीतर सिंह ग्रामीण बच्चों के लिए गुणवत्ता युक्त शिक्षा उपलब्ध कराने का भी वादा करते है। उल्लेखनीय है कि देश में सबसे ज्यादा बार चुनाव में हारने का रिकॉर्ड जोगिन्द्र सिंह धरती पकड़ का रहा है।
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राजस्थान के गंगानगर जिले में रहने वाले तीतर सिंह चुनाव लड़ रहे हैं। हैरानी वाली बात यह है कि तीतर सिंह मनरेगा मजदूर हैं उनके पास संपत्ति के नाम पर एक रुपये भी नहीं हैं। वह लोगों के दान किए हुए रुपयों से चुनाव लड़ रहे हैं और वह चाहते हैं कि कम से कम एक बार उन्हें जीत मिले। गुलाबेवाला गांव के रहने वाले तीतर सिंह मनरेगा मजदूरी करके 142 रुपये प्रतिदिन कमाते हैं। उसके पास एक पैसा तक नहीं है।
तीतर सिंह ने अपना नामांकन पत्र में उन्होंने चल व अचल संपत्ति वाले और आपराधिक बैकग्राउंड वाले कॉलम में निल (कुछ नहीं) लिखा है। इसमें उन्होंने लिखा है कि आजीविका के लिए वह मनरेगा मजदूर और कृषि का काम करते हैं। वह अब तक नौ विधानसभा चुनाव और 9 लोकसभा चुनाव लड़ चुके हैं। इसके अलावा वह पंचायत और नगर निगम स्तर के चुनाव में भी अपनी किस्मत आजमा चुके हैं।
बेटे भी करते हैं मजदूरी
तीतर सिंह के दो बेटे हैं- अकबर सिंह और रशपाल सिंह। तीतर के पत्नी गुलाब कौर भी उनका समर्थन करते हैं। अकबल सिंह और उनके भाई खुद एक कृषि मजदूर हैं और मनरेगा में मजदूरी करते हैं।