राजस्थान के 33 में से 32 जिलों तक पहुंची पाकिस्तान से आई टिड्डियां, सरकार और किसान दोनों परेशान
राजस्थान में टिड्डियों का प्रकोप सरकार और किसानों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। नुकसान को देखते हुए गहलोत ने प्रधानमंत्री से इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर चुके हैं ।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में टिड्डियों का प्रकोप सरकार और किसानों के लिए बड़ी चुनौती बना हुआ है। टिड्डियों से हो रहे नुकसान को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से इसे राष्ट्रीय आपदा घोषित करने की मांग कर चुके हैं । वैसे तो हर साल टिड्डियों का प्रकोप रहता है, लेकिन इस बार प्रदेश के 33 में से 32 जिलों में इनका कहर बरपा हुआ है। अब केवल बांसवाड़ा अछूता रहा है।
पिछले साल 12 जिलो में टिड्डियों ने आतंक मचाया था। इस साल अब तक प्रदेश का 5 लाख 65 हजार 411 हेक्टर क्षेत्र टिड्डी प्रभावित हो चुका हैं, जबकि 4 लाख 41 हजार 503 हेक्टर क्षेत्र को अब तक कीटनाशक छिड़काव के जरिए उपचारित किया गया है।
कृषि विभाग द्वारा अब तक 4 हजार 770 स्थानों पर टिड्डी नियंत्रण अभियान चलाया जा चुका है । कृषि विभाग अब तक 2 लाख 16 हजार 307 हेक्टर में टिड्डी नियंत्रण कर चुका है जिसमें 82 हजार 591 लीटर कीटनाशक प्रयोग किया गया है।टिड्डी चेतावनी संगठन ने 2 लाख 25 हजार 196 हेक्टर क्षेत्र उपचारित किया है, जिसमें 2 लाख 10 हजार 138 लीटर कीटनाशक का उपयोग हुआ है। टिड्डियां पाकिस्तान के रास्ते प्रदेश में प्रवेश कर रही हैं। लिहाजा पश्चिमी राजस्थान के जिले टिड्डियों से सबसे ज्यादा प्रभावित हैं। पांच सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में नागौर में सबसे अधिक 95 हजार 223 हेक्टर क्षेत्र अब तक टिड्डी प्रभावित हुआ है।
बीकानेर में 77 हजार 870 और जोधपुर में 71 हजार 714 हेक्टर क्षेत्र,चूरू में 71 हजार 481 और बाड़मेर में 50 हजार 323 हेक्टर क्षेत्र टिड्डियों से प्रभावित हुआ है। वहीं सबसे कम प्रभावित पांच जिलों की अगर बात की जाए तो बांसवाड़ा अब तक टिड्डियों से बिल्कुल अछूता है, जबकि डूंगरपुर जिले में 100 हेक्टर क्षेत्र टिड्डियों से प्रभावित हुआ है।
इसी तरह धौलपुर में 165, राजसमंद में 462 और बारां में 529 क्षेत्र टिड्डियों से अब तक प्रभावित हुआ है। टिड्डी नियंत्रण के लिए राज्य सरकार के साथ ही केन्द्र सरकार द्वारा बड़े स्तर पर संसाधन झोंके जा रहे है । अब तक टिड्डी चेतावनी संगठन के 2 हजार 821 स्प्रेयर उपयोग लिए जा चुके हैं, जबकि 15 हजार 840 ट्रेक्टर माउंटेड स्प्रेयर उपयोग लिए गए हैं। 3 हजार 132 सर्वे वाहन, 51 फाल्कन मशीन, 2 हजार 313 पानी के टैंकर और 498 फायर बिग्रेड की गाड़ियां भी टिड्डी नियंत्रण में उपयोग ली जा चुकी हैं।