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Rajasthan: हाईकोर्ट के नए भवन में शिफ्टिंग से पहले हाईकोर्ट हेरिटेज विरासत को वकीलों ने सहेजा कैमरे में

ऐतिहासिक विरासत के साक्षी रहे राजस्थान की न्यायिक राजधानी का हाईकोर्ट मुख्यपीठ के पुराने भवन में गुरुवार को अदालती कार्यवाही का अंतिम कार्यदिवस रहा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 06 Dec 2019 12:09 PM (IST)Updated: Fri, 06 Dec 2019 12:09 PM (IST)
Rajasthan: हाईकोर्ट के नए भवन में शिफ्टिंग से पहले हाईकोर्ट हेरिटेज विरासत को वकीलों ने सहेजा कैमरे में
Rajasthan: हाईकोर्ट के नए भवन में शिफ्टिंग से पहले हाईकोर्ट हेरिटेज विरासत को वकीलों ने सहेजा कैमरे में

जोधपुर, रंजन दवे। ऐतिहासिक विरासत के साक्षी रहे राजस्थान की न्यायिक राजधानी का हाईकोर्ट मुख्यपीठ के पुराने भवन में गुरुवार को अदालती कार्यवाही का अंतिम कार्यदिवस रहा। आगामी शनिवार सात दिसंबर को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा नए भवन के उद्घाटन किए जाने के साथ ही हाईकोर्ट का इतिहास अत्याधुनिक नये भवन में करवट लेगा। पुराने कहलवाने से पहले हाईकोर्ट हेरिटेज भवन में 70 साल के इतिहास को समेटे हेरिटेज भवन के साथ अपनी स्मृति जीवंत बनाए रखने के लिए वकीलों न्यायाधीशों ने सेल्फी डे मनाया और इस भवन के मुख्य द्वार के समक्ष खड़े होकर सेल्फी ली, फोटो खिचवाये और इसके साथ जुड़ी स्मृतियों को चिरस्थायी कर दिया।

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राजस्थान हाईकोर्ट का नया भवन सात दिसम्बर से नई तकनीकी और सुसज्जित नई इमारत में कार्यप्रणाली की नई उड़ान भरेगा। इससे पहले हाईकोर्ट प्रशासन शुक्रवार को अवकाश घोषित कर दिया है। इसके अगले ही दिन शनिवार को नए भवन का उद्घाटन प्रस्तावित है।

हेरिटेज भवन हाईकोर्ट आखिरी दिन वकील समुदाय बड़ा भावुक नजर आया। राजस्थान उच्च न्यायालय के सभी अधिवक्ताओं ने लंच बाद हाई कोर्ट प्रांगण में एकत्रित होकर भव्य तरीके से उच्च न्यायालय भवन के साथ छायाचित्र लेकर भवन को यादों के रूप में सम्मिलित करते हुए सेल्फी ली और आज के दिन को सेल्फी डे के रूप में मनाते हुए खुशी जाहिर की। न्यायाधीश, एडवोकेट सहित अन्य स्टाफ हेरिटेज प्रांगण में पधारे और हर्षोल्लास से अंतिम दिन को मनाया और पुराने दिनों को भी याद किया !

70 साल का इतिहास समेटे है हेरिटेज भवन

राजस्थान हाईकोर्ट का इतिहास समृद्ध है। देश की आजादी से पहले न्यायिक व्यवस्था के लिए ब्रिटिश प्रणाली चलन में थी। राज्यों एकीकरण के दौरान कई उतार- चढाव एवं प्रशासनिक बदलाव के बाद 27 अक्टूबर 1956 को राष्ट्रपति ने जोधपुर में राजस्थान उच्च न्यायालय की मुख्यपीठ घोषित की। राजस्थान उच्च न्यायालय का मौजूदा भवन वर्ष 1935 में बनकर तैयार हुआ। मौजूद भवन का उद्घाटन 18 फरवरी 1936 को तत्कालीन नरेश ने भव्य राजकीय समारोह में किया था। इस भवन का निर्माण तत्कालीन नरेश उम्मेदसिंह ने ब्रिटिश हुकूमत के जॉर्ज पंचम के शासन की सिल्वर जुबली की यादगार के तौर पर करवाया। भवन का नक्शा इंग्लैड के ही ख्यातिप्राप्त वास्तुविद वाल्टर जॉर्ज ए गोल्ड स्ट्राएरिबा ने बनाया था। भवन का निर्माण तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री एस जी एडगर की देखरेख में जोधपुर निवासी गजधर हाजी मोहम्मद नागौरी सिलावट ने किया। भवन के निर्माण पर 4 लाख 50 हजार खर्च हुए।

स्वतंत्रता के बाद न्यायमूर्ति जस्टिस कमलकांत वर्मा हाईकोर्ट के पहले मुख्य न्यायाधीश नियुक्त हुए। उनके साथ 11 अन्य न्यायाधीशों ने भी शपथ ग्रहण की थी।

इनका कहना है :-

हाईकोर्ट न्यायाधीश पुष्पेंद्र सिंह भाटी- यादों की गठरी के रूप में अपने अनुभवों को सहेज कर न्याय व्यवस्था की बेहतरी के लिए नए भवन की ओर प्रस्थान कर रहे, इस विश्वास के साथ कि राजस्थान की जनता का न्याय की प्रति आस्था और बुलंद हो और न्यायपालिका से जुड़े लोग और मजबूती के साथ जनता की सेवा कर सके।

पूर्व उपाध्यक्ष, हाईकोर्ट एडवोकेट एसोसिएशन जोधपुर, प्रवीण दयाल दवे एडवोकेट - ये वकीलों के लिए गौरव का पल है, साथ ही इस ऐतिसाहिक भवन से याद जुड़ी है। मौजूदा भवन की स्थापत्य कला बेजोड़ है और जोधपुर के हेरिटेज का बेहतर नमूना है, ऐसे में सभी वकीलों का इस भवन से जुड़ाव और लगाव है। 


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