Move to Jagran APP

टिड्डियों को मारने वाले कीटनाशक से जहरीली हो रही जमीन, विशेषज्ञों की राय- पशुओं व पक्षियों को भी हो रहा नुकसान

प्रदेश में करीब 1.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र टिड्डी प्रभावित है। अब तक 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कीटनाशकों से टिड्डी नियंत्रण किया गया है। यह कीटनाशक जमीन को जहरीला बना देता है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Sat, 06 Jun 2020 12:50 PM (IST)Updated: Sat, 06 Jun 2020 01:02 PM (IST)
टिड्डियों को मारने वाले कीटनाशक से जहरीली हो रही जमीन, विशेषज्ञों की राय- पशुओं व पक्षियों को भी हो रहा नुकसान
टिड्डियों को मारने वाले कीटनाशक से जहरीली हो रही जमीन, विशेषज्ञों की राय- पशुओं व पक्षियों को भी हो रहा नुकसान

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। पाकिस्तान से एक बार फिर राजस्थान में टिड्डियों के बड़ी संख्या में आने की आशंका जताई गई है। इसके लिए टिड्डी चेतावनी संगठन ने राज्य सरकार को चेताया है कि इस बार होने वाला टिड्डियों का हमला पहले से अधिक नुकसानदायक होगा। इसी बीच कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि जिंदा टिड्डियां जहां फसल को नुकसान पहुंचा रही है, वहीं इन्हे मारने के लिए जो कीटनाशक इस्तेमाल किया जा रहा है वह काफी खतरनाक है। यह कीटनाशक जमीन को जहरीला बना देता है।

loksabha election banner

कीटनाशक से जानवरों एवं पक्षियों को भी नुकसान हो सकता है। टिड्डियों को नष्ट करने के लिए टिड्डी चेतावनी संगठन व केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने 13 तरह के कीटनाशकों के छिड़काव को मंजूरी दी है। इनें जहरीला कीटनाशक मैलाथियान शामिल है। इसका इस्तेमाल रेगिस्तानी इलाकों में करने की बात कही गई है। विशेषज्ञों का कहना है कि कीटनाशकों से टिड्डियां तो पूरी तरह नहीं मर पा रही हैं, लेकिन कीटनाशक से जानवरों व पक्षियों को नुकसान हो रहा है। जयपुर स्थित स्नातकोत्तर पशु चिकित्सा शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान की डीन डॉ. संजीता शर्मा का कहना है कि ये कीटनाशक अपघटित नहीं होते और सालों तक जमीन के अंदर मौजूद रहते हैं। वातावरण में घुल चुके ये रसायन श्वांस के जरिए पशु-पक्षियों और मानव शरीर में जाकर नुकसान पहुंचाते हैं। यहीं बात वेटनरी यूनिवर्सिटी के कई प्रोफेसरों ने पिछले दो माह के अध्ययन में कही है।

प्रदेश में करीब 1.15 लाख हेक्टेयर क्षेत्र टिड्डी प्रभावित है। अब तक करीब 90 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में कीटनाशकों से टिड्डी नियंत्रण किया गया है। प्रदेश के कृषि मंत्री लालचंद कटारिया का कहना है कि किसान की फसल और पेड़ों को बचाने के लिए कीटनाशक का उपयोग करना आवश्यक है । इसका अधिक उपयोग नुकसान दायक होता है यह बात कुछ विशेषज्ञों ने कही है,लेकिन फसल और जीव-जंतुओं को बचाने के लिए यह आवश्यक है।

गंभीर बीमारियां हो सकती है

कीटनाशकों का ज्यादा घातक रसायनों का इस्तेमाल अकृषि क्षेत्र में ही किया जा रहा है। लेकिन फिर भी ये स्वास्थ्य के लिए बड़ा खतरा बन सकते हैं। डॉ. संजीता शर्मा सहित जोबनेर कृषि विवि.के प्रोफेसरों का कहना है कि कीटनाशक प्रभावित वनस्पति को यदि पशु खा लेते हैं तो उनके तत्व दूध के जरिए मानव शरीर में जाते हैं । एक बार पशुओं के शरीर में जाने के बाद ये कीटनाशक वसा के साथ उनके शरीर में लम्बे समय तक रहते हैं । इससे काफी नुकसान होता है ।

जयपुर के कांवटिया अस्पताल के डॉ.धीरज वर्मा का कहना है कि टिड्डियों को मारने के लिए जो कीटनाशक उपयोग में लिया जा रहा है,उससे पेट से जुड़ी गंभीर बीमारियां हो सकती है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान से सटे राजस्थान के बाड़मेर, जैसलमेर,जोधपुर व श्रीगंगानगर में प्रति वर्ष हवा के साथ टिड्डियां आती है। इनके कारण किसानों की फसल को काफी नुकसान होता है। पिछले दिनों पाकिस्तान की तरफ से आई टिड्डियों के कारण प्रदेश के 13 जिलों में फसल को नुकसान हुआ था। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.