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Rajasthan: जोधपुर में बस से कुचले अज्ञात शव को पुलिस ने कचरा संग्रहण गाड़ी में रखवाकर भेज दिया अस्पताल

Rajasthan जोधपुर में बरकतुल्लाह खान स्टेडियम क्षेत्र के एसीपी कार्यालय के बाहर बस के द्वारा कुचले जाने वाले एक अज्ञात व्यक्ति के शव को पुलिसकर्मियों द्वारा आनन-फानन में कचरा उठाने वाली गाड़ी में डाल कर रवाना कर दिया गया।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 01 Jun 2022 05:54 PM (IST)Updated: Wed, 01 Jun 2022 05:54 PM (IST)
Rajasthan: जोधपुर में बस से कुचले अज्ञात शव को पुलिस ने कचरा संग्रहण गाड़ी में रखवाकर भेज दिया अस्पताल
बस से कुचले अज्ञात शव को पुलिस ने कचरा संग्रहण गाड़ी में रखवाकर भेज दिया अस्पताल। फोटो जागरण

जोधपुर, संवाद सूत्र। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह नगर जोधपुर में पुलिस का अमानवीय चेहरा सामने आया है। यहां बरकतुल्लाह खान स्टेडियम क्षेत्र के एसीपी कार्यालय के बाहर बस के द्वारा कुचले जाने वाले एक अज्ञात व्यक्ति के शव को पुलिसकर्मियों द्वारा आनन-फानन में कचरा उठाने वाली गाड़ी में डाल कर रवाना कर दिया गया। पुलिस के द्वारा लगातार इस मामले को छुपाने व दबाने का भी प्रयास किया गया, लेकिन अस्पताल के सीसीटीवी कैमरे में पहुची कचरा गाड़ी से स्थिति साफ हो गई। मामला सामने आने के बाद मानवाधिकार आयोग ने भी संज्ञान लिया है और 15 दिन में रिपोर्ट भेजने के लिए कहा गया है। घटना जोधपुर के बरकतुल्लाह खान स्टेडियम के पास के इलाके से जुड़ी है। यहां एक व्यक्ति रात को बस के नीचे सोया था और सुबह बस ड्राइवर के बस को ले जाने से टायर के नीचे दबने से उसकी मौत हो गई।

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मानवाधिकार आयोग ने मांगी रिपोर्ट

एसीपी कार्यालय से पहुंची टीम ने वहां से गुजर रही कचरा बीनने वाली संग्रहण गाड़ी को रुकवाया और उसमें ही उस अज्ञात शव को डालकर रवाना कर दिया। इसके बाद वह गाड़ी शव को लेकर मथुरादास माथुर अस्पताल पहुंची। घटना की जानकारी मिलने पर मीडिया ने इस बारे में पुलिस से संपर्क साधा तो मामले में अनभिज्ञता जाहिर की गई, लेकिन अस्पताल में लगे सीसीटीवी फुटेज से पूरा वाक्या साफ हो गया। पुलिस ने मामले को छिपाने का प्रयास किया और इंटरनेट मीडिया पर पत्रकार के द्वारा डाली गई खबर को भी डिलीट किए जाने का दबाव बनाया गया। हालांकि मीडिया में पूरी घटना की जानकारी सामने आने पर पुलिस अधिकारी अब कुछ बोलने से कतरा रहे हैं। वहीं, घटना के संज्ञान में आने के बाद राजस्थान मानवाधिकार आयोग के जस्टिस गोपाल कृष्ण व्यास ने इस मामले में जिला कलेक्टर और पुलिस आयुक्त से 15 दिनों के भीतर तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी है। 


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