कोरोना मुक्त हुए जोधपुर जिला कलेक्टर इंद्रजीत सिंह ने किया प्लाज्मा डोनेट, ताकि बचाई जा सके जान
इंद्रजीत सिंह कुछ दिन पूर्व कोरोना संक्रमित हो गए थे। जोधपुर में जिला कलेक्टर से पहले 48 लोग अपना प्लाज्मा डोनेट कर चुके हैं।
जोधपुर [रंजन दवे]। जोधपुर जिले में कोरोना के बढ़ते मामले और 100 से अधिक संक्रमित लोगों की मौत के बीच जिला कलेक्टर इंद्रजीत सिंह ने शुक्रवार को अनुकरणीय पहल करते हुए अपना प्लाज्मा डोनेट किया है, ताकि किसी अन्य गंभीर मरीज की जान बचाई जा सके। इंद्रजीत सिंह कुछ दिन पूर्व कोरोना संक्रमित हो गए थे। जोधपुर में जिला कलेक्टर से पहले 48 लोग अपना प्लाज्मा डोनेट कर चुके हैं। इधर बढ़ती मोतो और संक्रमितों की बेतहाशा वृद्धि के बीच जोधपुर में शुक्रवार की शाम से सोमवार 10 जुलाई सवेरे 6 बजे तक लॉक डाउन की घोषणा की है।
जोधपुर में अब तक 7,623 संक्रमित मिल चुके है। प्रशासन ने बढ़ते संक्रमण को देखते हुए दो दिन लॉकडाउन की घोषणा की है। जोधपुर में पोजीविटी डर भी 6.24 प्रतिशत हो गयी है।इधर जोधपुर में पदभार ग्रहण करने के कुछ दिन के भीतर ही जिला कलेक्टर की आईएएस अधिकारी पत्नी व बेटी कोरोना संक्रमित हो गए थे। इसके बाद इंद्रजीत सिंह भी संक्रमित पाए गए। अब पूरी तरह से ठीक होने के बाद उन्होंने प्लाज्मा डोनेट कर पहल की है। ताकि उनसे प्रेरित होकर अन्य लोग भी कोरोना से मुक्त होने के बाद अपना प्लाज्मा डोनेट करने आगे आ सके।
कोरोना संकट के इस दौर में लोगों के बीच प्लाज्मा थेरेपी नाम खासा चर्चित हुआ है। एक तरफ जहां समूचा विश्व कोरोना का इलाज ढूंढने में लगा है, वहीं प्लाज्मा थेरेपी एक उम्मीद के रूप में सामने आ रही है। हालांकि, इसे लेकर मेडिकल कम्युनिटी पूरी तरह आश्वस्त नहीं है, लेकिन शुरुआती दौर में इसने एक राह तो दिखलाई ही है।सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि अमेरिका में अमेरिकी फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन ने कोरोना से लडक़र ठीक हुए मरीजों से प्लाज्मा दान करने की अपील की है। इससे पहले चीन में फरवरी से ही इस मेथड के माध्यम से इलाज किया जा रहा है। ऐसा नहीं है कि सिर्फ कोरोना में ही प्लाज्मा थेरेपी का उपयोग किया गया है, बल्कि इससे पहले इबोला वायरस से मुकाबले के लिए भी प्लाज्मा थेरेपी इस्तेमाल में लाई गई थी।इसका पूरा नाम कॉन्वालेसंट प्लाज्मा थेरेपी है।
कैसे काम करती है प्लाज्मा तकनीक
प्लाज्मा हमारे खून का पीला तरल हिस्सा होता है, जिसके जरिए सेल्स और प्रोटीन शरीर की विभिन्न कोशिकाओं तक पहुंचते हैं। हमारे शरीर में जो खून मौजूद होता है उसका 55 प्रतिशत से अधिक हिस्सा प्लाज्मा का ही होता है। प्लाज्मा के बारे में यह जान लेना उचित रहेगा कि अगर कोई व्यक्ति किसी बीमारी से ठीक हुआ रहता है और अपना प्लाज्मा डोनेट करता है, तो इससे डोनेट करने वाले व्यक्ति को किसी प्रकार का कोई नुकसान नहीं होता है। किसी प्रकार की कोई कमजोरी नहीं होती है। इसमें जो लोग अपना प्लाज्मा डोनेट करते हैं, उनके प्लाज्मा को दूसरे मरीजों से ट्रांसफ्यूजन के माध्यम इंजेक्ट करके इलाज किया जाता है।इस तकनीक में एंटीबॉडी का इस्तेमाल होता है, जो किसी भी व्यक्ति के बॉडी में किसी वायरस या बैक्टीरिया के खिलाफ बनता है। इसी एंटीबॉडी को मरीज के शरीर में डाला जाता है। ऐसे में एक मेथड से जो व्यक्ति ठीक हुआ रहता है, ठीक वही मेथड दूसरे मरीज पर कार्य करता है और दूसरा मरीज भी ठीक होने लगता है।