Farmers Protest: टिकैट की सक्रियता से राजस्थान की जाट राजनीति गरमाई, दिग्गज नेताओं ने बताया बाहरी
प्रदेश के जाट नेताओं का मानना है कि कृषि कानून के बहाने टिकैत राजस्थान में राजनीति की जमीन तलाश रहे हैं। अब तक उन्होंने जाट बहुल चार जिलों में किसान महापंचायत की और आगामी दो सप्ताह में वे जयपुर सहित तीन जिलों में जाएंगे।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। किसान नेता राकेश टिकैत की राजस्थान में बढ़ती सक्रियता से प्रदेश के जाट नेताओं में बेचैन हो गए। प्रदेश के जाट नेताओं का मानना है कि कृषि कानून के बहाने टिकैत राजस्थान में राजनीति की जमीन तलाश रहे हैं। अब तक उन्होंने जाट बहुल चार जिलों में किसान महापंचायत की और आगामी दो सप्ताह में वे जयपुर सहित तीन जिलों में जाएंगे। टिकैट के लिए प्रदेश में राजनीति की जमीन तलाशने का काम माकपा के नेता अमराराम, जाट महासभा के अध्यक्ष राजाराम मील और गुर्जर नेता हिम्मत सिंह कर रहे हैं।
राकेश टिकैत की बढ़ती सक्रियता से चिंतित राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी के अध्यक्ष और सांसद हनुमान बेनीवाल ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। बेनीवाल ने टिकैट बाहरी करार देते हुए कहा कि वे प्रदेश में सियासी जमीन तैयार नहीं कर पाएंगे। बाहरी नेता किसानों को नहीं जुटा सकता। बेनीवाल का मानना है कि जाट बहुल नागौर जिले में हुई टिकैत की सभा में मुठ्ठीभर लोग आए। अगर टिकैत किसानों में लोकप्रिय होते तो किसानों की भारी भीड़ आती।
दरअसल, नागौर बेनीवाल का संसदीय क्षेत्र है। वहां टिकैत की किसान महापंचायत से बेनीवाल को अपने राजनीतिक नुकसान का अंदाजा है। कृषि बिलों के विरोध में खुद को एनडीए छोड़ने वाले बेनीवाल को नागौर की महापंचायत में दरकिनार किए जाने से उनके समर्थक नाराज हैं। बेनीवाल, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा और कांग्रेस के वरिष्ठ विधायक भरतपुर पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेंद्र सिंह का मानना है कि टिकैट प्रदेश के जाट बहुल इलाकों में अपने लिए राजनीतिक जमीन तैयार करने में जुटे हैं। इसी आशंका के चलते इन नेताओं ने टिकैत के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। पूनिया तो पहले से ही पार्टी नेतृत्व के निर्देश पर टिकैत के खिलाफ बयानबाजी कर रहे हैं। वे अपने समर्थकों को किसान आंदोलन के खिलाफ माहौल तैयार करने के लिए पहले से ही कह चुके हैं।
डोटासरा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष की हैसियत से पार्टी के निर्देश पर किसान आंदोलन का समर्थन तो कर रहे हैं,लेकिन टिकैत की बढ़ती सक्रियता को पसंद भी नहीं कर रहे। इन नेताओं का मानना है कि वामपंथी दलों और जाट महासभा के सहयोग से टिकैट उनकी सियासी जमीन हथियाने की कोशिश में जुटे हैं। ये सभी अलग-अलग दलों मेें होने के बावजूद प्रदेश में कोई नया जाट नेता पैदा नहीं होने देना चाहते। जाट नेता विनोद चौधरी का कहना है कि टिकैत बाहरी हैं,यहां के किसान जागरूक हैं।
टिकट की नजर इन जाट बहुल जिलों पर
टिकैत यूपी के निकट जाट बहुल भरतपुर में गए। इसके बाद उन्होंने जाटों के प्रभाव वाले झुंझुंनूं, सीकर, हनुमानगढ़ व नागौर जिलों में अब तक किसान महापंचायत कर चुके हैं। आगामी दिनों में उनका जोधपुर, चित्तोड़गढ़ और जयपुर में किसान महापंचायत करने का कार्यक्रम है। इनकी तैयारियों की कमान भी जाटों के हाथ में हैं। वे गुर्जर बहुल करौली जिले में भी गए हैं।