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भाजपा ने झेेली नाराजगी, श्रेय मिलेगा कांग्रेस को, जयपुर मैट्रो का काम पूूरा होगा अगस्त तक

राजस्थान में पिछले दस वर्ष में राजनीति के केन्द्र मे रही जयपुर मैट्रो परियोजना का काम इस वर्ष अगस्त का तक पूरा हो जाएगा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 03 Jan 2019 02:51 PM (IST)Updated: Thu, 03 Jan 2019 02:51 PM (IST)
भाजपा ने झेेली नाराजगी, श्रेय मिलेगा कांग्रेस को, जयपुर मैट्रो का काम पूूरा होगा अगस्त तक
भाजपा ने झेेली नाराजगी, श्रेय मिलेगा कांग्रेस को, जयपुर मैट्रो का काम पूूरा होगा अगस्त तक

जयपुर, जेएनएन। राजस्थान में पिछले दस वर्ष में राजनीति के केन्द्र मे रही जयपुर मैट्रो परियोजना का काम इस वर्ष अगस्त का तक पूरा हो जाएगा। इस मैट्रो परियोजना की खास बात यह रही कि इसरूट का काम को पूरा करने के लिए लोगों की नाराजगी भाजपा ने झेली। इस रूट पर पडने वाली दो सीटो पर पार्टी को हार का सामना करना पडा, लेकिन अब इस रूट को पूरा करने का श्रेय कांग्रेस को मिलेगा।

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जयपुर में मैट्रो परियोजना की शुरूआत 2010 में कांग्रेस के राज में ही हुई थी। इसे जयपुर की सबसे बडी काॅलोनी मानसरोवर से चारदीवारी क्षेत्र में प्रवेश वाले चांदपोल गेट होते हुए चारदीवारी क्षेत्र मे बडी चैपड तक चलाना तय किया गया था। इस रूट का काम दो चरणों में बांटा गया, क्योंकि जयपुर के चारदीवारी क्षेत्र के प्रवेश द्वार तक मैट्रो खम्भों पर चलनी थी, जबकि चारदीवारी क्षेत्र में इसे भूमिगत चलाया जाना था। पहले चरण का 90 प्रतिशत काम कांग्रेस सरकार के समय पूरा हो गया और बाकी बचा काम भाजपा के कार्यकाल में हुआ। जुलाई 2015 पहले चरण पर मैट्रो चल गई और अभी भी चल रही है।

चरदीवारी वाले दूसरे चरण का काम भाजपा की सरकार के समय शुरू हुआ। हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंारा राजे शुरूआत में इस परियोजना के पक्ष में नही थी, लेकिन मैट्रो से सरकार को हर महीने लाखों रूप्ए का घाटा हो रहा है और इस की उपयोगिताा बनाए रखने के लिए चारदीवारी क्षेत्र का काम पूरा करना जरूरी था। जिस क्षेत्र में मैट्रो का काम चल रहा है, वह पुराने जयपुर का क्षेत्र है। यहां सरगासूली और हवामहल जैसी एतिहसिक इमारतें, जयपुर की पहचान माने जाने वाली एतिहासिक चैपडें और कई पुराने मंदिर है। जयपुर की अधिकांश व्यवसायिक गतिविधियां भी यही चलती है। लेकिन मैट्रो के काम के कारण पिछले पांच वर्ष से यह पूरा क्षेत्र अस्तव्यस्त चल रहा है।

मैट्रो के कारण इस तरह प्रभावित हुआ पुराना जयपुर

- मैट्रो स्टेशनों के निर्माण के लिए बडी और छोटी चैपड को तोडना पडा है, हालांकि इनका िफर से निर्माण होगा, लेकिन इनका पुरातन स्वरूप ख्त्म हो गया है।

- मार्ग में पडने वाले कई पुराने मंदिर हटाने पडे। इनमें से एक रोजगारेश्वर महादेव मंदिर को हटाने का तो जबर्दस्त विरोध हुआ और आखिर सरकार को उसका फिर से निर्माण कराना पडा। इसकी भी एतिहासिकता खत्म हो गई

- मैट्रो रूट पर चार बडे बाजार पडते है। इनके व्यापारियो का व्यापार पिछले पांच वर्ष से प्रभावित हो रहा है और यातायात बुरी तरह प्रभावित हो रहा है।

नाराजगी झेलनी पडी भाजपा-

इस पूरे काम की नाराजगी भाजपा को झेलनी पडी। मंदिर शिफ्ट किए जाने से संघ परिवार तक नाराज हुआ और सरकार के खिलाफ चक्का जाम तक किया गया। व्यापारियों और नागरिकों की नाराजगी भी झेलनी पडी। इसका असर चुनाव में दिखा जहां भाजपा ने किशनपोल की सीट 15 साल बाद गंवा दी, वहीं हवामहल की सीट फिर से कांग्रेस के खाते में चली गई।

अब श्रेय लेगी कांग्रेस-

भूमिगत होने के कारण यह काम काफी धीमी गति से चला और पांच वर्ष में भी पूरा नहीं हो पाया। अब हालांंकि काम अंतिम चरण में है और अधिकारियो का दावा है कि अगस्त 2019 तक काम पूर हो जाएगा। नगरीय विकास मंत्री शांति धारीवाल ने मैट्रो के काम दौरा किया और खुद पूरे काम की माॅनिटरिंग करने की बात कही है। ऐसे में अब जब यह काम पूरा होगा तो उसका उदघाटन कांग्रेस ही करेगी और इसका श्रेय भी इसे ही मिलेगा।


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