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राजस्थान कांग्रेस में बढ़ी अंतर्कलह, पायलट खेमे के विधायक खुलकर सामने आए, फोन टैपिंग मामले की सीबीआइ जांच की मांग

सचिन पायलट खेमे के विधायक एक बार फिर खुलकर अशोक गहलोत के खिलाफ सामने आ गए। ये विधायक सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। हालांकि पायलट पार्टी की मजबूती को लेकर संदेश देने में जुटे हैं।

By Priti JhaEdited By: Published: Thu, 18 Mar 2021 01:14 PM (IST)Updated: Thu, 18 Mar 2021 02:19 PM (IST)
राजस्थान कांग्रेस में बढ़ी अंतर्कलह, पायलट खेमे के विधायक खुलकर सामने आए, फोन टैपिंग मामले की सीबीआइ जांच की मांग
टेलिफोन टैपिंग मामले की सीबीआइ जांच की मांग, राजस्थान कांग्रेस में बढ़ी अंतर्कलह

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान की कांग्रेस सरकार में अंतर्कलह बढ़ती जा रही है। पिछले साल बगावत करने वाले पूर्व मुख्यमंत्री सचिन पायलट खेमे के विधायक एक बार फिर खुलकर अशोक गहलोत के खिलाफ सामने आ गए। ये विधायक सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे। हालांकि, पायलट पार्टी की मजबूती को लेकर संदेश देने में जुटे हैं। बगावत के समय विधायकों और केंद्रीय मंत्री के टेलिफोन टेप कराने के मामले को लेकर वरिष्ठ विधायक विश्वेंद्र सिंह ने सीबीआइ जांच की मांग का समर्थन किया है। भाजपा इस मामले की सीबीआइ जांच की मांग कर रही है।

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भाजपा सांसद दीया कुमारी ने इस संबंध में ट्वीट किया तो विश्वेंद्र सिंह ने री-ट्वीट किया। भाजपा विधायकों ने लगातार दो दिन तक इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया। सांसद सी.पी.जोशी ने लोकसभा में यह मामला उठाया। विश्वेंद्र सिंह इससे पहले भी फोन टैपिंग को गलत बताते हुए पार्टी के अंदर ही मामले की उच्च स्तर पर जांच कराने की मांग कर चुके हैं। भरतपुर पूर्व राजपरिवार के सदस्य विश्वेंद्र सिंह बगावत से पहले गहलोत सरकार में केबिनेट मंत्री थे। पायलट खेमे के पूर्व मंत्री रमेश मीणा ने विधानसभा में बैठने को लेकर की गई व्यवस्था पर सरकार को घेरा।

उन्होंने कहा कि सरकार में दलित,अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यक विधायकों की उपेक्षा हो रही है। सरकार में इस वर्ग की सुनवाई नहीं हो रही। इस वर्ग के विधायकों से मंत्री मिलते नहीं है। इन वर्गाों के विधायकों को विधानसभा में बिना माइक वाली सीटों पर बिठाया जा रहा है, जिससे वे बोल नहीं सके। पूर्व मंत्री और कांग्रेस विधायक हेमाराम चौधरी व बृजेंद्र ओला ने सड़कों की मंजूरी सहित अन्य विकास कार्याें में भेदभाव को लेकर बुधवार को सदन में अपनी ही सरकार को घेरा था। उन्होंने यहां तक कह दिया कि यदि हमसे दुश्मनी है तो सजा हमें, दीजिए हमारे निर्वाचन क्षेत्र की जनता ने क्या बिगाड़ा है। ये दोनों विधायक भी बगावत के समय पायलट के साथ थे। इन दोनों विधायकों द्वारा विधानसभा में दिए गए वक्तव्य को विश्वेंद्र सिंह ने रीट्वीट किया है।

भाजपा लगातार सरकार को घेरने में जुटी

भाजपा टेलिफोन टैपिंग मामले को लेकर लगातार गहलोत सरकार को घेर रही है। दो दिन तक विधानसभा में हंगामा हुआ। अब आंदोलन करने की तैयारी है। भाजपा सीबीआइ जांच की मांग कर रही है। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया व विधायक दल के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि विधायकों की निजता भंग करना गलत है। मुख्यमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए। भाजपा सांसद दीया कुमारी ने ट्वीट कर कहा कि प्रदेश में विधायकों, केंद्रीय मंत्री एवं अन्यों की राजनीतिक स्वार्थों के कारण की गई फोन टेपिंग प्रकरण की जांच सीबीआइ को सौंपी जाए। यह संविधान प्रदत्त अधिकारों का हनन और हमारे लोकतंत्र की हत्या है।

इस मामले में सरकार की तरफ से संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में कहा कि सरकार ने किसी जनप्रतिनिधि के फोन टेप नहीं कराए। विस्फोटक व अन्य सामान मिलने की जानकारी पर दो लोगों के फोन टेप कराए तो इनकी बातचीत में गजेंद्र सिंह का नाम सामने आया। जांच में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत का नाम होने की बात सामने आई। मामले की जांच एसओजी व पुलिस ने की। एक अधिकारी गजेंद्र सिंह का वॉइस सैंपल लेने दिल्ली गया, लेकिन उन्होंने सैंपल नहीं दिए। सीएम के ओएसडी के मोबाइल से जारी ऑडियो रिकॉर्ड की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि उसके पास आए थे तो उसने ग्रुप में जारी किए,यह अपराध नहीं है।


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