Laxmi vilas Hotel: आयकर विभाग वसूलता था लक्ष्मी विलास पैलेस होटल का किराया
Laxmi vilas Hotel सरकारी कब्जे में लिए जाने के बाद भारत होटल लिमिटेड ने राजस्थान हाईकोर्ट में सीबीआइ कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की है और उस पर 22 सितंबर को सुनवाई होनी है।
उदयपुर, सुभाष शर्मा। Laxmi vilas Hotel: राजस्थान में उदयपुर का लक्ष्मी विलास पैलेस होटल इन दिनों चर्चा में है। सरकारी कब्जे में लिए जाने के बाद भारत होटल लिमिटेड ने राजस्थान हाईकोर्ट में सीबीआइ कोर्ट के आदेश के खिलाफ अपील की है और उस पर 22 सितंबर को सुनवाई होनी है। उदयपुर राजपरिवार की ओर से बनवाया गया यह ऐतिहासिक भवन किस तरह होटल में तब्दील हुआ, यह कहानी भी बेहद रोचक है। इतिहास में जिक्र है कि साल 1911 में तत्कालीन महाराणा भूपाल सिंह ने इस भवन का निर्माण कराया था। तब इसमें अंग्रेजी सरकार के अधिकारी विन्न गेट निवास करते थे। साल 1945 में उनके तबादले के बाद यह भवन शाही राजकुमारों, ब्रिटिश अधिकारियों तथा वीआइपी पर्सन के लिए शाही अतिथि के रूप में उपयोग लिया जाने लगा।
साल 1955 में मेवाड़ के अंतिम शासक महाराणा भूपाल सिंह का देहावसान हो गया। तब राजपरिवारों के व्यक्ति के मौत के बाद मृत्यु कर का प्रावधान था और मृत्यु कर के एवज में उक्त भवन तत्कालीन सरकार ने अधिगृहीत कर लिया। सीबीआइ अदालत तथा राजस्थान हाईकोर्ट में अंबालाल नायक की ओर से पेश दस्तावेजों में इसका उल्लेख है कि महाराणा भूपाल सिंह के देहावसान के बाद छह लाख 90 हजार 620 रुपये का कर लगाया गया था और इसके एवज में मौजूदा लक्ष्मी विलास पैलेस भारतीय आयकर विभाग को सौंप दिया गया था। आयकर विभाग ने इसे किराए से उठा दिया और एंबेसडर समूह ने इसे होटल के रूप में पहली बार संचालन शुरू किया।
साल 1969 में भारत सरकार ने इंडियन टूरिज्म डेवलपमेंट कारपोरेशन (आइटीडीसी) नाम से सरकारी होटल समूह का गठन किया और इसे आइटीडीसी के हवाले कर दिया। इससे पहले आयकर विभाग इस भवन का किराया लेता रहा। फरवरी, 2002 में तत्कालीन एनडीए सरकार ने इस होटल को घाटे का उपक्रम बताते हुए इसका विनिवेश कर दिया तथा 252 करोड़ रुपये की संपत्ति महज साल करोड़ 48 लाख रुपये में भारत होटल लिमिटेड को बेच दी। जो द ललित लक्ष्मीविलास पैलेस होटल के नाम से इसे संचालित कर रही थी। वास्तविक कीमत से बहुत कम में इसका सौदा किए जाने का तत्कालीन यूपीए सरकार ने इसकी जांच सीबीआइ से कराई थी।
इस बीच, केंद्र सरकार बदल गई और एनडीए सत्ता में आई तो सीबीआई ने इस मामले में क्लोजर रिपोर्ट अदालत में पेश की, लेकिन पीठासीन अधिकारी ने इसे लौटा दिया। नए सिरे से जांच के बाद सीबीआइ अदालत ने पिछले सप्ताह इस होटल का नियंत्रण एक बार दोबार से सरकार के हाथों में सौंपे जाने के आदेश दिए और उदयपुर जिला कलेक्टर को इसका रिसीवर नियुक्त किया है। सरकारी नियंत्रण के बाद इस होटल की संपत्ति का ब्योरा अदालत में पेश किया जाना है और उदयुपर जिला प्रशासन की टीम इस काम में पिछले पांच दिन से जुटी हुई है।
राज्य सरकार की है संपत्ति : अंबालाल नायक
लक्ष्मीविलास पैलेस होटल तथा इसकी भू-संपत्ति को लेकर राजस्थान हाईकोर्ट में मामला चल रहा है। पिछले अठारह साल से संघर्ष कर रहे अंबालाल नायक बताते हैं कि होटल की संपत्ति राज्य सरकार की है। आयकर विभाग पर भी इस होटल के नियंत्रण संबंधी कोई दस्तावेज नहीं है। इसका मामला उदयपुर के गिर्वा मजिस्ट्रेट में भी विचाराधीन है।
नेहरू व सरदार पटेल भी बने लक्ष्मीविलास पैलेस के मेहमान
लक्ष्मीविलास पैलेस होटल विशेष मेहमानों के लिए ठहराने के लिए खास जगह थी। यहां देश के प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू तथा प्रथम गृहमंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल इस होटल में मेहमान के रूप में ठहर चुके हैं।