Move to Jagran APP

इस गांव में 17 साल बाद गूंजी शहनाई, यहां की 2 महिलाएं ही नाम लिखना जानती है

गांव की 125 महिलाओं में से मात्र 2 महिला ऐसी हैं जो केवल अपना नाम लिखना जानती हैं शेष सभी अनपढ़ हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 07 May 2018 10:21 AM (IST)Updated: Mon, 07 May 2018 05:09 PM (IST)
इस गांव में 17 साल बाद गूंजी शहनाई, यहां की 2 महिलाएं ही नाम लिखना जानती है
इस गांव में 17 साल बाद गूंजी शहनाई, यहां की 2 महिलाएं ही नाम लिखना जानती है

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में धौलपुर जिले के राजघाट गांव में शुक्रवार को 17 साल बाद शहनाई गूंजी। इस गांव में पिछले 17 सालों से किसी युवक और युवती का विवाह नहीं हो रहा था  धौलपुर जिला मुख्यालय से मात्र 5 किलोमीटर दूर राजघाट गांव में लम्बे अर्से बाद युवक का विवाह होने की खुशी तीन दिन से मनाई जा रही है।

loksabha election banner

विवाह की खुशी वह परिवार ही नहीं मना रहा,जिसके घर में विवाह हुआ है,बल्कि पूरा गांव खुशी मना रहा है। इस गांव में कोई भी अपनी बेटी और बेटे का विवाह नहीं करता, जैसे ही कोई रिश्ता राजघाट गांव से आता है तो लोग उन्हें तुरंत इंकार कर देते हैं। राजघाट के युवक-युवती बिना विवाह के ही जिंदगी गुजारने पर मजबूर हैं। इसका कारण गांव में ना तो पीने का पानी है और ना ही बिजली और सड़क जैसी आधारभूत सुविधाएं है । गांव में राजस्थान रोड़वेज की बस भी मात्र एक ही चलती है

गांव के बुजुर्ग रामेश्वर कुम्हार का कहना है कि गांव में लड़के-लड़कियों का विवाह होना ही मुश्किल हो रहा है। आसपास के जिलों और गांवों के लोग तो यहां रिश्ता करते ही नहीं है। अब 17 साल बाद गांव में रामजीलाल के बेटे पवन का विवाह हुआ है ।

ग्रामीणों का कहना है कि इस मौके पर दुल्हा बने पवन के चेहरे पर कोई इतिहास रच देने जैसी मुस्कान थी । पवन का विवाह मध्यप्रदेश के कुसैत गांव की एक युवती से हुआ है  पवन के परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने से दूल्हा घोड़ी पर निकासी नहीं निकाल सकी, इस मलाल से दूर ग्रामीण 17 साल बाद जब गांव में बहू आई तो खुशी का आनंद ले रहे हैं।

60 कच्चे घरों वाले इस गांव में विकास के नाम पर महज एक सरकारी प्राथमिक स्कूल और एक हैडपंप है। हैडपंप से खारा पानी आता है। ग्रामीणों ने बताया कि इससे पहले इस गांव में 1996 में 35 वर्षीय कन्हई और 2001 में वासुदेव का विवाह हुअा था, उसके 17 साल बाद अब पवन का विवाह हुआ है  गांव में मूलभूत सुविधाएं नहीं होने के कारण कोई भी यहां अपनी बेटी को नहीं देता। गांव की आबादी मात्र 300 हैं। गांव की 125 महिलाओं में से मात्र 2 महिला ऐसी हैं जो केवल अपना नाम लिखना जानती हैं शेष सभी अनपढ़ हैं। गांव में 100 से अधिक युवक-युवतियां विवाह की दहलीज पर खड़े हैं । गांव में अधिकांश परिवार निषाद जाति के हैं,ये लकड़ी काटकर धौलपुर शहर में ले जाकर बेचते हैं या फिर मजदूरी करते हैं ।

सांसद और विधायक रहे गांव से दूर

ग्रामीणों का कहना है कि धौलपुर के सांसद मनोज राजोरिया चुनाव जीतने के बाद आज तक गांव में नहीं आए । राजोरिया ने गांव के विकास के लिए अभी तक अपने सांसद कोष से कोई पैसा भी आवंटित नहीं किया । वहीं पूर्व विधायक बी.एल.कुशवाह भी कभी गांव में नहीं आए ।

हालांकि उनकी पत्नी और वर्तमान भाजपा विधायक उषारानी कुशवाह अवश्यक एक बार गांव का दौरा करके गई और अब वे गांव में आधारभूत सुविधाएं मुहैया कराने में दिलचस्पी भी लेने लगी हैं। 


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.