Rajasthan: आइआइटी जोधपुर की टीम ने चेस्ट एक्सरे का उपयोग कर विकसित की कोविड निदान तकनीक
Rajasthan आइआइटी जोधपुर के शोधकर्ताओं ने कोविड-19 ए स्क्रीनिंग के लिए एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित छाती चेस्ट एक्सरे तकनीक विकसित की है। जोधपुर आइआइटी टीम ने एक गहन शिक्षण आधारित तकनीक को विकसित किया जिसे अल्गोरिदम कामिट नेट के नाम से जाना गया।
जोधपुर, संवाद सूत्र। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान जोधपुर (आइआइटी जोधपुर) के शोधकर्ताओं ने कोविड-19 ए स्क्रीनिंग के लिए एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआइ) आधारित छाती चेस्ट एक्सरे तकनीक विकसित की है। जोधपुर आइआइटी टीम ने एक गहन शिक्षण आधारित तकनीक को विकसित किया, जिसे अल्गोरिदम कामिट नेट के नाम से जाना गया है, जिसमे छाती के एक्स-रे के जरिये कोविड संक्रमित और गैर कोविड संक्रमित के फेफड़ों के अंतर को आसानी से समझा जा सकता है। तकरीबन 2500 रोगियों पर किए गए इस रिसर्च के बाद आइआइटी के इस शोध को पैटर्न रिकग्निशन (वाल्यूम 122) पत्रिका में प्रकाशित किया है। इस तकनीक से पीसीआर जांच के मुकाबले समय की बचत भी होगी और साथ उपचार में देरी से भी बचा जा सकेगा।
तकनीक की खासियत
जानकारों के अनुसार, यदि इस तकनीक को अमल में लाया गया तो यह एआई-आधारित एक्स-रे तकनीक संभवतः कोविड का पता लगाने के लिए वर्तमान में उपयोग किए जाने वाले पीसीआर परीक्षणों की जगह ले सकती है। इस एक्सरे तकनीक के माध्यम से न सिर्फ निमोनिया की पहचान होती है, बल्कि यह फेफड़ों के संक्रमण क्षेत्र की पहचान के लिए भी कारगर है। जिससे कि संक्रमण के प्रसार और क्षेत्र की पहचान में भी मदद मिलती है। इससे कोविड संक्रमण और नान कोविड रोगियों के बारे में पहचान करने में आसानी होगी। एक्सरे आधारित यह तकनीक कोविड जांच को वैकल्पिक तरीकों से करने में सहायक होगी। जिससे दूर-दराज इलाको में कोविड किट की सीमित उपलब्धता और अन्य समस्याओं और चुनौतियों के लिए मददगार साबित होगा। गौरतलब है कि राजस्थान में पिछले कुछ दिनों से पहले के मुकाबले कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में काफी कमी आई है। जिलों में भी कोरोना के नए मामलों और इस बीमारी की चपेट में आने वाली मौतों में काफी कमी आई है। फिर भी एहतियात के तौर पर अभी तक बीमारी से बचने की जरूरत है। कोरोना की तीसरी लहर में प्रदेश में इस बीमारी से मौतों में लगातार कमी आ रही है।