Rajasthan: गुलाबचंद कटारिया बोले, भरतपुर प्रकरण को छिपा रही राजस्थान सरकार
Rajasthan गुलाबचंद कटारिया ने राज्य सरकार के सरकारी अस्पतालों में उपयोग नहीं लिए जा रहे चिकित्सा उपकरणों को निजी अस्पतालों को निशुल्क दिए जाने के निर्णय पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इसके जरिए राज्य सरकार भरतपुर प्रकरण को छिपाने का काम कर रही है।
उदयपुर, संवाद सूत्र। Rajasthan: राजस्थान के नेता प्रतिपक्ष गुलाबचंद कटारिया ने राज्य सरकार के सरकारी अस्पतालों में उपयोग नहीं लिए जा रहे चिकित्सा उपकरणों को निजी अस्पतालों को निशुल्क दिए जाने के निर्णय पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इसके जरिए राज्य सरकार भरतपुर प्रकरण को छिपाने का काम कर रही है। कटारिया ने कहा कि ऐसा कौन सा अस्पताल होगा, जहां अतिरिक्त उपकरण हैं। राज्य सरकार ने पिछले दिनों भरतपुर के सरकारी अस्पताल के वेंटिलेटर निजी अस्पताल को दो हजार रुपये प्रतिदिन किराए पर दिए थे और निजी अस्पताल मरीजों से बीस से तीस हजार रुपये प्रतिदिन वसूल रहा था। अब सरकार ने सिर्फ भरतपुर प्रकरण पर पर्दा डालने के लिए यह फैसला लिया है।
कटारिया का कहना है कि कोरोना महामारी के दौरान एक ओर आम मरीजों को उपचार तक नहीं मिल पा रहा, वहीं राज्य सरकार निजी अस्पतालों को निशुल्क चिकित्सा उपकरण देने जा रही है। यह मजाक नहीं है तो और क्या है? इसकी बजाय सरकार को चाहिए था कि वह जिन अस्पतालों को निशुल्क उपकरण देने जा रही है, उनकी सूची जारी करनी चाहिए और वहां भर्ती मरीजों का उपचार निशुल्क होना चाहिए। ऐसा हुआ तभी आम मरीजों को फायदा मिल जाएगा। इसके लिए राज्य सरकार को मोनेटरिंग करनी होगी ताकि सही पता चल सके, नहीं तो निजी अस्पतालों की आम मरीजों से लूट समाप्त नहीं होगी।
उल्लेखनीय है कि पिछले दिनों भरतपुर जिले के राजकीय अस्पताल के 10 वेंटिलेटर एक निजी अस्पताल संचालक को दो हजार रुपये प्रतिदिन किराए पर दे दिए गए थे, जबकि उसने इन वेंटिलेटर के एवज में मरीजों से बीस से तीस हजार रुपये प्रतिदिन वसूली की थी। इसका खुलासा सांसद रंजीता कोली के पीएम केयर फंड से भरतपुर के राजकीय अस्पताल को मिले वेंटिलेटर की जानकारी मांगने पर हुआ था। जिसको लेकर जमकर बवाल मचा था।
उदयपुर के अस्पताल में 71 वेंटिलेटर पैक ही रखे, 24 खराब
पीएम केयर्स फंड से उदयपुर के आरएनटी मेडिकल कॉलेज को मिले 95 वेंटीलेटर में से 71 की पैकिंग नहीं खुली। जो 24 वेंटीलेटर उपयोग में लिए गए, वह चंद घंटों में ही बंद हो गए। इसी तरह अन्य जिलों के अस्पतालों में भी पीएम केयर्स फंड के वेंटीलेटर बिना उपयोग के पड़े हैं। अब इनके उपयोग के लिए इन्हें निजी अस्पतालों को दिए जाने की तैयारी है।