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Rajasthan: 'देव दर्शन यात्रा' के बहाने वसुंधरा राजे का राजस्थान में शक्ति प्रदर्शन

Rajasthan राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने देव दर्शन यात्रा के बहाने राज्य में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माने जाने वाले छह जिलों में जाकर अपनी ताकत का अहसास कराया। वहीं गुलाब चंद कटारिया ने सवाल उठाए हैं।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sat, 27 Nov 2021 02:52 PM (IST)Updated: Sat, 27 Nov 2021 06:42 PM (IST)
Rajasthan: 'देव दर्शन यात्रा' के बहाने वसुंधरा राजे का राजस्थान में शक्ति प्रदर्शन
राजस्थान की पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे। फाइल फोटो

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान कांग्रेस में सुलह की शुरुआत हुई तो भाजपा में सियासी संघर्ष प्रारंभ हो गया। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने "देव दर्शन यात्रा" के बहाने राज्य में राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण माने जाने वाले छह जिलों में जाकर अपनी ताकत का अहसास कराया। वसुंधरा की 23 से 27 नवंबर तक पांच दिन की यात्रा में आधा दर्जन सांसद, विधायक, पूर्व विधायक और कार्यकर्ता तो बड़ी संख्या में जुटे, लेकिन संगठन के पदाधिकारियों ने दूरी बनाए रखी। सूत्रों के अनुसार, प्रदेश नेतृत्व ने संगठन के जिला व मंडल पदाधिकारियों को वसुंधरा की यात्रा से दूरी बनाकर रखने का संदेश दिया था। हालांकि इस संदेश के बावजूद कुछ नेता वसुंधरा को चेहरा दिखाने पहुंचे, जिन्हें बाद में प्रदेश नेतृत्व की फटकार सुननी पड़ी। पिछले तीन साल से पार्टी नेतृत्व ने वसुंधरा को राज्य के संगठनात्मक निर्णयों से दूर रखा। वह खुद भी विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव और पंचायती राज संस्थाओं व स्थानीय निकाय चुनाव अभियान से दूर ही रही। अब जब विधानसभा चुनाव में दो साल का समय शेष बचा है तो वसुंधरा सक्रिय हो गईं। उन्होंने "देव दर्शन यात्रा" के जरिए पार्टी नेतृत्व को अपनी ताकत का अहसास कराने का प्रयास किया। वसुंधरा के इस प्रयास का पार्टी नेतृत्व पर कितना असर हुआ यह तो आने वाले समय में पता चलेगा, लेकिन उन्होंने अपने समर्थकों को एकजुट व सक्रिय करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।

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गुलाब चंद कटारिया बोले, धार्मिक यात्रा तो कोई भी कर सकता है

उधर, वसुंधरा राजे विरोधी खेमे की अगुवाई करने वाले राज्य विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया ने कहा कि वह उपचुनाव में तो सक्रिय नहीं रही। उन्होंने कहा कि जिन घरों में वसुंधरा राजे शोक प्रकट करने गई हैं, उनमें से कई का तो एक साल पहले ही निधन हो चुका है। अब एक साल बाद शोक प्रकट करने जाना लोगों को अच्छा नहीं लगता है। धार्मिक यात्रा तो कोई भी कर सकता है।

सतीश पूनिया ने वसुंधरा राजे की यात्रा को निजा बताया

वहीं, प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया ने वसुंधरा राजे की यात्रा को निजी बताते हुए इसे पार्टी का अधिकारिक कार्यक्रम नहीं होने का इशारों में संदेश दे दिया।

धार्मिक यात्रा से राजनीतिक संदेश देने की सियासत

वसुंधरा राजे ने धार्मिक यात्रा के जरिए राजनीतिक संदेश देने की कोशिश की है। वसुंधरा खेमे ने अधिकारिक रूप से यात्रा को धार्मिक बताया, लेकिन जिस तरह से भीड़ जुटाई गई। सांसदों, विधायकों व पूर्व विधायकों को शामिल किया गया, उसका मकसद पार्टी नेतृत्व को इस बात का अहसास कराना था कि अधिकांश नेता उनके साथ हैं। यात्रा में जुटी भीड़ से भी राजनीतिक संदेश देने का प्रयास किया। उन्होंने अपनी यात्रा 23 तारीख को चित्तौड़गढ़ के सांवरिया जी मंदिर से शुरू की और फिर समापन 27 नवंबर को अजमेर के सलेमाबाद में समापन किया। इस दौरान वह चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, राजसमंद, उदयपुर, भीलवाड़ा और अजमेर जिलों के प्रमुख धार्मिक स्थालों के साथ ही दिवंगत भाजपा नेताओं के घरों में भी गईं। प्रदेश महामंत्री भजनलाल शर्मा ने जिला व मंडल पदाधिकारियों को वसुंधरा राजे की यात्रा से दूरी रखने और संगठन के स्तर पर कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं करने की हिदायत दी थी।


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