Rajasthan: गुलाब चंद कटारिया बोले, लोगों के भरोसे को कायम रखने के लिए डूंगरपुर में कांग्रेस-भाजपा में हुआ समझौता
Rajasthan गुलाबचंद कटारिया का कहना है कि राजस्थान के डूंगरपुर में क्षेत्रीय लोगों के भरोसे को कायम रखने के लिए क्षेत्रीय शांति की जरूरत समझकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस ने स्थानीय स्तर पर समझौता किया होगा।
उदयपुर, संवाद सूत्र। Rajasthan: राजस्थान विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और उदयपुर शहर विधायक गुलाबचंद कटारिया का कहना है कि डूंगरपुर में क्षेत्रीय लोगों के भरोसे को कायम रखने तथा क्षेत्रीय शांति की जरूरत समझकर भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस ने स्थानीय स्तर पर समझौता किया होगा। कांकरी-डूंगरी प्रकरण के बाद लोगों को पचास सालों से जन सेवा में जुटी पार्टी ज्यादा सुरक्षित लगी और जनता की मंशा महसूस करते हुए यह जरूरी हो गया। नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने फोन पर हुई बातचीत में कहा कि यह जग जाहिर है कि बीटीपी नेताओं ने मिलकर किस तरह पिछले महीनों में डूंगरपुर ही नहीं, समूचे मेवाड. और प्रदेश के लाॅयन आर्डर को चुनौती दे दी थी।
क्षेत्र में सामाजिक विद्वेश फैलाया गया। जिससे लोगों में भय था कि यदि बीटीपी जिले में काबिज हो गई तो यह निर्णय नहीं रहेगा। उनकी सुरक्षा और उनके भरोसे को कायम रखना क्षेत्रीय नेताओं की जिम्मेदारी थी और भाजपा और कांग्रेस के नेताओं ने इसे भांपा और अप्रत्याशित निर्णय लिया, जिसे गलत नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सरकार पर संकट था, तब बीटीपी के विधायक राजकुमार ने आरोप लगाया था कि उनकी गाड़ी की चाबी निकाल ली गई और उन्हें जाने नहीं दिया। बाद में क्या हुआ, वह बताना भूल गया और ले-देकर काम निकाल लिया। ऐसा आरोप हम नहीं लगा रहे। कांग्रेस के विधायक महेंद्र जीत सिंह मालवीया से पूछना चाहिए। उन्हीं ने सार्वजनिक रूप से इसे बताया था।
फर्क गहलोत सरकार पर नहीं, बीटीपी विधायकों पर
नेता प्रतिपक्ष कटारिया ने कहा कि बीटीपी विधायकों के राज्य सरकार से समर्थन वापस लेने के निर्णय से फर्क राज्य सरकार या गहलोत सरकार पर नहीं, बल्कि उन्हें लगता है कि फर्क बीटीपी विधायकों पर पड़ेगा। उनके मुताबिक फिलहाल गहलोत सरकार पर राज्य सरकार के आवश्यक संख्या मौजूद है।
विरोध के लिए बने हुए है विरोधी, सच्चाई वह भी जानते हैं
कटारिया ने किसान बिलों को लेकर कहा कि कांग्रेस नेता महज विरोध के लिए विरोधी बने हुए हैं। सच्चाई वह भी जानते हैं कि इस बिल के लिए स्वामीनाथन आयोग उन्हीं ने गठित किया जिसकी रिपोर्ट उन्हीं के शासन काल में साल 2006 में आई। कमेटी और उसकी रिपोर्ट के साथ कांग्रेस नेताओं के सुझाव भी रिकार्डेड हैं। केवल विरोध के लिए विरोध करना ठीक नहीं। नागरिक संशोधन बिल का भी जानकर विरोध किया और आंदोलन टांय-टांय फिस्स साबित हुआ। ऐसा ही इसके साथ होगा। उन्होंने कांग्रेस के किसी भी नेता से एक मंच पर बिल को लेकर विचार रखने को चुनौती देते हुए कहा कि वह सार्वजनिक मंच पर आकर बातचीत करें, सच्चाई सामने आ जाएगी। सही तो यह है कि किसान के नाम पर जो धंधा कर रहे हैं, वे ही इसका विरोध कर रहे हैं।
नवजातों की मौत को लेकर कहा, कमेटी बनाने से कुछ नहीं होगा
कटारिया ने कहा कोटा के सरकारी अस्पताल में नवजातों की मौत की घटना को लेकर महज कमेटी बनाने से कुछ नहीं होता। इससे पहले भी कोटा के इसी अस्पताल में कई नवजातों की मौत हुई और कमेटी गठित कर दी गई। परिणाम कुछ नहीं आए। कांग्रेस सरकार ने पिछली बार हुई घटना से सबक लेने की बजाय उसे भी कमेटी बनाकर टाल दिया गया। जरूरत थी कि यह पता लगाते कि किसकी गलती से ऐसा हुआ और उससे सबक लेते तो दोबारा इस तरह की घटना नहीं होती।