राजस्थान में रेलवे ट्रैक और हाईवे से हटने को तैयार नहीं गुर्जर
Gujjars movement in Rajasthan. राजस्थान में गुर्जरों को आरक्षण संबंधी विधानसभा में विधेयक पारित हो जाने के बावजूद आंदोलनकारी ट्रैक से हटने को तैयार नहीं हैं।
जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में गुर्जरों को पांच फीसद आरक्षण देने के संबंध में विधानसभा में विधेयक पारित हो जाने के बावजूद आंदोलनकारी गुर्जर रेलवे ट्रैक और हाईवे से हटने को तैयार नहीं हैं। गुर्जर समाज पारित किए गए विधेयक को लेकर कानूनी-विशेषज्ञों की राय ले रहा है।
गुर्जर आरक्षण संघर्ष समिति के संयोजक कर्नल किरोड़ी सिंह बैंसला ने गुरुवार शाम को कहा कि समाज विधेयक की कानूनी सुरक्षा चाहता है। समाज अब आरक्षण के मामले को कोर्ट में नहीं फंसना देना चाहता। इसलिए कुछ शंकाओं का समाधान करने में जुटे हैं। शंकाओं का समाधान होने के बाद ही आंदोलन समाप्त किया जाएगा । कर्नल बैंसला का कहना है कि सरकार पहले यह सुनिश्चित करे कि आरक्षण विधेयक आगे किसी कानूनी पेचीदगी में नहीं फंसेगा ।
विधानसभा में पारित आरक्षण विधेयक को लेकर आइएएस अधिकारी नीरज के.पवन बैंसला के पास सवाई माधोपुर जिले के मलारना डूंगर पहुंचे। बैंसला यहां आंदोलनकारियों के संग रेलवे ट्रैक पर कब्जा करके बैठें हैं। पवन के साथ विधि विभाग के अधिकारी भी थे। उन्होंने आरक्षण के मसौदे और इसमें पहले की तरह किसी तरह की अड़चन नहीं आने की बात गुर्जर नेताओं को समझाई, लेकिन उन्होंने आंदोलन समाप्त करने से इन्कार कर दिया।
जयपुर-आगरा, कोटा-जयपुर राजमार्ग जाम
आंदोलन के सातवें दिन गुरुवार को दिल्ली-मुंबई रेलवे ट्रैक पर गुर्जरों का कब्जा बरकरार रहा । वहीं जयपुर-आगरा राष्ट्रीय राजमार्ग पर दो स्थानों पर गुर्जरों ने जाम लगा रखा है । कोटा-जयपुर हाईवे और भीलवाड़ा में भी कई स्थानों पर जाम लगाया गया है। दौसा, भरतपुर, करौली, अजमेर सहित कई जिलों में गुर्जरों ने छोटी-छोटी सभाएं कीं। कई जिलों में गुर्जरों ने दूध बाहर नहीं बेचा, जिस कारण लोगों को परेशानी हुई । गुर्जर बहुल इलाकों में प्रशासन ने इंटरनेट बंद कर दी है।
12 साल में पांचवीं बार दिया गया आरक्षण
राजस्थान में 12 साल में गुर्जरों को पांचवीं बार आरक्षण मिला है। आरक्षण के लिए गुर्जर समाज बार-बार ट्रैक पर आता रहा है । भाजपा एवं कांग्रेस की सरकार उसे आरक्षण देती रही है। लेकिन, मामला हर बार कोर्ट में अटक जाता है। अब फिर आरक्षण की मांग को लेकर सात दिन से ट्रैक पर बैठे गुर्जर समाज को आरक्षण दिया गया है। गुर्जर सहित पांच जातियों को पांच प्रतिशत आरक्षण का प्रावधान करने वाला विधेयक बुधवार को विधानसभा में पारित करा दिया गया है । इस बिल को राज्यपाल कल्याण सिंह ने भी मंजूरी दे दी है। इस विधेयक के साथ ही साथ ही राज्य विधानसभा ने विधेयक को संविधान की 9वीं अनुसूची में शामिल कराने के लिए एक शासकीय संकल्प भी ध्वनिमत से पारित किया है।
ऐसे चला आरक्षण देने का सिलसिला
सबसे पहले तत्कालीन भाजपा सरकार ने साल 2008 में गुर्जरों को पांच प्रतिशत और सवर्णों को 14 प्रतिशत आरक्षण दिया। जुलाई,2009 में यह लागू हुआ, लेकिन सात दिन बाद ही हाई कोर्ट से इस पर रोक लग गई। इसके बाद फिर आंदोलन हुआ तो तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने विशेष पिछड़ा वर्ग में गुर्जरों को पांच प्रतिशत आरक्षण दिया, फिर मामला कोर्ट में अटक गया । तीसरी बार तत्कालीन भाजपा सरकार ने 2015 में गुर्जरों सहित पांच जातियों को पांच प्रतिशत आरक्षण दिया । कोर्ट ने इसे दिसंबर,2016 में खत्म कर दिया । सुप्रीम कोर्ट में सरकार की एसएलपी अब भी लंबित है । चौथी बार दिसंबर,2017 को गुर्जर सहित पांच जातियों को एमबीसी में एक प्रतिशत आरक्षण दिया। इन्हें पूर्व की तरह ओबीसी में आरक्षण का लाभ भी दिया गया । अब पांचवीं बार बुधवार को आरक्षण दिया गया है।