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तीन कृषि विधेयकों को राज्यपाल ने रोका, गहलोत सरकार ने विधानसभा में कराए थे पारित

Agriculture bill गहलोत सरकार के तीन कृषि विधेयकों को राज्यपाल ने रोका राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने 2 नवंबर को विधानसभा में केंद्रीय कृषि कानूनों के प्रावधान बदलने के लिए तीन कृषि विधेयक पारित किए थे।राजभवन सूत्रों के अनुसार राज्यपाल इन्हे मंजूर नहीं करेंगे।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 03 Dec 2020 09:23 AM (IST)Updated: Thu, 03 Dec 2020 09:23 AM (IST)
तीन कृषि विधेयकों को राज्यपाल ने रोका, गहलोत सरकार ने विधानसभा में कराए थे पारित
गहलोत सरकार के तीन कृषि विधेयकों को राज्यपाल ने रोका

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों को लेकर पूरे देश में बवाल मचा है। किसान सड़क पर हैं, राजस्थान सहित कांग्रेस शासित राज्यों ने केंद्रीय कृषि कानूनों को मानने से इंकार कर दिया। राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने 2 नवंबर को विधानसभा में केंद्रीय कृषि कानूनों के प्रावधान बदलने के लिए तीन कृषि विधेयक पारित किए थे।

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विधानसभा से पारित होने के बाद सरकार ने राज्यपाल कलराज मिश्र की मंजूरी के लिए राजभवन भेजे थे। इन विधेयकों के साथ ही पारित महामारी विधेयक को राज्यपाल ने मंजूरी दे दी, लेकिन कृषि से जुड़े तीनों विधायकों को रोक लिया।

राजभवन सूत्रों के अनुसार राज्यपाल इन्हे मंजूर नहीं करेंगे। राज्यपाल इन विधेयकों को मंजूरी के लिए राष्ट्रपति के पास नहीं भेजेंगे। राज्यपाल की मंशा गहलोत सरकार भी जानती है, इसी कारण किसानों के माध्यम से दबाव बनाने की रणनीति बनाई जा रही है।

ये विधेयक पारित हुए थे

गहलोत सरकार ने पहला विधेयक कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) संशोधन विधेयक विधानसभा में पारित कराया था। इसमें किसान के उत्पीड़न पर 5 लाख के जुर्माने व 7 साल की सजा का प्रावधान किया गया है। दूसरा विधेयक कृषक (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत आश्वासन एवं कृषि सेवा पर करार संशोधन विधेयक है। इस विधेयक में संविदा खेती को लेकर प्रावधान किए गए हैं । इसके तहत किसान से एमएसपी से कम संविंदा खेती का करार मान्य नहीं होने और एमएसपी से कम करार करने पर 5 लाख का जुर्माना व 7 साल की सजा का प्रावधान किया गया है।

तीसरा विधेयक आवश्यक वस्तु ( विशेष उपबंधन और राजस्थान संशोधन ) है,इसमें सरकर कृषि जिंसों पर स्टॉक लिमिट लगा सकेगी। केंद्र सरकार ने यह प्रावधान हटा दिया था। तीनों विधेयक विधानसभा से पारित कराने के तत्काल बाद राज्यपाल के पास भेज दिए गए थे।

सूत्रों के अनुसार राज्यपाल ने इन पर विधि विशेषज्ञों से चर्चा की बताई। राज्यपाल इनके पक्ष में नहीं है। उधर कांग्रेस सरकार और संगठन इस मुद्दे पर राज्यपाल पर दबाव बनाने को लेकर किसान संगठनों के प्रतिनिधियों के साथ संवाद कर रहे हैं । 


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