Liquor Ban: राजस्थान में भी हो सकती है शराबबंदी, पांच सदस्यीय कमेटी गठित
Liquor Ban in Rajasthan. गहलोत सरकार ने बिहार में शराबबंदी के बाद बदले हालातों को जानने के लिए अधिकारियों की एक पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। Liquor Ban in Rajasthan. राजस्थान में शराबबंदी की मांग तेज होती जा रही है। शराबबंदी की मांग को लेकर सामाजिक संगठन आंदोलन कर रहे हैं। प्रदेश की अशोक गहलोत सरकार शराबबंदी को लेकर गंभीरता से विचार कर रही है। इसी को देखते हुए गहलोत सरकार ने बिहार में शराबबंदी के बाद बदले हालातों को जानने के लिए अधिकारियों की एक पांच सदस्यीय कमेटी गठित की है। यह कमेटी 11 से 16 दिसंबर तक शराबबंदी को ग्राउंड पर लागू करने को लेकर उठाए गए कदमों एवं उसके बाद के हालातों का अध्ययन करने के लिए बिहार जाएगी। वहां पर कमेटी यह देखेगी कि शराबबंदी कैसे लागू की जाए और इससे किस तरह फायदा होगा।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का मानना है कि गुजरात में शराबबंदी सही तरीके से लागू नहीं की गई, जिसके कारण वहां शराब का अवैध कारोबार होता है। शराबबंदी के कारण गुजरात में हालात सुधरने के बजाय बिगड़े हैं। गहलोत का मानना है कि गुजरात के बजाय बिहार में अधिक सही तरीके से शराबबंदी लागू की गई है। इसी को ध्यान में रखते हुए आबकारी विभाग के अतिरिक्त आयुक्त सीआर देवासी की अगुवाई में एक कमेटी बनाकर वहां भेजी जा रही है। यह कमेठी बिहार में शराबबंदी के बाद अपराधों में हुई कमी, सरकार को रेवेन्यू बंद होने से नुकसान, लोगों के जीवन पर शराबबंदी के बाद प्रभाव और बिहार के पर्यटन पर पड़े प्रभाव की जानकारी जुटाएंगे।
कमेटी बिहार पुलिस, आबकारी विभाग के अधिकारी एवं सामाजिक संगठनों से जानकारी जुटाकर रिपोर्ट तैयार करेगी। कमेटी की रिपोर्ट मिलने के बाद वरिष्ठ अधिकारी अध्ययन करेंगे और फिर वित्त विभाग में तैनात आइएएस अधिकारियों का दल बिहार जाएगा। वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव निरंजन आर्य ने शराबबंदी लागू करने वाले राज्यों के अधिकारियों से टेलीफोन पर बात की है।
उल्लेखनीय है कि गहलोत सरकार ने इसी साल गत दो अक्टूबर को प्रदेश में सभी तरह के पान मसालों पर प्रतिबंध लगाया था। ई सिगरेट के उत्पादन, भंडारण और विक्रय पर भी रोक लगाई गई थी।
शराब से सरकार को 11 हजार करोड़ की आमदनी
राज्य सरकार को शराब से सालाना 11 हजार करोड़ रुपये का राजस्व मिलता है। पिछले साल इतना ही मिला और अब वर्तमान वित्तीय वर्ष में 11 हजार करोड़ रुपये से अधिक का राजस्व मिलने की उम्मीद है। क्रूड ऑयल के बाद शराब से सबसे अधिक राजस्व राज्य सरकार को मिलता है। जमीनों के धंधे में मंदी के चलते स्टांप एवं रजिस्ट्रेशन विभाग से सरकार को उम्मीद से काफी कम राजस्व मिल रहा है।
केंद्र सरकार से जीएसटी के हिस्से के रूप में मिलने वाली रकम भी समय पर नहीं मिलने के कारण सरकार की वित्तीय व्यवस्था खराब है। अब वित्त विभाग के अधिकारी शराबबंदी होने की स्थिति में राजस्व का कोई अन्य माध्यम तलाशने में जुट गए हैं।