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RakshaBandhan 2021: भाइयों को बहनों के सपनों को पंख देने चाहिए: गजेंद्र सिंह शेखावत

RakshaBandhan 2021 भाजपा जोधपुर संभाग के मीडिया प्रमुख अचल सिंह मेड़तिया ने बताया कि गजेंद्र सिंह शेखावत और नौनद कंवर को राखी बांधी और मुंह मीठा करवाया। रक्षा सूत्र बंधवाने के बाद शेखावत ने माता व पिता और बड़ी बहन के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त किया।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Sun, 22 Aug 2021 04:10 PM (IST)Updated: Sun, 22 Aug 2021 08:06 PM (IST)
RakshaBandhan 2021: भाइयों को बहनों के सपनों को पंख देने चाहिए: गजेंद्र सिंह शेखावत
भाइयों को बहनों के सपनों को पंख देने चाहिए: गजेंद्र सिंह शेखावत। फाइल फोटो

जोधपुर, संवाद सूत्र। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने भाई व बहन के पवित्र और अटूट रिश्ते का पर्व घर व परिवार में हर साल की तरह जोधपुर में हर्षोल्लास से मनाया। भाजपा जोधपुर संभाग के मीडिया प्रमुख अचल सिंह मेड़तिया ने बताया कि रविवार को सुबह अजीत कॉलोनी स्थित निवास पर बहनों ने शेखावत और नौनद कंवर को राखी बांधी और मुंह मीठा करवाया। रक्षा सूत्र बंधवाने के बाद शेखावत ने माता व पिता और बड़ी बहन के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद प्राप्त किया। शेखावत ने कहा कि प्रत्येक रक्षासूत्र मुझे बहनों के प्रति मेरी जिम्मेदारी का अनुभव करा रहा है। उन्होंने दुनिया की सारी बहनों की सुख-समृद्धि और प्रगति की कामना की।

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शेखावत ने कहा कि मेरा प्रयास रहा है और रहेगा कि बहनों को एक सुरक्षित और सकारात्मक वातावरण मिले, जहां वे अपने सपने पूरे कर सकें। उन्होंने भाई व बहन के अटूट विश्वास, स्नेह और सम्मान के पर्व रक्षाबंधन की सभी को बधाई और शुभकामनाएं दी।

उदयपुर संभाग के राजसमंद जिले के पिपलांत्री गांव में पर्यावरण की रक्षा के लिए यहां की महिलाएं पिछले डेढ़ दशक से पेड़ों को राखी बांधती हैं। यहां जिस परिवार में बेटी पैदा होती है, वह परिवार 111 पौधे लगाता है। राजसमंद जिले की पहचान बनी निर्मल ग्राम पंचायत में अब गांव की बेटियां ही नहीं, शहरों से भी पेड़ों को राखी बांधने बहनें पहुंचती हैं। रक्षाबंधन पर्व पर इस अनूठे आयोजन को देखने के लिए दूर-दूर से लोग पहुंचने लगे हैं। पिपलांत्री गांव में रक्षाबंधन पर पेड़ों को राखी बांधने के साथ एक और खास बात जुड़ी है। लगभग ढाई हजार की आबादी वाले इस गांव में बेटी के जन्म पर परिवार के लोग 111 पौधे लगाते हैं। यह परंपरा डेढ़ दशक से चली आ रही है। पर्यावरण रक्षा की अनोखी मिसाल की शुरुआत यहां के तत्कालीन सरपंच श्यामसुंदर पालीवाल ने की थी। बेटी की मौत से टूटे पालीवाल ने उसकी याद में इसकी शुरुआत की और इससे अब पूरा गांव ही नहीं, बल्कि आसपास के गांव भी जुड़ चुके हैं।


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