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Rajasthan: डूंगरपुर में उग्र आंदोलनकारियों ने सात ट्रक फूंके, राष्ट्रीय राजमार्ग आठ किलोमीटर क्षेत्र पर आंदोलनकारियों का कब्जा

NH-8 पर हिंसक प्रदर्शन के बाद डुंगरपुर जिले में इंटरनेट सेवा हुई बाधित। डूंगरपुर में उग्र आंदोलनकारियों ने सात ट्रक फूंके राष्ट्रीय राजमार्ग आठ पर आठ किलोमीटर क्षेत्र पर आंदोलनकारियों का कब्जा पुलिस को ढाई किलोमीटर तक खदेड़ा

By Preeti jhaEdited By: Published: Fri, 25 Sep 2020 01:26 PM (IST)Updated: Fri, 25 Sep 2020 01:44 PM (IST)
Rajasthan: डूंगरपुर में उग्र आंदोलनकारियों ने सात ट्रक फूंके, राष्ट्रीय राजमार्ग आठ किलोमीटर क्षेत्र पर आंदोलनकारियों का कब्जा
डूंगरपुर में उग्र आंदोलनकारियों ने सात ट्रक फूंके

उदयपुर, जागरण संवाददाता। डूंगरपुर जिले में आदिवासियों का उग्र प्रदर्शन शुक्रवार को भी डूंगरपुर में उग्र आंदोलनकारियों ने सात ट्रक फूंके राष्ट्रीय राजमार्ग आठ पर आठ किलोमीटर क्षेत्र पर आंदोलनकारियों का कब्जा, पुलिस को ढाई किलोमीटर तक खदेड़ा जारी रहा। पुलिस रबड बुलैट तथा आंसूगैस के गोल दागकर उन्हें खदेड़ने का प्रयास कर रही है लेकिन प्रदर्शनकारियों ने कांकरी डूंगरी पहाड़ी के निकट राष्ट्रीय राजमार्ग आठ के लगभग आठ किलोमीटर पर कब्जा जमाए हुए हैं।

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शुक्रवार दोपहर उग्र आंदोलनकारियों ने सात ट्रकों को आग लगा दी तथा सामान लूट लिया। आदिवासियों के उग्र आंदोलन की वजह से पुलिस को पीछा लौटना पड़ा है। डूंगरपुर जिले के अलावा उदयपुर तथा आसपास जिलों से सशस्त्र पुलिस बल मौके पर बना हुआ है। घटना स्थल पर डूंगरपुर के पुलिस अधीक्षक भी बने हुए हैं।

मिली जानकारी के अनुसार गुरुवार मध्यरात्रि को पुलिस ने उग्र आंदोलनकारियों को दो से ढाई किलोमीटर दूर तक खदेड़ दिया लेकिन गुरुवार सुबह से बड़ी संख्या में आदिवासी प्रदर्शनकारियों के साथ शामिल हो गए तथा पहाड़ियों से पुलिस पर पथराव शुरू कर दिया। हाईवे को पूरी तरह कब्जे में लेकर सात ट्रकों को आग लगा देने के साथ सामान लूटने की जानकारी मिली है।

पथराव के अलावा लाठी तथा अन्य हथियारों के साथ मौजूद आंदोलनकारियों के उग्र रूप लेने के बाद पुलिस को पीछे हटना पड़ा। पुलिस के अधिकारी तथा जवान तथा आंदोलनकारियों के बीच दो से ढाई किलोमीटर दूरी बनी हुई है।

जंगल और पहाड़ियों के चलते मुकाबला करने में असमर्थ पुलिस जंगल तथा पहाड़ियों के बीच आदिवासी पुलिस पर पथराव कर रहे हैं। इस क्षेत्र के बारे में पुलिस के जवानों को अनुमान नहीं है और जबकि चारों ओर आदिवासी रहते हैं। पुलिस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति के चलते उनका मुकाबला नहीं कर पा रही। पुलिस अधिकारियों का कहना है कि प्रदर्शनकारियों का कोई नेतृत्व कर्ता नहीं है और ऐसे में किससे बातचीत की जाए, स्पष्ट नहीं।

हमलावर हाईवे पर आते हैं तो पुलिस उन्हें खदेड़ देती है तो वह दोबारा पहाड़ी पर कब्जा जमाकर बैठ जाते हैं। पहाड़ियों पर दौड़ने के मामले में पुलिस उनकी बराबरी नहीं कर पा रही। पुलिस पीछा करे तो वह उन पर पथराव

करना शुरू कर देते हैं। शुक्रवार को लगभग सौ से अधिक जवानों को पथराव के चलते छोटी-मोटी चोटें आ चुकी हैं।

बीस घंटे से हाईवे जाम

आदिवासी आंदोलनकारियों के चलते उदयपुर-अहमदाबाद हाईवे बीस घंटे से बाधित है। उदयपुर से जाने वाले वाहनों को खेरवाड़ा होकर गुजरात भेजने के प्रयास भी निष्फल हो चुके हैं।

गोफण से कर रहे हमला

आदिवासी प्रदर्शनकारी गोफण यानी एक तरह की गिलोल, जिसमें पत्थर लगाकर हमला करते हैं। इससे फैंके जा रहे पत्थर लंबी दूरी तथा बड़े वेग से जाते हैं। लगभग हर आदिवासी परिवार के पास गोफण होता है जो वह जंगली जानवरों से अपनी रक्षा तथा शिकार के लिए काम लेेते हैं। 

यह है आंदोलनकारियों की मांग

आंदोलनकारियों की मांग है कि जनजाति क्षेत्र में तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के रिक्त सामान्य वर्ग के 1167 पदों पर जनजाति अभ्यर्थियों से भरने की है। यह मुद्दा हाईकोर्ट में भी उठाया गया और हाईकोर्ट ने उनकी याचिका रद्द कर दी थी।

यह कहना है क्षेत्र के बीटीपी विधायक का भारतीय ट्राइबल पार्टी (बीटीपी) विधायक राजकुमार रोत ने इस उग्र आंदोलन के लिए राज्य सरकार तथा पुलिस को दोषी बताया है। उनका कहना है कि जनजाति अभ्यर्थी शांतिपूर्वक धरना देकर बैठे थे। राज्य सरकार के इस मुद्दे को लेकर 24 सितम्बर को बैठक होनी थी लेकिन इसे रद्द कर दी और इससे युवा आक्रोशित हो गए। पिछले डेढ़ साल से जनजाति अभ्यर्थी आंदोलन कर रहे थे और राज्य सरकार उनकी मांग को लगातार टाल रही थी।

दस सदस्यीय दल मुख्यमंत्री से बात करने जयपुर रवाना

बताया गया कि आंदोलनकारियों का प्रतिनिधिमंडल प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत से मिलेगा। इसके लिए दस प्रतिनिधि जयपुर के लिए रवाना हो चुके है। 


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