Rajasthan: पंचतत्व में विलीन हुए श्रीकृष्ण बिरला
Shrikrishna Birla श्रीकृष्ण बिरला बुधवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उनके पुत्र राजेश बिरला व ओम बिरला ने शव को मुखाग्नि दी। बिरला का मंगलवार को कोटा में निधन हो गया था। बुधवार को कोटा के ही किशोरपुरा मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया।
जागरण संवाददता, जयपुर। Shrikrishna Birla: लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला के पिता श्रीकृष्ण बिरला बुधवार को पंचतत्व में विलीन हो गए। उनके पुत्र राजेश बिरला व ओम बिरला ने शव को मुखाग्नि दी। बिरला का मंगलवार को कोटा में निधन हो गया था। बुधवार को कोटा के ही किशोरपुरा मुक्तिधाम में उनका अंतिम संस्कार किया गया। इस दौरान कोविड-19 की तय गाइडलाइन की पालना की गई। उनकी अंतिम यात्रा में विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता, सामाजिक संगठनों के पदाधिकारी व अन्य लोग शामिल हुए। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, राज्यपाल कलराज मिश्र, मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सहित कई जनप्रतिनिधियों ने श्रीकृष्ण बिरला के निधन पर शोक जताया है।
श्रीकृष्ण बिरला ने कोटा संभाग में सहकारिता की नींव को मजबूत किया था। वे साल, 1962 से कोटा कर्मचारी सहकारी समिति से जुड़े हुए थे। करीब ढाई दशक तक इस समिति के अध्यक्ष रहने के साथ ही उन्होंने सहकारिता आंदोलन को मजबूत किया। वे कस्टम एक्साइज विभाग में कनिष्ठ लिपिक भी रहे। श्रीकृष्ण बिरला का जन्म 12 जून, 1929 को कोटा के कनवास में हुआ था। उनकी शिक्षा पाटनपोल स्कूल में हुई। 1950 में मैट्रिक करने के बाद उन्होंने कुछ समय तक कनवास तहसील में अंग्रेजी क्लर्क के रूप में कार्य किया। इसके बाद वह कस्टम एक्साइज विभाग, कार्यालय अधीक्षक, ओएस फर्स्ट ग्रेड जैसे पदों पर काम किया। साल 1986 में श्रीकृष्ण बिरला कोटा के वाणिज्यिक कर विभाग में आए, जहां उन्होंने 1988 तक कार्य किया।
श्रीकृष्ण बिरला ने हमेशा मजदूरों की भलाई के बारे में सोचा और समय-समय पर उनके लिए बुलंद स्वर में आवाज भी उठाई। वह कोटा कर्मचारी सहकारी समिति लि के सचिव रहे। इसके बाद 26 साल तक समिति के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया। इस दौरान उन्होंने कोटा कर्मचारी सहकारी समिति को राजस्थान में एक नई पहचान दिलाई। यही वजह रही कि श्रीकृष्ण बिरला काफी लोकप्रिय हो गए थे, राजस्थान में वह सहकार पुरुष के नाम से जाने जाते हैं।