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Rajasthan : देश में वर्ष 2018 और 2019 में हर महीने हो रही है कोई बड़ी मौसमी घटना

सीएसई और डाउन टू अर्थ संस्था की रिपोर्ट अनुसार देश में वर्ष 2018 और 2019 में हर माह कोई बड़ी मौसमी घटना हो रही है और यह स्थिति पर्यावरण और मौसम विज्ञानियों को अचम्भित कर रही है।

By Preeti jhaEdited By: Published: Mon, 10 Feb 2020 08:58 AM (IST)Updated: Mon, 10 Feb 2020 08:58 AM (IST)
Rajasthan : देश में वर्ष 2018 और 2019 में हर महीने हो रही है कोई बड़ी मौसमी घटना
Rajasthan : देश में वर्ष 2018 और 2019 में हर महीने हो रही है कोई बड़ी मौसमी घटना

जयपुर, मनीष गोधा। सेंटर फाॅर साइसं एंड एनवायरमेंट (सीएसई) और डाउन टू अर्थ संस्था की रिपोर्ट के अनुसार देश में वर्ष 2018 और 2019 में हर माह कोई बड़ी मौसमी घटना हो रही है और यह स्थिति पर्यावरण और मौसम विज्ञानियों को अचम्भित कर रही है।

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सीएसई और डाउन टू अर्थ की ओर से भारत में पर्यावरण की मौजूदा स्थिति पर तैयार की गई यह रिपोर्ट लेटेस्ट स्टेट आॅफ इंडियाज एनवायरमेंट एनुअल 2020 रविवार को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अलवर के नीमली में अनिल अग्रवाल एनवायरमेंट ट्रेनिंग इंस्टीटयूट में आयोजित सम्मेलन में जारी की।

रिपोर्ट में बताया गया है कि दुनिया में 2018 में 286 और 2019 में 228 बड़ी मौसमी घटनाएं हुई। इनमें से भारत में 2018 में 23 और 2019 में नौ घटनाएं हुई। रिपोर्ट के अनुसार एशिया में बड़ी मौसमी घटनाओं के कारण हुई मौतों में से 48 प्रतिशत भारत में हुई और 2019 में घटनाएं कम होने के बावजूद ज्यादा मौतें हुई।

वर्ष 2018 में भारत में बडी मौसमी घटनाओं के कारण 1396 मौते हुई थी, जबकि 2019 में यह संख्या बढ कर 2038 हो गई। बड़ी मौसम घटनाओं में अकाल, जंगल की आग, बाढ, भूस्खलन, अत्यधिक तापमान, कोहरा और तूफान को शामिल किया जाता है।

रिपोर्ट के अनुसार 2019 में जनवरी में उत्तर पूर्वी मानसून 44 प्रतिशत कम बारिश के साथ समाप्त हुआ। पिछले दस वर्ष में यह आंकडा सबसे ज्यादा था। उत्तरी भारत में सबसे तेज और सूखी सर्दी पड़ी। यह सर्दी फरवरी में भी जारी रही। मार्च में तमिलनाडु, केरल और आंध्र प्रदेश में असामान्य गर्मी पडी। अप्रेल में पूर्वी, मध्य और मध्यपूर्व भारत में तेज तूफान और बिजली गिरने की घटनाएं हुई। इस महीने के अंत में ही दुर्लभ मानसून पूर्व साइक्लोन फानी आया है।

मई और जून में जबर्दस्त गर्मी ओैर लू के हालात रहे। जून के पहले सप्ताह तक तेज गर्मी के 73 स्पैल आ चुके थे और इनमें से 11 बहुत तेज गर्मी के थे। इसके चलते बिहार में 200 से ज्यादा लोगो की मौत हुई। हालात यहां तक बिगड़े कि यहां के पांच जिलों में दिन के समय काम रोकने के लिए धारा 144 तक लगानी पड़ी।

गर्मी के कारण ही दक्षिण पश्चिम मानसून में भी देरी हुई और जुलाई की शुरूआत में बारिश कम हुई। लेकिन जब बारिश शुरू हुई तो ऐसी हुई कि 12 राज्यों में औसत से 60 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई। इसके चलते बिहार और असम में बाढ आई और एक करोड़ से ज्यादा लोग प्रभावित हुए तथा 168 जानें चली गई। बीच बीच में अंतराल के साथ बारिश का दौर सितम्बर तक चलता रहा। कुल मिला कर पूरे वर्ष में 1250 बार अत्यधिक बारिश हुई यानी एक दिन में तीन बार से ज्यादा।

अक्टूबर और नवम्बर में अरब सागर में हिक्का, क्यार और महा साइक्लोन आए और बंगाल की खाडी में बुलबुल साइक्लोन आया और जल्द ही बहुत गहरा गया। वहीं दिसम्बर में पवन साइक्लोन आया। इस सहित साल भर में कुल आठ साइक्लोन आए जो 1976 के बाद सर्वाधिक संख्या है। रिपोर्ट में कहा गया है कि लगातार बड़ी मौसमी घटनाएं होने का अर्थ यह है कि विश्व के लोगो को हमेशा सतर्क रहना होगा। 


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