Rajasthan में सूर्यग्रहण देखने से 15 बच्चों की 70 फीसदी आंखें हुई खराब, रेडिएशन से जल गया रेटिना
26 दिसंबर को हुए सूर्यग्रहण में बिना चश्मे अथवा अन्य किसी सुरक्षा इंतजाम के बैगर सूर्यग्रहण देखने वाले 15 बच्चों की आंखें 70 प्रतिशत तक खराब होने की बात सामने आई है ।
जयपुर, नरेंद्र शर्मा । बिना चश्मे अथवा अन्य किसी सुरक्षा इंतजाम के बैगर सूर्यग्रहण देखने वाले 15 बच्चों की आंखें 70 प्रतिशत तक खराब होने की बात सामने आई है। 26 दिसंबर को हुए सूर्यग्रहण इन बच्चों ने बिना चश्मे के देखा तो कुछ समय तक तो उन्हे दिखना ही बंद हो गया।
बाद में राजस्थान के सबसे बड़े सरकारी सवाई मानसिंह अस्पताल में ये बच्चे अपने माता-पिता के साथ पहुंचे और वहां नेत्र रोग विभाग के चिकित्सकों ने आंख में दवा डाली तो धुंधलापन दिखाई देने लगा, अर्थात फिर भी साफ नजर नहीं आया।
जांच के बाद चिकित्सकों ने माना कि इन बच्चों की आंख 40 से 70 फीसदी तक खराब हो चुकी है। सवाई मानिसंह अस्पताल में नेत्ररोग विभाग के अधीक्षक डॉ.कमलेश खिलनानी ने बताया कि बच्चों की आंख की जांच कर के देखा तो इनका रेटिना जल चुका है। आंख के अंदर पीला धब्बा बन गया है। उन्होंने बताया कि अब इन बच्चों का इलाज किया जाएगा, जिससे ये साफ देखने लगेंगे।
कई स्थानों पर ऐसे मामले सामने आए
डॉ. खिलनानी और वरिष्ठ नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ.एन.एस.चौहान ने बताया कि आमतौर पर तेज रोशनी के कारण सूरज को खुली आंखों से दो से तीन सैंकड तक ही देखा जा सकता है। सूर्यग्रहण के दौरान सूरज की रोशनी कम हो जाती है तो लोग खुली आंखों से दो से तीन मिनट तक भी देख लेते हैं। लोगों का इस बात का ज्ञान नहीं होता कि ग्रहण के दौरान सूरज की रोशनी तो कम होती है,लेकिन रेडिएशन तेज रोशनी जैसा ही रहता है।
दो से तीन मिनट से अधिक तक सूरज को ग्रहण के दौरान देखने से रेडिएशन के कारण रेटिना डेमेज हो जाता है। चिकित्सा विभाग के अधिकारियों के अनुसार जयपुर पहुंचकर सवाई मानसिंह अस्पताल में नेत्र रोग विशेषज्ञों से संपर्क करने वाले 15 बच्चों के अलावा कुछ अन्य जिलों से भी इसी तरह की बात सामने आई है। इनका डॉटा एकत्रित किया जा रहा है।
जानकारी के अनुसार भरतपुर जिले के उमरेन में 59 साल के रामनरेश ने सूर्यग्रहण देखा तो उसकी आंख की रोशनी खत्म हो गई। परिजन रामनरेश को पहले भरतपुर जिला मुख्यालय स्थित सरकारी अस्पताल में ले गए फिर वहां से जयपुर के सवाई मानसिंह अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। लेकिन अधिक उम्र और आंखे अधिक डेमेज होने के कारण अब इलाज असंभव बताया जा रहा है ।