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राजस्थान में बिजली बिल नहीं चुकाते सरकारी विभाग, 900 करोड़ से ज्यादा बकाया

Electricity bill. राजस्थान में सरकारी विभागों की बिजली बिल की बकाया राशि 900 करुोड़ रुपये से अधिक तक पहुंच गई है।

By Sachin MishraEdited By: Published: Sun, 31 Mar 2019 10:26 AM (IST)Updated: Sun, 31 Mar 2019 10:26 AM (IST)
राजस्थान में बिजली बिल नहीं चुकाते सरकारी विभाग, 900 करोड़ से ज्यादा बकाया
राजस्थान में बिजली बिल नहीं चुकाते सरकारी विभाग, 900 करोड़ से ज्यादा बकाया

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान में कई सरकारी विभाग बिजली बिल का भुगतान नहीं कर रहे हैं। विभागों की बकाया राशि 900 करुोड़ रुपये से अधिक तक पहुंच गई है। करोड़ों रुपये के घाटे में चल रही सरकारी बिजली कंपनियों ने अब मामले में सरकार से हस्तक्षेप का आग्रह किया है। राजस्थान में सरकारी बिजली कंपनियों का घाटा बड़ा मुद्दा है। ये कंपनियां एक बार तो डूबने की कगार पर पहुंच चुकी थीं।

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पिछली सरकार ने उदय योजना के तहत इनका कर्ज अपने सिर लिया, तब कुछ हालत सुधरी है। इस समस्या से निपटने के लिए पिछली सरकार के समय सरकारी कार्यालयों में प्रीपेड मीटर लगाए गए थे। ये ऐसे मीटर थे, जिनका बैलेंस खत्म होने पर अपने आप बिजली कनेक्शन कट जाता था, लेकिन इससे आए दिन स्थिति बिगड़ने लगी तो वापस मामला पुराने ढर्रे पर चला गया। अब सरुकारुी विभागों पर बकाया बिल 950 करुोड़ रुपये तक पहुंच गया है। इनमें नगरीय सुधार न्यास और जलदाय विभाग पर सबसे ज्यादा करीब 600 करोड़ रुपये बिल बकाया है।

फील्ड अभियंताओं का कहना है कि सरकारी महकमों में कार्रवाई होते ही विवाद शुरू हो जाता है। ऐसे में लोगों की सेवाएं प्रभावित न हों, इसलिए कनेक्शन नहीं काटे जाते। विभागीय सूत्रों का कहना है कि ज्यादातर विभाग बिजली बिलों को अपनी अंतिम प्राथमिकता मानते हैं। इसके लिए मिले बजट को अन्य जगहों पर खर्च कर दिया जाता है, क्योंकि उन्हें पता होता है कि सरकारी विभाग होने के कारण बिजली कटेगी नहीं। बढ़ते बकाया को देखते हुए बिजली वितरण कंपनियों ने फरवरी तक के बकाया की रिपोर्ट के साथ मुख्य सचिव को पूरे हालात से अवगत कराया है और उनसे आग्रह किया गया है कि बकाया राशि का भुगतान दिलाया जाए।

इतनी राशि है बकाया

प्रदेश के नगरीय सुधार न्यास- 380 करोड़

जलदाय विभाग- 256 करोड़ ग्राम

पंचायतें - 119 करोड़

जनता जल योजना - 114 करोड़

केंद्रीय विभाग - 19.40 करोड़

पुलिस - 14.64 करोड़

अन्य -करीब 50 करोड़।


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