Election 2019: चुनावी ड्यूटी से भागने वालों की जा सकती है नौकरी
लोकसभा चुनाव के दौरान ड्यूटी न करने की लिए झूठ बोलना राजस्थान के सरकारी कर्मचारियों को भारी पड़ सकता है। अवकाश आवेदन देने वाले कर्मचारियों की मेडिकल बोर्ड से जांच कराई जाएगी।
जयपुर, जागरण संवाददाता। लोकसभा चुनाव के दौरान ड्यूटी न करने की लिए झूठ बोलना राजस्थान के सरकारी कर्मचारियों को भारी पड़ सकता है। अगर सरकारी कर्मचारी चुनावी ड्यूटी निरस्त करवाने के लिए बीमारी का बहाना बनाते है और मेडिकल बोर्ड से जांच में फिट पाए जाते है तो उनके खिलाफ निर्वाचन विभाग कार्रवाई करेगा। बीमारी के नाम पर ड्यृटी निरस्त कराने के लिए आवेदन देने वाले कर्मचारियों की मेडिकल बोर्ड से जांच कराई जाएगी।
मेडिकल बोर्ड करेगा जांच
जानकारी के अनुसार लोकसभा चुनाव के तारीख घोषित होने के बाद बड़ी संख्या में ड्यूटी निरस्त करवाने के लिए आवेदन मिल रहा है, जिसके बाद जिला निर्वाचन अधिकारियों ने सख्ती दिखाना शुरू कर दिया है । राज्य निर्वाचन विभाग को छूट्टी के आवेदन मिलने के बाद राज्य के दो जिला कलेक्टरों ने कर्मचारियों को विभागाध्यक्ष के माध्यम से आवेदन भेजने का निर्देश दिया है, जिसमें संबंधित विभागाध्यक्ष की टिप्पणी भी अंकित होनी चाहिए ।
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जानकारी के अनुसार, जिला कलेक्टरों ने कर्मचारियों को दिए निर्देश में कहा है कि बीमारी के साथ ही पिछले 6 माह में लिए गए मेडिकल अवकाश का भी विवरण दिया जाए। इसके अलावा अगर मेडिकल जांच में गंभीर बीमारी का हवाला देने वाले फिट मिले तो उन्हें गंभीर परिणाम भुगतना पड़ सकता है । राज्य के दो जिलो झुंझुनूं और अजमेर के जिला निर्वाचन अधिकारियों ने यह आदेश जारी किया है।
आदेश में लंबे समय से स्वास्थ्य कारणों से राजकार्य निष्पादन में कठिनाई का अनुभव करने वाले काíमकों को अनिवार्य सेवानिवृति की कार्यवाही अमल में लाने की बात कही जा रही है। उल्लेखनीय है कि हाल ही छत्तीसगढ़ में बीमार रहने वाले कर्मचारियों को अनिवार्य सेवानिवृति देने की बात सामने आई थी। कर्मचारियों को उनके कार्य निष्पादन में आ रही दिक्कतों के चलते रिटायरमेंट दे दिया गया ।