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Rajasthan: उदयपुर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी, पैंतीस हजार में इंजेक्शन बेचते डॉक्टर और मेडिकल स्टूडेंट गिरफ्तार

Rajasthan उदयपुर में पुलिस की जिला विशेष शाखा और हिरणमगरी थाना पुलिस ने एक चिकित्सक तथा एमबीबीएस के एक स्टूडेंट को गिरफ्तार किया है। वह कोरोना पीड़ितों की मजबूरी का फायदा उठाकर एक रेमडेसिविर इंजेक्शन के पैंतीस हजार रुपये वसूल रहे थे।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Thu, 22 Apr 2021 03:47 PM (IST)Updated: Thu, 22 Apr 2021 06:59 PM (IST)
Rajasthan: उदयपुर में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी, पैंतीस हजार में इंजेक्शन बेचते डॉक्टर और मेडिकल स्टूडेंट गिरफ्तार
पैंतीस हजार में इंजेक्शन बेचते डॉक्टर और मेडिकल स्टूडेंट गिरफ्तार। फाइल फोटो

उदयपुर, संवाद सूत्र। Rajasthan: कोरोना महामारी में संक्रमित लोगों को बचाने के लिए संजीवनी के रूप में प्रचारित रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का खुलासा उदयपुर पुलिस ने किया है। इस मामले में निजी क्षेत्र के एक अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट तथा सेकेंड ईयर एमबीबीएस के स्टूडेंट्स को गिरफ्तार किया है। ये लोग उदयपुर के संभागीय अस्पताल के एक संविदाकर्मी से 23 हजार में एक रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदते थे और मजबूर जरूरतमंदों को 35 से चालीस हजार रुपये तक में बेचा करते थे। पिछले तीन दिन में वह छियालीस इंजेक्शन बेच चुके थे और बारह अन्य इंजेक्शनों की डिलिवरी की जानी थी। डॉक्टर तथा मेडिकल स्टूडेंट के पकड़े जाने के बाद संविदाकर्मी गायब है।

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उदयपुर में पिछले कुछ दिनों से रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी की शिकायत पुलिस अधीक्षक डॉ. राजीव पचार को मिली थी। उन्होंने इस मामले में जिला स्पेशल टीम के प्रभारी डॉ. हनवंतसिंह को कार्रवाई का जिम्मा सौंपा। जिस पर जिला स्पेशल टीम ने हिरणमगरी थाना पुलिस के साथ संयुक्त कार्रवाई में रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी करने पर गीतांजली मेडिकल कॉलेज के अस्पताल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. मोहम्मद अबीर खान तथा इसी मेडिकल कॉलेज में सैकण्ड ईयर एमबीबीएस के स्टूडेंट मोहित पाटीदार को गिरफ्तार कर लिया। उनसे एक इंजेक्शन खरीदने के लिए दी गई पैंतीस हजार रुपए की राशि तथा इंजेक्शन बरामद कर लिया।

इस तरह हुआ खुलासा

रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी का खुलासा पुलिस की जिला स्पेशल टीम के प्रभारी सीआई डॉ. हनवंतसिंह के एक रिश्तेदार के कोरोना पॉजीटिव आने पर उसके परिजनों ने डॉ. अबीर व मोहित से एक इंजेक्शन तीस हजार रुपये में खरीदा था। जिसकी जानकारी उन्होंने पुलिस अधीक्षक को दी थी। जिसके बाद सीआई हनवंत सिंह इस कालाबाजारी की पड़ताल में जुट गए और एक सिपाही को बोगस ग्राहक बनाकर डॉ. अबीर व मोहित से संपर्क करने को कहा। जिसने इनसे दो इंजेक्शनों की खरीद के लिए सौदा किया। जिसके एवज में डॉ. अबीर तथा मोहित ने प्रति इंजेक्शन पैंतीस हजार रुपये की मांग की। गीतांजली मेडिकल कॉलेज के पास एक इंजेक्शन की डिलीवरी की जानी थी। पुलिस के बोगस ग्राहक ने पैंतीस हजार रुपए देकर एक इंजेक्शन लिया, तभी ईशारा पाते ही जिला स्पेशल टीम तथा हिरणमगरी थाना पुलिस ने डॉ. अबीर तथा मोहित को दबोच लिया। उनसे इंजेक्शन की खरीद के एवज में लिए पैंतीस हजार रुपए भी बरामद कर लिए। आरोपितों में शामिल सवीना निवासी डॉ. मोहम्मद अबीर खान कार्डियोलॉजिस्ट है और निजी क्षेत्र के गीतांजली मेडिकल कॉलेज के अस्पताल में सेवारत है। जबकि उसके लिए सहयोग करने वाला डूंगरपुर निवासी मोहित पाटीदार इसी मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस कर रहा है और सेकेंड ईयर का स्टूडेंट है। पुलिस ने दोनों के खिलाफ महामारी के दौरान दवा की कालाबाजारी करने पर भादसं की धारा 266 एवं 267 तथा महामारी संशोधित अनिधियम 2020 के तहत मामला दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार कर लिया।

23 हजार में खरीदते थे, पैंतीस हजार में बेचते थे एक इंजेक्शन, तीन दिन में चार दर्जन बेचे

पुलिस पूछताछ में खुलासा हुआ है कि डॉ. मोहम्मद अबीर और मोहित पाटीदार उदयपुर के सरकारी महाराणा भूपाल अस्पताल के संविदाकर्मी चिराग कलाल से 23 हजार रुपये में एक रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदते थे। जिसे वह बाद में पैंतीस हजार रुपये में बेचते थे। पिछले तीन दिनों वह चार दर्जन से इंजेक्शन चिराग से खरीद चुके हैं और कोरोना पॉजीटिव मरीजों के परिजनों को बेच चुके हैं। इन्हें बारह डोज इंजेक्शन के आर्डर थे।

संविदाकर्मी के मामले में अस्पताल प्रबंधन की चुप्पी

संविदाकर्मी के रेमडेसिविर इंजेक्शन 23 हजार रुपये में बेचने के मामले में एमबी अस्पताल प्रशासन ने पूरी तरह चुप्पी साध ली है। एमबी अस्पताल के अधीक्षक डॉ. लाखन पोसवाल ने कहा कि मामले की जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकता है। अस्पताल से रेमडेसिविर इंजेक्शन चोरी कर बाजार में बेचे जाने का कयास लगाया जा रहा है। इधर, पुलिस का कहना है कि चिराग की गिरफ्तारी के बाद ही इसका खुलासा हो पाएगा कि वह इंजेक्शन कहां से लाता था और अभी तक वह कितने इंजेक्शन बेच चुका है।

नौ से साढ़े तीन हजार तक उपलब्ध है डेमडेसिविर इंजेक्शन

कोरोना महामारी के दौरान रामबाण के रूप में उपयोग लिए जा रहे इंजेक्शन की वास्तविक कीमत नौ सौ रुपए से लेकर साढ़े तीन हजार रुपये तक है। विभिन्न दवा कंपनियों के बनाए जा रहे इस इंजेक्शन की इन दिनों बेहद किल्लत है। जो इंजेक्शन डॉ. अबीर तथा मोहित ने खरीदे उनकी वास्तविक कीमत तीन हजार रुपये बताई जा रही है।

एक इंजेक्शन में एक डोज

रेमडेसिविर इंजेक्शन में एक डोज आती है। दस एमएल का इंजेक्शन पाउडर के रूप में आता है तथा डिस्टिल वाटर के जरिए उसे तैयार किया जाता है। इसमें एक डोज ही तैयार होती है। इस इंजेक्शन को सामान्य तापमान में रखा जा सकता है। इसे 100 एमएल नार्मल स्लाइन (.9सोडियम क्लोराइड)में डालकर बोतल की तरह चढ़ाया जाता है।


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