डूंगरपुर उपद्रव के एक सप्ताह बाद जिला कलेक्टर तथा पुलिस अधीक्षक को हटाया
डूंगरपुर उपद्रव की आंच से जिला कलेक्टर तथा पुलिस अधीक्षक भी नहीं बच पाए। एक सप्ताह बाद राज्य सरकार ने डूंगरपुर के जिला कलेकटर कानाराम तथा पुलिस अधीक्षक जय यादव का तबादला कर दिया। कालूराम रावत को डूंगरपुर का जिला पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया है।
उदयपुर, जागरण संवाददाता। डूंगरपुर उपद्रव की आंच से जिला कलेक्टर तथा पुलिस अधीक्षक भी नहीं बच पाए। एक सप्ताह बाद राज्य सरकार ने डूंगरपुर के जिला कलेकटर कानाराम तथा पुलिस अधीक्षक जय यादव का तबादला कर दिया। सोमवार सुबह जारी आदेश में सुरेश कुमार ओला को जिला कलेक्टर तथा कालूराम रावत (मीणा) को डूंगरपुर का जिला पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया है। सोमवार शाम तक दोनों के पदभार ग्रहण करने की संभावना है।
माना जा रहा है कि डूंगरपुर में हुए उपद्रव को संभालने में दोनों अधिकारी सफल नहीं हो पाए और जयपुर से पुलिस एवं प्रशासन के बड़े अधिकारियों को भेजा गया तब मामला शांत हुआ। इससे पहले चार दिन तक डूंगरपुर में हाईवे पर लगातार लूटपाट तथा आगजनी होती रही।
राज्य सरकार द्वारा भेजे गए दोनों अधिकारी अभी तक जोधपुर में नियुक्त थे। जिला कलेक्टर के रूप में पदस्थ सुरेश कुमार ओला जोधपुर दक्षिण नगर निगम में आयुक्त से पहले जयपुर मेट्रो में भी सेवा दे चुके हैं। जबकि पुलिस अधीक्षक कालूराम रावत जोधपुर में पुलिस उपायुक्त मुख्यालय एवं यातायात पुलिस आयुक्तालय में पदस्थ थे। इससे पहले वह चित्तौड़गढ़ तथा हनुमानगढ़ में पुलिस अधीक्षक रह चुके हैं।
डूंगरपुर के जिला कलेक्टर पद से हटाए जाने के बाद कानाराम को संयुक्त मुख्य कार्यकारी अधिकारी स्टेट हैल्थ इंश्योरेंस एजेंसी राजस्थान जयपुर में लगाया गया है जबकि जय यादव को पुलिस अधीक्षक सीआईडी सीबी जयपुर भेजा गया है।
गौरतलब है कि तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती (रीट भर्ती 2018) में अनारक्षित वर्ग की रिक्त रही 1167 सीटों पर जनजाति अभ्यार्थियों को नियुक्ति की मांग को लेकर जनजाति अभ्यर्थियों ने पिछले महीने सात सितम्बर को डूंगरपुर जिले के बिछीवाड़ा थानान्तर्गत पलवड़ा के समीप कांकरी डूंगरी पहाड़ी पर महापड़ाव शुरू किया था। जिसके सत्रह दिन बाद वे हिंसक आंदोलन पर उतारू हो गए।
डूंगरपुर के जिला कलेक्टर कानाराम तथा पुलिस अधीक्षक जय यादव यह नहीं भांप पाए कि महापड़ाव पर अवैध रूप से बैठे आंदोलनकारी उपद्रव पर उतारू हो जाएंगे। पुलिस जब उन्हें काबू करने पहुंची तो आंदोलनकारियों ने पुलिस पर जमकर पथराव किया जिसमें पचास से अधिक पुलिसकर्मी घायल हो गए थे। तीन दिन तक चली आगजनी तथा लूटपाट के बाद जयपुर से पुलिस एवं प्रशासन के आला अधिकारी हेलीकॉप्टर से भेजे गए तब जाकर चौथे दिन मामला शांत हो पाया। एक सर्वे के अनुसार आगजनी तथा लूटपाट में सौ करोड़ रुपये के नुकसान का आंकलन किया गया था।