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Kisan Sansad In Jaipur: किसान संसद में सातवें वेतनमान की तरह एमएसपी की मांग

Kisan Sansad जयपुर में बुधवार को तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के मुद्दे को लेकर किसान संसद हुई। जयपुर के बिड़ला सभागार में हुई किसान संसद में सातवें वेतनमान की तरह ही एमएसपी को लागू करने की मांग की है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 15 Sep 2021 09:10 PM (IST)Updated: Wed, 15 Sep 2021 09:10 PM (IST)
Kisan Sansad In Jaipur: किसान संसद में सातवें वेतनमान की तरह एमएसपी की मांग
किसान संसद में सातवें वेतनमान की तरह एमएसपी की मांग। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, जयपुर। राजस्थान की राजधानी जयपुर में बुधवार को तीनों केंद्रीय कृषि कानूनों के मुद्दे को लेकर किसान संसद हुई। जयपुर के बिड़ला सभागार में हुई किसान संसद में सातवें वेतनमान की तरह ही एमएसपी को लागू करने की मांग की है। किसान संसद में केंद्र सरकार की ओर से लागू किए गए तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव भी पारित किया गया। जयपुर के बाद अब देश के प्रत्येक जिले में किसान संसद आयोजित करने का निर्णय लिया गया। इस दौरान महंगाई, निजीकरण और किसान हित के विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की गई। तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ हुई किसान संसद में भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत शामिल नहीं हुए। टिकैत के शामिल नहीं होने के कारण किसान नेताओं में गुटबाजी की चर्चा जोरों पर है।

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प्रश्नकाल और शून्यकाल भी हुआ

किसान संसद के आयोजक किसान मोर्चा के अध्यक्ष हिम्मत सिंह गुर्जर ने कहा कि बिना चर्चा किए संसद में किसानों के खिलाफ काला कानून पास कर दिए गए। देश का किसान केंद्र सरकार के कृषि कानूनों को नहीं मानता है। किसान संसद में कृषि कानूनों को रद कर दिया गया। इन्हें स्वीकार नहीं करने का निर्णय लिया गया। जयपुर के उप जिला प्रमुख मोहन डागर ने कहा कर्मचारियों का सातवां वेतनमान लागू हुआ है, लेकिन पूरे देश में एमएसपी के नाम पर किसानों को गुमराह किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि जिस तरह से सातवां वेतनमान लागू हुआ है। उसी तरह से नियमों के साथ कानूनी रूप से एमएसपी तय होनी चाहिए। एमएसपी कानून पर ही फसलों की खरीद होनी चाहिए।

किसान संसद में लोकसभा और राज्यसभा की तर्ज पर प्रश्नकाल और शून्यकाल हुआ। प्रश्नकाल में कृषि कानूनों सहित विभिन्न मुद्दों पर सवाल-जवाब हुए। शून्यकाल में कृषि कानूनों से होने वाले नुकसान की चर्चा की गई। संसद में तीनों कृषि कानूनों को रद करने का प्रस्ताव पारित किया गया। किसान संसद में कई राज्यों के प्रतिनिधि शामिल हुए। हालांकि राकेश टिकैत किसान संसद में नहीं पहुंचे। किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाला, गुरनाम सिंह चढूनी, जोगिंदर सिंह, बूटा सिंह बुर्जगिल, डा. दर्शनपाल सिंह, सुरेश खोत, अभिमन्यु कोहाड़, सुरजीत सिंह फूल, रणजीत सिंह राजू, नरेंद्र सिंह पाटीदार, संजय रैबारी, रणजीत सिंह और महेंद्र पाटीदार ने किसानों को संबोधित किया।


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