पुलिस थाने में तय हुआ मौत के बदले 20 लाख रुपये मुआवजा
youth. उदयपुर के युवक की मौत के बाद उसके मौताणे का मामला बीस लाख रुपये में पुलिस ने निपटाया।
संवाद सूत्र, उदयपुर। राजस्थान पुलिस के लिए मौताणा (मौत के बदले मिलने वाला मुआवजा) एक बड़ी विडंबना है। कानून के तहत मौताणा अवैधानिक है, लेकिन मेवाड़ में पुलिस मौताणे में भागीदारी निभाती आई है। ऐसा ही एक मामला शनिवार को उदयपुर के सविना थाने में सामने आया। यहां इथोपिया स्थित मार्बल उद्योग में काम के दौरान हुई उदयपुर के युवक की मौत के बाद उसके मौताणे का मामला बीस लाख रुपये में पुलिस ने निपटाया।
उदयपुर जिले के पाल सराड़ा खरड़ गांव के 37 वर्षीय अर्जुन मीणा इथोपिया स्थित आयना मार्बल कंपनी में डीजल मैकेनिक थे। नौ जनवरी को कंपनी में काम के दौरान उनकी मौत हो गई थी। इथोपिया पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद भारतीय दूतावास के माध्यम से उनका शव हवाई जहाज से दिल्ली रवाना कर दिया। उनका शव शुक्रवार रात उदयपुर पहुंचा। डबोक हवाई अड्डे से परिजन उनका शव घर ले जाने की बजाय सीधे सविना थाने ले गए। जहां मौताणे की रकम मिलने के बाद ही शव का दाह संस्कार करने की बात कही। परिजन और खरड़ गांव के ग्रामीण सविना थाने पर एकत्र हो गए।
परिजनों की मांग 70 लाख रुपये मुआवजे की थी, लेकिन कंपनी ने तय नियम के मुताबिक चार लाख रुपये बतौर मुआवजा और दो साल तक हर माह फिक्स रकम उनके खाते में डालने की बात कही। परिजनों ने इसे मानने से इन्कार कर दिया। इसके बाद शनिवार सुबह पुलिस ने कंपनी के दिल्ली स्थित ऑफिस के प्रबंधक अमित अग्रवाल, उनके एजेंट बांसवाड़ा निवासी श्यामलाल, पूर्व सांसद रघुवीरसिंह मीणा, पूर्व उप जिला प्रमुख लक्ष्मी नारायण पंड्या तथा सराड़ा थानाधिकारी रतनसिंह चौहान से बात कर उचित मुआवजा दिलाने के प्रयास शुरू किए।
उधर, ग्रामीणों की ओर से मृतक के पिता नाथूलाल मीणा, मुकेश पालीवाल, गणेशलाल चौधरी, पाल सराड़ा के पूर्व सरपंच लालूराम मीणा आदि शामिल थे। उनका कहना था कि मार्बल एसोसिएशन की ओर से तय है कि किसी उद्योग में कर्मचारी या मजदूर की मौत पर सत्रह लाख रुपये मुआवजा दिया जाएगा। काफी समझाने के बाद कंपनी ने मुआवजा आठ लाख रुपये देने की सहमति जताई, जबकि परिजन तीस लाख रुपये की मांग पर अड़े रहे। दिन भर थाने पर समझौता वार्ता के बाद अंत में कंपनी ने बीस लाख रुपये बतौर मुआवजा देने की सहमति जताई है। इसके बाद मृतक के परिजन शव लेकर गांव के लिए रवाना हुए।