Ranthambore National Park: राजस्थान के रणथंभौर सेंचुरी में टाइगर टी-25 की मौत
Ranthambore Century. रणथंभौर सेंचुरी की ही खंडार रेंज में टी-25 का शव बरामद किया गया है। टाइगर की मौत के कारणों का अभी खुलासा नहीं हुआ है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। Ranthambore Century. राजस्थान में सवाईमाधोपुर जिले में स्थित रणथंभौर सेंचुरी में अब एक और टाइगर की मौत हो गई। टाइगर टी-25 सोमवार को वनकर्मियों को मृत अवस्था में मिला। रणथंभौर सेंचुरी की ही खंडार रेंज में टी-25 का शव बरामद किया गया है। टाइगर की मौत के कारणों का अभी खुलासा नहीं हुआ है। यह टाइगर 17 साल का था।
वन विभाग के अनुसार, टी-25 का शव सोमवार को सुबह बरामद किया गया। प्रथम दृष्टया बाघ के शव पर किसी प्रकार की चोट के निशान नहीं मिले हैं। मेडिकल बोर्ड का गठन किया गया है। यह बोर्ड पोस्टमार्टम के दौरान ही यह पता लगाने की कोशिश करेगा कि मौत के कारण क्या हो सकते हैं। टी-25 को जालिम और डॉलर मेल के नाम से भी जाना जाता था। जालिम उसे उसके खूंखार बर्ताव के लिए कहा जाता था। वहीं, डॉलर मेल उसे उसके शरीर पर बने डॉलर के निशान की वजह से कहा जाता था।
यह टाइगर 2011 में चर्चा में आया था, जब बाघिन टी-5 की अचानक मौत हो गई थी। उसके दो दुध मुंहे शावक थे। उन दोनों शावकों को पाल पोसकर के टी-25 ने ही बड़ा किया था। इससे पहले ऐसा माना जाता था कि टाइगर कभी शावकों को पालते नहीं है बल्कि मार देते हैं, लेकिन जालिम ने दोनों शावकों को पाल पोसकर बड़ा किया, संभाला और सुरक्षा की। ये दोनों शावक बड़े होकर आज भी सरिस्का में एसटी-9 और एसटी-10 के नाम से हैं।
यह बाघ रणथंभौर के लिए काफी अहम था
मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरिन्दम तोमर ने बताया कि पोस्टमार्टम के बाद ही पूरी जानकारी मिल पाएगी कि टी-25 की मौत का असली कारण क्या रहा है। यह टाइगर रणथंभौर के लिए काफी अहम माना जाता था। वर्तमान में रणथंभौर और सरिस्का के जंगलों में टी-25 की काफी संतानें मौजूद हैं। रणथंभौर के जंगलों में विश्व प्रसिद्ध बाघों का एक दौर रहा है। यहां की विरासत बाघिन मछली और टी-17 उर्फ सुंदरी भी नहीं रही। टी- 24 उदयपुर के सज्जनगढ़ में कैद है। टी- 28 स्टारमेल की हो गई और अब टी-25 जालिम भी नहीं रहा। बाघों की यह जनरेशन पूरी दुनिया में काफी प्रसिद्ध हुई थी। अब इस जनरेशन के बुजुर्ग बाघ एक एक कर इस दुनिया को अलविदा कह रहे हैं।