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Rajasthan: आजादी के 75 साल बाद पहली बार घोड़ी पर बैठा दलित दूल्हा, पुलिस अधीक्षक ने किया बारात का स्वागत

Marriage in Bundi चड़ी गांव में यहां दलित दूल्हे ने घोड़ी पर बैठकर बिंदौली निकाली। जिला पुलिस अधीक्षक जय यादव ने पुलिस प्रशासनिक अधिकारियों और समाज के प्रमुख लोगों के साथ बक्शपुरा गांव से आई बारात का स्वागत किया।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 24 Jan 2022 06:28 PM (IST)Updated: Mon, 24 Jan 2022 06:28 PM (IST)
Rajasthan: आजादी के 75 साल बाद पहली बार घोड़ी पर बैठा दलित दूल्हा, पुलिस अधीक्षक ने किया बारात का स्वागत
आजादी के 75 साल बाद पहली बार घोड़ी पर बैठा दलित दूल्हा। फाइल फोटो

जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान में दलित दूल्हों को घोड़ी पर नहीं चढ़ने देने या फिर बिंदौली रोकने की घटनाएं लगातार सामने आती रही हैं। पिछले पांच साल में सबसे ज्यादा घटनाएं सूबे के बूंदी जिले में हुई हैं। ऐसे में पुलिस और प्रशासन ने बूंदी जिले के 30 ऐसे गांव चिन्हित किए हैं, जिनमें आजादी के बाद से अब तक दलित दूल्हे को घोड़ी पर नहीं बैठने दिया गया। अगर कोई दूल्हा घोड़ी पर बैठ भी गया तो उसकी बिंदौली गांव में से नहीं निकलने दी गई। यदि दूल्हे को पुलिस सुरक्षा में घोड़ी पर बिठा भी दिया गया तो बाद में उस परिवार को गांव से बहिष्कृत कर दिया गया। सोमवार से इन गांवों में "आपरेशन समानता" शुरू किया गया है। शुरुआत चड़ी गांव से की गई है, यहां दलित दूल्हे ने घोड़ी पर बैठकर बिंदौली निकाली। जिला पुलिस अधीक्षक जय यादव ने पुलिस, प्रशासनिक अधिकारियों और समाज के प्रमुख लोगों के साथ बक्शपुरा गांव से आई बारात का स्वागत किया। यहां मेघवाल परिवार की बेटी की शादी धूमधाम से हुई, जिसमें पुलिस अधीक्षक सहित अन्य अधिकारी मेजबान की भूमिका में रहे। पुलिस अधीक्षक का कहना है कि प्रत्येक गांव में समानता समितियां बनाई गई हैं। इन समितियों में सभी समाजों के लोगों व जनप्रतिनिधियों को शामिल किया गया है। क्षेत्र के थाना अधिकारियों को आपसी सद्भावना कायम कराने का जिम्मा सौंपा गया है।

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इन गांवो में आज तक दलित दूल्हा घोड़ी पर नहीं बैठा

चड़ी, नीम का खेड़ा, भैरूपुरा, राजपुरा, गांधी गांव, सरस्वती का खेड़ा, संगावदा, गुर्जरों की थड़ी, लांबाखोह, बावड़ी खेड़ा, सांकड़दा, सिंगता, गरनारा, मायजा, जलोदा, चितावा, गामछ, मायजा, जलोदा, चितावा, लक्ष्मीपुरा, खेरोली, सुनगर, सीतापुरा, डोलर, बोरदामाल, कोटड़ी, हांडीखेड़ा, आंजदा, डोलर,लबाना, देइखेड़ा, गुढ़ा, चांदण खुर्द, बाबई, बलवन, मोहनपुरा, कुआं, सामरबा, अजेता, झालीजी, जयथामल, जजावर, फतेहपुरा, सिसोसला, तंवर का झोंपड़ा, चतरगंज, बांसी, खजूरी, धाबाइयों का ग्राम आदि गांवों में पुलिस ने समानता समितियां बनाई है। पुलिस अधीक्षक ने सर्वे करवाया तो सामने आया था कि इन गांवों में पिछले 75 साल से या तो दलित दूल्हे को घोड़ी पर नहीं बैठने दिया गया और अगर बैठ गया तो दबंगों ने उसे जबरन नीचे उतार दिया। सोमवार को चड़ी गांव में पहली बार दलित दूल्हा घोड़ पर चढ़कर बारात लेकर वधू पक्ष के यहां पहुंचा। गांव में बाबाूलाल मेघवाल की बेटी द्रोपदी की शादी श्रीराम से हुई है। पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों ने बाबूलाल के साथ बारातियों का स्वागत किया।

ऊंच-नीच का भेद मिटाने का प्रयास

जिला कलेक्टर रेणू जयपाल ने बताया कि आपरेशन समानता दलित दूल्हों को घोड़ी से उतारने से रोकने जैसी घटनाओं को बंद करने लिए चलाया गया है। प्रयास है कि अब बूंदी जिले में किसी दलित दूल्हे को कभी भी घोड़ी से नहीं उतारा जाए। समानता समितियों के माध्यम से लोगों को समझाया जाएगा कि सभी मानव एक हैं। ऊंच-नीच का भेदभाव मिटाने का प्रयास होगा। समितियां गांवों में लोगों को एकजुट करने का काम करेगी।


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