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Rajasthan: सीपी जोशी बोले, पार्टी अध्यक्ष को होना चाहिए विधायक को अयोग्य ठहराने का अधिकार

Rajasthan सीपी जोशी ने कहा कि दलबदल कानून के मौजूदा प्रावधानों से लोकतंत्र कमजोर हो रहा है। जिस दल के कहने से टिकट मिलता है अगर उसका विधायक जीतने के बाद पार्टी के खिलाफ काम करता है तो उस दल के अध्यक्ष को अयोग्य करार देने का अधिकार होना चाहिए।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Mon, 01 Aug 2022 03:33 PM (IST)Updated: Mon, 01 Aug 2022 03:33 PM (IST)
Rajasthan: सीपी जोशी बोले, पार्टी अध्यक्ष को होना चाहिए विधायक को अयोग्य ठहराने का अधिकार
सीपी जोशी बोले, पार्टी अध्यक्ष को होना चाहिए विधायक को अयोग्य ठहराने का अधिकार। फाइल फोटो

जागरण संवाददाता, जयपुर। Rajasthan Politics: राजस्थान विधानसभा के अध्यक्ष सीपी जोशी (CP Joshi) ने दलबदल कानून में बदलाव की पैरवी करते हुए कहा कि पार्टी अध्यक्ष को ही विधायक को अयोग्य ठहराने का अधिकार होना चाहिए। सीपी जोशी ने कहा कि दलबदल कानून के मौजूदा प्रावधानों से लोकतंत्र कमजोर हो रहा है। उनके मुताबिक, जिस दल के कहने से टिकट मिलता है, अगर उसका विधायक जीतने के बाद सदन में या बाहर पार्टी के खिलाफ काम करता है या विरोध है तो उस दल के अध्यक्ष को अयोग्य करार देने का अधिकार होना चाहिए। इस मौके पर जोशी ने कहा कि पार्टी अध्यक्ष के फैसले को न्यायालय में चुनौती देने का प्रावधान भी नहीं होना चाहिए।

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सीपी जोशी ने दलबदल कानून में बदलाव की पैरवी की

जयपुर (Jaipur) में आयोजित टाक जर्नलिज्म के समापन समारोह में सीपी जोशी ने कहा कि चुनाव में सिंबल पार्टी अध्यक्ष देता है। उसका प्रतिनिधि ही चुनाव जीतने के बाद विधानसभा में जाकर पार्टी के खिलाफ काम करे तो अध्यक्ष के पास ही उसे अयोग्य ठहराने का अधिकार होना चाहिए। इस मौके पर जोशी ने कहा कि मौजूदा दल बदल कानून में पार्टी और विधायक दोनों के व्यवहार को अलग-अगल रखा है, इससे सारी परेशानी पैदा हुई है। जोशी ने कहा कि विधानसभा का सदन कम से कम दो सौ दिन चलना चाहिए। उनके मुताबिक, वर्तमान में नीति और कानून बनाने में विधायकों की भूमिका कम हो रही है। अधिकारी कानून बना रहे हैं।

सीपी जोशी ने कहा, देश में कार्यपालिका की चल रही तानाशाही

सीपी जोशी ने कहा कि केंद्र हो या राज्य इस देश में संसदीय लोकतंत्र नहीं चल रहा है। उनके मुताबिक, देश में कार्यपालिका की तानाशाही चल रही है। जब सदन नहीं चल रहा है तो कार्यपालिका फैसले कर रही है। देश में राजनीतिक दलों ने सबसे बड़ा गुनाह किया। हमने लोगों को संसदीय लोकतंत्र के प्रति जागरूक और शिक्षित ही नहीं किया। राजनीकि दल खुद ही ससंदीय लोकतंत्र को खत्म कर रहे हैं।


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