राजस्थान विधानसभा चुनाव में गाय और किसान रहेंगे बड़े मुद्दे
राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार कई ऐसे मामले हैं जो पहले से ही मुद्दा बन गए है । राजनीतिक दलों को इस बार गाय वोटों की कामधेनु नजर आ रही है।
जयपुर, नरेन्द्र शर्मा। राजस्थान विधानसभा चुनाव में इस बार कई ऐसे मामले हैं जो पहले से ही मुद्दा बन गए है । राजनीतिक दलों को इस बार गाय वोटों की कामधेनु नजर आ रही है। भाजपा गौतस्करी को लगातार मुद्दा बनाती रही है तो कांग्रेस गौ तस्करी के शक में पीट पीटकर लोगों को मारने की घटनाओं को लेकर सरकार को घेरती रही है।
प्रदेश के मेवात इलाके के अलवर और भरतपुर जिलों में गोतस्करी का मामला भाजपा के नेता काफी समय से उठाते रहे हैं। प्रदेश का मेवात इलाका गाय के नाम पर राजनीति का हब बन गया है। पहलू खान की बहरोड़ में गोतस्करी के आरोप में भीड़ की पिटाई से हुई मौत के बाद देशभर में सियासत गरमाई गई थी। सड़क से लेकर विधानसभा और संसद तक मामला उठा।
भाजपा विधायक ज्ञानदेव आहूजा के भड़काऊ बयानों से गाय की सियासत को और हवा मिली। पहलू खान के बाद उमर और हाल ही अकबर की मौत के बाद राजनीति जारी है। मॉब लिंचिंग में अकबर की मौत के मुद्दे पर कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल हमलावर है । संसद में गृहमंत्री राजनाथ सिंह को बयान देना पड़ा,वहीं राजस्थान में मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने स्वयं गृहमंत्री गुलाब चंद कटारिया को अकबर की मौत का मौका मुआयना करने अधिकारियों के दल के साथ अलवर भेजा था ।
उधर फसल के सही दाम नहीं मिलने और कर्ज के कारण किसानों की आत्महत्याओं के मामलों को लेकर भी विपक्षी दल भाजपा सरकार को घेरने में जुटे है। पिछले दिनों कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने जयपुर में इन दोनों मुद्दों को लेकर सरकार पर आरोप लगाए थे ।
गाय की राजनीति के पोस्टर ब्वॉय बने भाजपा विधायक
भाजपा विधायक ज्ञानदेव आहूजा गाय की राजनीति के पोस्टर ब्वॉय बन गए है। अब आहूजा की लाइन पर ही भाजपा के एक अन्य विधायक बनवारीलाल सिंघल चल रहे है। कांग्रेस ने गाय के नाम पर हो रही मॉब लिचिंग के पीछे भाजपा का हाथ होने का आरोप लगाया है।
कांग्रेस ज्ञानदेव आहूजा पर कार्रवाई नहीं होने को सरकार की मिलीभगत बता रही है कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा गाय के नाम पर हिंदू मुस्लिम का ध्रुवीकरण करके असली मुद्दों से ध्यान हटाना चाहती है। गाय के नाम पर मॉब लिचिंग की घटनाओं पर कांग्रेस शुरू से ही हमलावर रही है।
मेवात के सियासी समीकरण गाय के मुद्दे को हवा देने के पीछे असली वजह है। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि मेवात में इस बार गाय के नाम पर ध्रुवीकरण होना तय है। विधानसभा चुनाव नजदीक आने के साथ ही इस बार गाय चुनावी मुद्दा बन गई है।