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Rajasthan: 57 किलो सोने पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग का हक, अदालत का फैसला

Court Decision 57 किलो सोने पर आंजना परिवार पहले से ही केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग नई दिल्ली के समक्ष इस सोने के हक को लेकर लड़ाई जारी रखे हुए है।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 05 Aug 2020 07:10 PM (IST)Updated: Wed, 05 Aug 2020 07:10 PM (IST)
Rajasthan: 57 किलो सोने पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग का हक, अदालत का फैसला
Rajasthan: 57 किलो सोने पर केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग का हक, अदालत का फैसला

उदयपुर, संवाद सूत्र। Court Decision: राजस्थान में चित्तौड़गढ़ जिले के आंजना परिवार की ओर से जमा कराए 57 किलो से अधिक सोने के हक को लेकर बुधवार को उदयपुर की अदालत ने केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग के पक्ष में फैसला सुनाया है। मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट की अदालत ने पैंतालीस साल पूर्व सुनाए निचली अदालत के फैसले को बरकरार रखा है, जिसमें इस सोने के वारिसों को लेकर स्थिति साफ नहीं होने पर इसे केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग को सौंपे जाने के आदेश दिए थे। इधर, आंजना परिवार सोने के हक को लेकर पहले से हाईकोर्ट में याचिका दायर कर चुका है। आंजना परिवार के वकील भंवर सिंह देवड़ा बताते हैं कि केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग को उक्त सोने का हक मिला है लेकिन इससे आंजना परिवार का हक खत्म नहीं हो जाता।

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आंजना परिवार पहले से ही केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग नई दिल्ली के समक्ष इस सोने के हक को लेकर लड़ाई जारी रखे हुए है। बुधवार को सुनाए फैसले के मुताबिक केंद्रीय उत्पाद शुल्क विभाग के चित्तौड़गढ़ कार्यालय को यह सोना मिलना है, जो उदयपुर की ट्रैजरी में अदालत के निर्देश पर पांच दशक से सुरक्षित रखा हुआ है। हालांकि आंजना परिवार पहले से ही हाईकोर्ट जोधपुर में इस सोने के हक को लेकर रिट दायर कर चुका है। उधर, आयकर विभाग की ओर से जारी नोटिस को लेकर हाईकोर्ट में रिट दायर की जाएगी, जिसमें आयकर विभाग ने आंजना परिवार को इस सोने को लेकर ढाई करोड़ रुपये से अधिक का नोटिस जारी रखा है।

जानें, क्या है मामला

वकील भंवर सिंह बताते हैं कि छोटी सादड़ी तहसील के गोमाना गांव के सर्राफा व्यापारी गणपत लाल पुत्र भैरूलाल आंजना ने तत्कालीन प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की 16 दिसंबर, 1965 को प्रस्तावित छोटी सादड़ी की यात्रा के दौरान उन्हें सोने से तोलने की घोषणा की थी। इसके लिए आंजना परिवार ने शास्त्रीजी वजन के बराबर 57 किलो 863 ग्राम सोना जिला कलेक्टर कार्यालय में सुरक्षित रखवाया था। वह छोटी सादड़ी आ पाते उससे पहले ही ताशकंद में प्रधानमंत्री शास्त्री  का निधन हो गया। इसके बाद आंजना परिवार ने जिला कलेक्ट्रेट में प्रार्थना पेश कर वहां जमा कराया सोना वापस लौटाने की मांग की, लेकिन राजनीतिक कारण और कानूनी दावपेच की वजह से यह सोना आंजना परिवार को नहीं मिल पाया। गणपतलाल आंजना की मौत के बाद उनके बेटे गोवर्धन लाल आंजना और उनके परिवार के सदस्य पिछले 55 साल से इस सोने के लिए हक के लिए लड़ाई जारी रखे हुए हैं। 


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