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राजस्‍थान के डूंगरपुर में तीन दशक से भाजपा के गढ़ में सेंध नहीं लगा पाई कांग्रेस

Dungarpur Urban Body Elections डूंगरपुर नगर परिषद में कांग्रेस पहली बार भाजपा का गढ़ ढहाने की बात कर रही है कांग्रेस को जीत दिलवाने के लिए प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष एवं डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा चुनौती के रूप में काम में जुटे हुए हैं।

By Babita KashyapEdited By: Published: Sat, 23 Jan 2021 11:38 AM (IST)Updated: Sat, 23 Jan 2021 11:38 AM (IST)
राजस्‍थान के डूंगरपुर में तीन दशक से भाजपा के गढ़ में सेंध नहीं लगा पाई कांग्रेस
आदिवासी बहुल डूंगरपुर नगर परिषद में कांग्रेस पहली बार भाजपा का गढ़ ढहाने की बात कर रही है।

उदयपुर, सुभाष शर्मा। आदिवासी बहुल डूंगरपुर नगर परिषद में भाजपा लगातार सातवीं बार बोर्ड बनाए जाने का दावा कर रही है, वहीं कांग्रेस पहली बार भाजपा का गढ़ ढहाने की बात कर रही है। भाजपा को जिताने की जिम्मेदारी राज्यसभा सांसद एवं डूंगरपुर  राजपरिवार के सदस्य महाराज कुंवर हर्षवर्धन सिंह के हाथों में हैं, वहीं कांग्रेस को जिताने के लिए प्रदेश युवा कांग्रेस के अध्यक्ष एवं डूंगरपुर विधायक गणेश घोघरा चुनौती के रूप में काम में जुटे हुए हैं। हालांकि राजनीतिक पंडित मानते हैं कि भाजपा का गढ़ ढहाना आसान काम नहीं है, लेकिन विधायक घोघरा कितना सफल रहते हैं यह तो परिणाम से जाहिर होगा।

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 पहली बार अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित इस शहरी निकाय के चुनाव (Urban Body Elections) को लेकर उत्साह की बात की जाए तो वह पिछले चुनावों से कमतर नहीं। चालीस वार्डों में बंटी शहरी निकाय के ज्यादातर वार्डों में भाजपा और कांग्रेस सीधे मुकाबले में है लेकिन भारतीय ट्राइबल पार्टी के प्रत्याशी भी उन्हें चुनौती दे रहे हैं। वह सीधे मुकाबले में तो नहीं, लेकिन दोनों दलों के जीत के समीकरण प्रभावित कर सकते हैं। भले दोनों ही प्रमुख दल भाजपा और कांग्रेस अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहे हैं, लेकिन राजनीतिक पंडितों का कहना है कि अल्पसंख्यक बहुल वार्डों में कांग्रेस की जीत आसान होगी लेकिन भाजपा को हराकर शहरी निकाय पर कब्जा करना उतना आसान नहीं। 

 भाजपा में अंतर्कलह तो कांग्रेस से नहीं जुड़ पा रहे युवा 

भाजपा इस बार भी शहरी निकाय पर कब्जा जमाने का दावा कर रही है लेकिन यहां पहली बार पार्टी में अंतर्कलह देखा जा रहा है। पूर्व चेयरमैन के के गुप्ता के बागी होने का नुकसान पार्टी को झेलना होगा। हालांकि गुप्ता सीधे तौर पर चुनावी मैदान में नहीं है लेकिन उनकी निष्क्रियता चर्चा का विषय बनी हुई है। गुप्ता ही थे, जिनके प्रयासों से डूंगरपुर स्वच्छता मानकों में अपने जैसे शहरों में देश में हर साल अव्वल आता रहा। गुप्ता समर्थकों के विरोध का नुकसान भाजपा को झेलना पड़ सकता है। हालांकि डूंगरपुर राज परिवार के सदस्य एवं राज्यसभा सांसद हर्षवर्धन सिंह के कमान संभालने का फायदा भाजपा को मिलने की उम्मीद जताई जा रही है। इधर, कांग्रेस के लिए मुश्किल काम रहा है युवाओं को जोड़ना। यूथ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष एवं डूंगरपुर से विधायक गणेश घोघरा ने युवाओं को जोड़ने के लिए हर संभव प्रयास किए। इस काम में उनके लिए भारतीय ट्राइबल पार्टी चुनौती बनकर उभरी है। आदिवासी युवा पूरी तरह भारतीय ट्राइबल पार्टी के साथ हैं। हालांकि विधायक घोघरा आश्वस्त हैं कि उनके विधानसभा क्षेत्र में डूंगरपुर शहर भी आता है और बीते चुनाव में उन्होंने भाजपा को शिकस्त दी थी और इस बार भी ऐसा ही होगा। 

 बीटीपी पहुंचाएगी नुकसान 

डूंगरपुर में सामान्य वर्ग के मतदाताओं की संख्या ज्यादा है। जो भारतीय ट्राइबल पार्टी के खिलाफ हैं। ऐसे में भारतीय ट्राइबल पार्टी यहां निकाय पर कब्जा करने की स्थिति में नहीं हैं, लेकिन वह भाजपा और कांग्रेस के जीत के समीकरणों को प्रभावित अवश्य करेगी।


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