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मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जब जिसे चाहा सत्ता में भागीदारी दी, माकन और पायलट देखते रहे

Rajasthan Political Crisis राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच खींचतान जारी है। पार्टी के प्रदेश प्रभारी अजय माकन अब तक चार बार राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर डेडलाइन दे चुके हैं लेकिन अपनी बात नहीं मनवा सके।

By Babita KashyapEdited By: Published: Sat, 12 Jun 2021 01:12 PM (IST)Updated: Sat, 12 Jun 2021 01:12 PM (IST)
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने जब जिसे चाहा सत्ता में भागीदारी दी, माकन और पायलट देखते रहे
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच खींचतान जारी है।

जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस का सियासी पारा गर्म है। मंत्रिमंडल विस्तार और राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच खींचतान जारी है। पायलट खेमा आलाकमान द्वारा 10 माह पूर्व सत्ता में भागीदारी दिया गया आश्वासन पूरा नहीं होने से नाराज हैं। दिलचस्प तथ्य यह है कि पार्टी के प्रदेश प्रभारी अजय माकन अब तक चार बार राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर डेडलाइन दे चुके हैं।

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माकन जब भी जयपुर आए हर बार कांग्रेसियों व मीडिया को राजनीतिक नियुक्तियों की नई तारीख दे गए। लेकिन सीएम माकन की डेडलाइन के अनुसार फैसले करने को तैयार नहीं है। वे अपनी मर्जी से फैसले कर रहे हैं। उन्होंने जिसे चाहा उसे सत्ता में भागीदारी दी और माकन व पायलट देखते ही रह गए । एक-दो मौके तो ऐसे आए जब माकन ने विशेषकर किसी सैंवधानिक बोर्ड के लिए नाम सुझाया,लेकिन उनकी एक नहीं चली ।

गहलोत ने जिलों में अपने विश्वस्तों के माध्यम से सौंपी गई सूची के अनुसार बड़े पैमाने पर नियुक्तियां दे दी । कई ऐसे सेवानिवृत अधिकारियों को नियुक्तियां दे दी गई जो आगामी विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं । विधानसभा अध्यक्ष डॉ.सी.पी.जोशी के निकटस्थ रिश्तेदार पूर्व आईएएस बी.एन.शर्मा को उर्जा मंत्री डॉ.बी.डी.कल्ला की आपत्ति दरकिनार कर के विधुत नियामक आयोग का चेयरमैन बना दिया गया । प्रदेश की सभी स्थानीय निकायों में गहलोत खेमे के कार्यकर्ताओं को पार्षद मनोनीत कर दिया गया । इसी तरह विधायकों की सिफारिश पर वकीलों को सरकारी विभागों में तैनात कर दिया गया ।

एक-एक कर होती रही नियुक्तियां

पिछले साल पायलट की बगावत के बाद कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा और तत्कालीन कोषाध्यक्ष स्व.अहमद पटेल की मौजूदगी में तय हुआ था कि राज्य सत्ता व संगठन में होने वाले सभी फैसलों में पायलट की राय मानी जाएगी। लेकिन एक दर्जन से अधिक सेवानिवृत आईएएस अधिकारियों को नियुक्तियां देते समय पायलट से बात तक नहीं की गई। 

पायलट का कहना है कि आलाकमान द्वारा किया गया वादा अब तक पूरा नहीं हुआ है । सीएम ने पूर्व आईएएस अधिकारी गोविंद शर्मा, अरविंद मायाराम को खुद का सलाहकार बनाया। फिर पूर्व पुलिस महानिदेशक भूपेंद्र यादव को राज्य लोकसेवा आयोग का चेयरमैन,पूर्व मुख्य सचिव डी.बी.गुप्ता को मुख्य सूचना आयुक्त,पूर्व आईपीएस अधिकारी हरिप्रसाद को राज्य कर्मचारी चयन बोर्ड का चेयरमैन बनाया गया। राम लुभाया को जवाबदेही कमेटी का चेयरमैन,जी.एस.संधु को पट्टा वितरण अभियान की कमेटी का चेयरमैन बनाया गया। संधु पिछली वसुंधरा सरकार में जमीनों के पट्टे आवंटन के मामले में जेल जा चुके हैं। जगरूप यादव और मातादीन शर्मा को सिविल सेवा प्राधिकरण का सदस्य व बन्ना लाल को वित्त आयोग का सचिव बनाया गया। इसी तरह सीएम के गृह जिले जोधपुर की संगीता बेनीवाल को बाल अधिकारिता आयोग का चेयरमैन नियुक्त किया गया ।


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