Rajasthan: सरकारी अस्पतालों में बच्चों की मौत का सिलसिला जारी, जानें-कहां कितनी हुई मौतें
Children Died In Rajasthan. राजस्थान के कोटा में अब तक 110 जोधपुर में 146 और बीकानेर में 162 बच्चों की मौत हो चुकी है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। Children Died In Rajasthan. राजस्थान में बच्चों की मौत का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। कोटा के जेके लोन अस्पताल में 36 दिन में 110 बच्चों की मौत के बाद अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के गृह नगर जोधपुर के डॉ. संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज में 146 और बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में 162 बच्चों की मौत का मामला सामने आया है। जोधपुर और बीकानेर के सरकारी अस्पतालों में बच्चों की मौत का आंकड़ा दिसंबर, 2019 का है।
वहीं, कोटा के जेकेलोन अस्पताल में पिछले साल दिसंबर से लेकर पांच जनवरी तक 110 बच्चों की मौत हुई है। इन तीनों बड़े सरकारी अस्पतालों में बच्चों की मौत का कारण डॉक्टरों की लापरवाही और संसाधनों की कमी को माना गया है। कोटा के जेके लोन अस्पताल का तो राज्य के उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट, चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा सहित कई मंत्री और अधिकारी दौरा कर चुके हैं, लेकिन जोधपुर व बीकानेर अस्पतालों की अब तक इन्होंने सुध नहीं ली है।
राज्य के चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा का कहना है कि किसी भी बच्चे की मौत होना बेहद दुख की बात है। बच्चों की मौत के जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी, सभी की जवाबदेही तय होगी।
बीकानेर में 162 बच्चों की मौत
बीकानेर के संभागीय मुख्यालय पर स्थित पीबीएम अस्पताल में दिसंबर माह में 162 बच्चों की मौत हुई है। अब तक अस्पताल प्रशासन ने इस आंकड़े कागजों में बंद कर रखा था,लेकिन रविवार को यह सार्वजनिक हो गया। दिसंबर के 31 दिन में 162 का मामला सामने आने के बाद चिकित्सा मंत्री डॉ. रघु शर्मा ने अस्पताल प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है।
इस अस्पताल में दिसंबर में 2219 बच्चे भर्ती हुए, इनमें से 162 अर्थात 7.3 फीसद बच्चों की मौत हुई। बीकानेर सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के प्रिसिंपल डॉ. एचएस कुमार ने बताया कि अस्पताल में कुल 220 बेड हैं, इनमें 72 बे नियोनेटल केयर यूनिट में और 140 बेड जनरल वार्ड में हैं। उन्होंने कहा कि ज्यादातर मौतें उन नवजात बच्चों की होती हैं, जो गंभीर हालत में गांवों से रेफर होकर मेडिकल कॉलेज तक पहुंचते हैं, यहां पहुंचने पर हालत इतनी गंभीर होती है कि उन्हें बचाना मुश्किल हो जाता है। उन्होंने इन मौतों के पीछे अस्पताल की किसी भी लापरवाही को कारण नहीं माना।
वहीं, जिला कलेक्टर कुमार पाल गौतम ने रविवार को अस्पताल का दौरा किया तो वहां अनेक अव्यवस्थाएं देखने को मिलीं। यहां वार्ड की खिड़की टूटी होने से ठंडी हवा आती है,वहीं कई आवश्यक उपकरण नहीं है।
सीएम के गृह नगर में 146 बच्चों की मौत
सीएम अशोक गहलोत के गृह नगर जोधपुर में डॉ.संपूर्णानंद मेडिकल कॉलेज से जुड़े शिशु अस्पताल में दिसंबर माह में 146 बच्चों की मौत की बात सामने आई है। इनमें से 102 नवजात थे। अस्पताल प्रशासन इन मौतों को सामान्य बता रहा है। दिसंबर में इस अस्पताल में 4689 बच्चे भर्ती हुए थे, इनमें से 3002 नवजात थे। इलाज के दौरान 146 बच्चों की मौत हो गई।
जोधपुर मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. एसएस राठौड़ ने बताया कि यहां हर दिन औसतन पांच बच्चों की मौत होती है। यह एक सामान्य प्रक्रिया है। उन्होंने बताया कि जोधपुर संभागीय मुख्यालय पर स्थित इस अस्पातल में बाड़मेर, जैसलमेर, नागौर, जालौर, पाली और सिरोही आदि जिलों से बच्चे रेफर होकर आते हैं। इनमें से कई बच्चे तो गंभीर हालत में यहां आते हैं, जिन्हे काफी कोशिश के बाद भी बचाया नहीं जा सकता है।
उदयपुर में हर दिन दम तोड़ रहे तीन बच्चे
उदयपुर के महाराणा भूपाल अस्पताल में लगभग हर दिन 3 बच्चों की मौत होने की बात सामने आई है । यहां दिसंबर माह में 119 बच्चों की मौत हुई,वहीं पूरे साल 2019में 1128 बच्चों की मौत हुई। अस्पताल अधीक्षक डॉ.लाखन पोरवाल ग्रामीण इलाकों से बच्चों को अंतिम समय में यहां लाया जाता है । कई बार काफी प्रयासों के बावजूद उन्हे बचाया नहीं जा सकता ।
भाजपा ने कहा, बच्चों की मौतों पर सीएम को शर्म आनी चाहिए
भाजपा विधायक दल के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि एक तरफ तो बच्चों की मौत हो रही है और दूसरी तरफ सीएम अशोक गहलोत अपनी सरकार की उपलब्धियों का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि सीएम को इस बात पर शर्म आनी चाहिए कि उनके गृह नगर जोधपुर में बच्चों की मौत हो रही है।
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