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Chambal River: गंगा की तर्ज पर राजस्थान में बहने वाली चंबल नदी का होगा संरक्षण

Chambal River अब नमामी गंगे प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश में बहने वाली चंबल नदी का उद्धार होगा। गंगा की तर्ज पर प्रदेश में चंबल नदी में बेहद दुर्लभ गंगा डॉल्फिन घडियाल ऊदबिलाव सहित विलुप्ती के कगार पर पहुंची प्रजातियों को बचाने कवायद शुरू होगी।

By Sachin Kumar MishraEdited By: Published: Wed, 28 Oct 2020 03:00 PM (IST)Updated: Wed, 28 Oct 2020 04:35 PM (IST)
Chambal River: गंगा की तर्ज पर राजस्थान में बहने वाली चंबल नदी का होगा संरक्षण
राजस्थान में बहने वाली चंबल नदी का गंगा की तर्ज पर संरक्षण होगा।

जागरण संवाददाता, जयपुर। Chambal River:  चंबल नदी को नमामी गंगे प्रोजेक्ट से जोड़ने का राजस्थान सरकार का प्रस्ताव केंद्र सरकार ने मान लिया है। अब नमामी गंगे प्रोजेक्ट के तहत प्रदेश में बहने वाली चंबल नदी का उद्धार होगा। गंगा की तर्ज पर प्रदेश में चंबल नदी में बेहद दुर्लभ गंगा डॉल्फिन, घडियाल, ऊदबिलाव सहित विलुप्ती के कगार पर पहुंची प्रजातियों को बचाने कवायद शुरू होगी। यह प्रदेश की पहली वाइल्ड लाइफ कंजरवेशन स्कीम होगी। वन विभाग ने इस बारे में योजना तैयार की है। गंगा की तर्ज पर प्रदेश में पहली बार किसी नदी में जलीय जीवों को बचाने के लिए योजना शुरू की जाएगी। केंद्रीय जलशक्ति मंत्रालय और भारतीय वन्यजीव संस्थान की मदद से प्रदेश में पूरे साल बहने वाली एक मात्र चंबल नदी को संरक्षित रखने के लिए सरकार ने योजना बनाई है।

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किसी भी नदी को बचाने के लिए सबसे पहले उसके ईको सिस्टम को बचाया जाता है। लिहाजा यहां भारतीय वन्यजीव संस्थान और प्रदेश का वन विभाग मिलकर चंबल नदी में संकट काल से गुजर रहे गंगा डॉल्फिन, घड़ियाल और ऊदबिलाव जैसी प्रजातियों को बचाया जाएगा। अवैध बजरी खनन और नदी में बढ़ती कैमिकल युक्त और इंसानी गंदगी से यहां जलीय जीव लगातार संकट में आ रहे हैं।

नदी में बनेंगे रेस्क्यू व कंजरवेशन ब्रीडिंग सेंटर

प्रदेश के मुख्य वन्यजीव प्रतिपालक अरविंदम तोमर ने बताया कि मछलियों की प्रजातियां और संख्या कम हो रही है। घड़ियाल जैसे जीव संकट के दौर से गुजर रहे हैं। इसका असर अब सर्ववाइवल में माहिर माने जाने वाले मगरमच्छों पर भी पड़ने लगा है। वन विभाग ने इसे बचाने के लिए विशेष अभियान चलाया है। प्रदेश के जलसंसाधन विभाग के अधिकारियों का कहना है कि एक तरफ जहां जलीय जीवों का बचाया जाएगा, वहीं दूसरी तरफ चंबल में बढ़ते प्रदूषण को रोकने का प्रयास होगा। बजरी के अवैध खनन से लेकर मछली सहित अन्य प्रजातियों के शिकार को रोका जाएगा। चंबल नदी में अलग-अलग स्थानों पर विशेष रेस्क्यू सेंटर स्थापित किए जाएंगे। इसके साथ ही चुनिंदा स्थानों पर वन विभाग की ओर से कंजरवेशन ब्रीडिंग सेंटर बनाए जाएंगे। इनमें संकटग्रस्त जीवों के प्रजनन को बढ़ाया जा सकेगा।

तोमर का कहना है कि घड़ियाल की तो इस साल अच्छी ब्रीडिंग हुई है। ऐसे में ऊदयबिलाव और गंगा डॉल्फिन की अगर ब्रीडिंग अच्छी होती है तो इससे उनकी संख्या भी प्रदेश में बहने वाली चंबल नदी में बढ़ सकेगी। राष्ट्रीय चंबल घड़ियाल सेंचूरी राजस्थान, उत्तर प्रदेश व मध्य प्रदेश में है। इसमें क्रिटिकली इंडेजर्ड घड़ियाल, मगरमच्छ और कई तरह के कछुए हैं। चंबल नदी में कई जलीय पक्षियों का भी आशियाना है। इनमें स्किमर पक्षी बेहद खास है, जो चंबल के रेतीले तटों पर घडियाल, मगरमच्छ व कछुओं की प्रजातियों की तरह घोंसला बनाती है। अवैध बजरी खनन के कारण इन भी प्रजातियों को खतरा है। 


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