Rajasthan: सात साल से नहीं हो पा रही वन्यजीव प्रतिपालकों की नियुक्ति
राजस्थान में टाइगर सहित अन्य वन्यजीवों पर हमलों की खबरे लगातार आती रहती है। प्रदेश के तीनों टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत की घटनाएं भी समय-समय पर हुई है। लेकिन सरकार पिछले 7 साल से मानद वन्यजीव प्रतिपालकों की नियुक्ति नहीं कर सकी है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान में टाइगर सहित अन्य वन्यजीवों पर हमलों की खबरे लगातार आती रहती है। प्रदेश के तीनों टाइगर रिजर्व में बाघों की मौत की घटनाएं भी समय-समय पर हुई है। लेकिन सरकार पिछले 7 साल से मानद वन्यजीव प्रतिपालकों की नियुक्ति नहीं कर सकी है।
बिना किसी वेतन के वन्यजीवों में दिलचस्पी रखने वाले विशेषज्ञों को मानद प्रतिपालक के रूप में नियुक्त करने को लेकर साल, 2013 में प्रक्रिया शुरू हुई थी। वाइल्डलाइफ प्रोटेक्टक्शन एक्ट 1972 के तहत सेक्शन 59 के लीगल स्टेटस के तहत सब सेक्शन (सी) के अंतर्गत मानद वन्यजीव प्रतिपालक नियुक्त करने का प्रावधान है, लेकिन अधिकारियों की उदासीनता के चलते कोई सकारात्मक कार्यवाही नहीं की जा रही है।
वन्यजीव विशेषज्ञों का मानना है कि प्रदेश में मानद वन्यजीव प्रतिपालकों की नियुक्तियां नहीं होने के पीछे कथित रूप से अवैध खनने करने वालों और होटल लॉबी का हाथ है जो नहीं चाहती की सरकार किसी भी तरह मानद वन्यजीव प्रतिपालकों की नियुक्तियां करे। 7 साल पहले मानद वन्यजीव प्रतिपालकों की नियुक्ति हुई थी तो अवैध खनन वालों पर लगाम लगी थी।
रणथंभौर व सरिस्का के पास बने होटलों पर भी कई तरह की रोक लगी थी। इस कारण ये नहीं चाहते हैं कि मानद वन्यजीव प्रतिपालकों की नियुक्ति हो। उल्लेखनीय है कि एक मानद वन्यजीव प्रतिपालक एक निजी व्यक्ति होता है, जिसे वन्यजीव संरक्षण में उसकी रुचि सेवा और अनुभव देखकर वन विभाग द्वारा नियुक्त किया जाता है। यह सम्मान में दिया गया पद होता है, इसमें किसी तरह का वेतन-भत्ता नहीं मिलता। प्रदेश के सभी 33 जिलों में इनकी नियुक्ति करने का प्रावधान है।