केंद्रीय गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के बावजूद शुरू नहीं हुआ 'कॉल-112'
गृह मंत्रालय की गाइड लाइन थी कि इन सबके लिए एक ही 112 नंबर तय किया जाए। इस नंबर से आपदा के समय पुलिस फायर व एंबुलेंस सुविधा उपलब्ध हो सके। इमरजेंसी के लिए 100 फायर के लिए 101 और एम्बुलेंस के लिए 102 या 108 डायल करना पड़ता है।
जयपुर, जागरण संवाददाता। राजस्थान पुलिस साढ़े तीन साल से केंद्र सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन की पालना नहीं कर रही है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने आपदा में फंसे लोगों तक पुलिस, फायर बिग्रेड व एंबुलेंस की मदद एक फोन कॉल पर पहुंचाने के लिए इमरजेंसी रेस्पॉंस सिस्टम की पहल की थी।
केंद्रीय गृह मंत्रालय की गाइड लाइन थी कि इन सबके लिए एक ही 112 नंबर तय किया जाए। इस नंबर से आपदा के समय पुलिस, फायर व एंबुलेंस सुविधा उपलब्ध हो सके। वर्तमान में प्रदेश में इमरजेंसी पड़ने पर पुलिस सहायता के लिए 100, फायर के लिए 101 और एम्बुलेंस के लिए 102 या 108 डायल करना पड़ता है। केंद्र सरकार ने आपातकालीन सपोर्ट सिस्टम के लिए जुलाई, 2017 में राज्य सरकार को लिखा था ।
इसके तहत आपदा के लिए 112 नंबर तय किया जाना था। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने सरकार को इस काम के लिए 6.89 करोड़ रूपए का बजट देने की बात भी कही थी। लेकिन राज्य पुलिस ने इसमें अब तक दिलचस्पी नहीं ली,जिससे यह बजट भी नहीं मिल सका। केंद्र द्वारा तय किए गए सिस्टम को शुरू करने को लेकर मुख्य सचिव व अतिरिक्त मुख्य सचिव की अध्यक्षता में कई बार बैठक हुई।
अजमेर रोड़ पर जमीन का आवंटन करने पर भी विचार किया गया, लेकिन धरातल पर यह योजना नहीं उतर सकी। गृह मंत्रालय की गाइडलाइन के अनुसार 112 नंबर पर आसाली से कॉल के लिए प्रत्येक टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर के पास ऐसा सिस्टम होना तय है, जिससे कॉल सीधे कनेक्ट हो सके। इसके साथ ही सभी पुलिस थानों में उपलब्ध सिग्मा वाहनों को भी इमरजेंसी रेस्पॉंस सिस्टम के साथ इंटीग्रेट किया जाएगा।